Proposed common steam boiler in Yamunanagar
- नवम्बर 8, 2021
- 0
Relief or problem for plywood unit
Inspired by Gujarat, now the government is evaluating the possibility for installation of a common steam boiler in Yamunanagar. It is being claimed that having a common steam boiler will reduce the burdens of plywood unit operators.
Sanjeev Chawla, Director, MSME DI Karnal and Vishal Budiya, MD, Steam House Company, said that the common steam boiler would benefit the unit operators so that they would not have to install boilers in their units. This will save the operators from maintaining the boiler. No separate workers will be required for boiler. He said that even now a unit operation costs one and a half rupees per kg of steam. The company will also provide steam to the operators at the same rate.
He told that such common plants are already running in Gujarat. Now they are planning to set up such plants at Panipat and Yamunanagar in Haryana.
Mehant Gupta, District President of Laghu Udyog Bharti Plywood Chapter said that the team has conducted survey at many places. Entrepreneurs has shown interest for the common plant. The plant is planned to be set up where there are 15 to 20 factories at one place. The capacity of the plant will be as per the demand. At present there is no such plant anywhere in Haryana.
The government and the company are ready to bear the full cost of setting up the new plant. If needed, land can be sought from industrialists for this. Vishal Budiya, MD, Steam House Company, told that the steam plant that will be installed will also be able to generate electricity. This electricity can be used in factories.
He says that if a 30 ton plant is set up, it will cost 15 to 20 crores. Up to one megawatt of electricity can be generated in this plant. Officials involved in the team said that factories upto 10 km away from the common plant, can be benefitted through steam pipes.
Unit operators have doubts
1. There are some doubts among plywood manufacturers about the common steam boiler. At present the waste from the factory is captively used as fuel in the boiler. This reduces their expenses. If there is a common boiler steam plant, what will be the use of this waste? There should be an alternate proposal to utilize the waste.
2. If the government wants to install a common boiler system, then why is a company from Gujarat being brought here. Why plywood manufacturers are not authorized to make their own system. Let the relief pass on to plywood manufacturers that the government is planning to give to the company of Gujarat.
3. Anuj Saini, president of Aakriti, an organization working for the environment, told whether the company has surveyed that their common steam boiler will eliminate up to 99 percent of pollution.
4. If by chance there is a technical problem in the common plant, all the units will be closed. Instead of its advantages, there will be more harm in this way.
प्लाईवुड यूनिट के लिए राहत या दिक्कत
गुजरात की तरह अब यमुनानगर में भी काॅमन स्टीम बॉयलर लगाने की तैयारी सरकार कर रही है। इसे लेकर संभावना तलाशी जा रही है। दावा किया जा रहा है कि कॉमन स्टीम बॉयलर होने से प्लाईवुड यूनिट संचालकों का खर्च कम होगा।
एमएसएमई डीआई करनाल के डायरेक्टर संजीव चावला और स्टीम हाउस कंपनी के एमडी विशाल बुदिया ने बताया कि कॉमन स्टीम बॉयलर से यूनिट संचालकों को फायदा यह होगा कि उन्हें तब अपने यूनिट में बायरल नहीं लगाना पड़ेगा। इससे संचालकों को बायलर के रखरखाव से निजात मिल जाएगी। बॉयलर के लिए अलग से कर्मचारी भी नहीं रखने पड़ेंगे। उनका यह भी कहना है कि अभी भी एक यूनिट संचालक को प्रति किलो स्टीम बनाने पर डेढ़ रुपए खर्च आता है। कंपनी भी इसी रेट पर संचालकों को गैस उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने बताया कि इस तरह के प्लांट अभी गुजरात में चल रहे। हरियाणा में पानीपत और यमुनानगर में इस तरह के प्लांट लगाने की योजना है।
लघु उद्योग भारती प्लाईवुड चैप्टर के जिला अध्यक्ष मेहंत गुप्ता ने बताया कि टीम ने कई जगह सर्वे किया है। व्यापारी कॉमन प्लांट के लिए तैयार है। प्लांट वहां पर लगाने की योजना है जहां पर एक जगह 15 से 20 फैक्ट्रियां हैं। प्लांट की क्षमता डिमांड के हिसाब से होगी। फिलहाल हरियाणा में इस तरह का कहीं भी कोई प्लांट नहीं है।
सरकार और कंपनी नया प्लांट लगाने का पूरा खर्च उठाने के लिए तैयार हैं। जरूरत पड़ी तो उद्योगपतियों से इसके लिए जमीन मांगी जा सकती है। स्टीम हाउस कंपनी के एमडी विशाल बुदिया ने बताया कि जो स्टीम प्लांट लगेगा उससे बिजली भी बनाई जा सकेगी। इस बिजली को इंडस्ट्री में उपयोग में लाया जा सकता है।
उनका कहना है कि अगर 30 टन का प्लांट लगता है तो उस पर 15 से 20 करोड़ का खर्च आएगा। इस प्लांट में एक मेगावाट तक बिजली बन सकेगी। टीम में शामिल अधिकारियों ने बताया कि कॉमन प्लांट से 10 किलोमीटर दूर तक की फैक्ट्री में स्टीम पाइप के जरिए सप्लाई की जा सकेगी।
यूनिट संचालकों में संशय
1. इधर प्लाईवुड संचालकों में कॉमन स्टीम बॉयलर को लेकर कुछ संशय है। उनका कहना है कि अभी वह फैक्ट्री से निकलने वाले वेस्ट को बॉयलर में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इससे उनका खर्च कम हो जाता है। यदि कॉमन बॉयलर स्टीम प्लांट होगा तो इस वेस्ट का क्या करेंगे। एक अन्य प्रस्ताव लाना चाहिए जिससे इस वेस्ट का समुचित लाभ लिया जा सके।
2. यदि सरकार कॉमन बॉयलर सिस्टम लगाना ही चाहती है तो फिर क्यों गुजरात की कंपनी को यहां लाया जा रहा है। क्यों न प्लाईवुड संचालक स्वयं मिल कर खुद का सिस्टम बना लें। सरकार जो राहत गुजरात की कंपनी को दे रही है, वह उन्हें दे दें।
3. पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था आकृति के अध्यक्ष अनुज सैनी ने बताया कि क्या कंपनी ने सर्वे किया है कि उनके कॉमन स्टीम बॉयलर से 99 प्रतिशत तक प्रदूषण खत्म हो जाएगा। इसका आधार क्या है?
4. कॉमन प्लांट में तकनीकी दिक्कत आ गई तो सभी यूनिट ही बंद हो जाएगी। इस तरह से तो उसके फायदे की बजाय नुकसान ही अधिक होगा।