![](https://plyinsight.com/wp-content/uploads/2025/02/Jagmohan-Singh-.jpg)
तकनीक पर निवेष से ही उद्योग की उन्नति संभव
- फ़रवरी 6, 2025
- 0
- उद्योग में प्रौद्योगिकी उन्नति क्यों आवश्यक है?
बदलते वक्त के साथ तो सभी को चलना होगा। क्योंकि, तकनीक तेजी से बदल रही है। ऐसे में यदि बदलती तकनीक को उद्योग नहीं अपनाता तो फिर आने वाले वक्त की चुनौतियों से निपटना उनके लिए मुश्किल हो सकता है।
उद्योग में तकनीक बहुत मायने रखती है, इससे भी ज्यादा मायने यह बात रखती है कि तकनीक से उद्योग को क्या लाभ हो रहा है।
क्या इससे उत्पादन लागत कम हो रही है? गुणवत्ता बढ़ रही है? या फिर जो कच्चा माल व्यर्थ हो रहा था, उसका बेहतर इस्तेमाल हो रहा है?
मशीन को अपग्रेड करने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि उपभोक्ता को उच्च गुणवत्ता का उत्पाद मिलता है। जो अच्छी क्वालिटी का उत्पाद बना रहा है, उसे बाजार में अपने उत्पाद की कीमत अच्छी मिलने लग जाती है। ऐसे उत्पाद को बाजार में हाथो हाथ लिया जाता है, और उसकी मांग में निरंतरता बनी रहती है।
लकडी़ उद्योग में देखें, तो जिस उद्योगपति के पास कोर कंपोजर, कलिब्रेटर है, उनके माल की गुणवत्ता स्वयमेव एक निश्चीत पैमाने की होगी। ग्राहक को लगातार एक खास गुणवत्ता का माल मिलता है, तो ब्रांड पर उसका भरोसा बरकरार रहता है। हम कह सकते हैं कि उद्योग को इससे मजबूती मिलती है।
जिस उद्योगपति ने इस स्वाद को चखलिया वह तकनीक को लगातार उन्नत करते रहेगें। उनको सर्वाइवल के मौके हमेशा मिलते रहेंगे। क्योंकि तकनीक को यदि अपग्रेड नहीं करेंगे तो ज्यादा वक्त तक बाजार में टिके नहीं रह सकते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि तकनीक या मशीन पर जो उत्पादक खर्च करता है वह मशीन (व तकनीक) पर होने वाला खर्च भी जल्दी ही वसूल कर पाता है। जो उद्योगपति तकनीक को देर से स्वीकार करते हैं, उन पर बाजार से पिछड़ने का अंदेशा बना रहता है।
जो उद्योगपति गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तकनीक पर निवेश करने से डरेगा, उसे कालांतर में अधिक नुक्सान उठाना पड़ सकता है। मैंने ऐसे कई उद्योगों को बंद होते हुए देखा है, जो पारंपरिक मशीनों पर ही काम करते रह गए। इसलिए समझदारी पूर्वक निवेश आवश्यक है।
- किसी प्रौद्योगिकी का सामान्य जीवन काल? उद्योग को नवीनतम उन्नत मशीनों को शामिल करने के बारे में कब सोचना चाहिए?
जहां तक मशीन व तकनीक की परिचालन अवधि की बात है, यह इस बात पर निर्भर करती है कि जो मशीन या तकनीक उपयोग कर रहे हैं, वह कितनी अपडेट है। क्योंकि मशीन में नए फीचर बढाने के साथ साथ उसका मजबुत होना भी आवश्यक है। इस मामले में मशीन मैन्यूफैक्चरर या विक्रेता का अनुभव और विश्वसनियता काफी मायने रखती है।
हमें इस पर गर्व है कि हमारी मशीने 8-10 सालों तक निर्विध्न काम करती रही हैं। उद्योग का यह भरोसा हमें शक्ति देता है कि हम नई से नई तकनीक की मजबुत मशीनें उपलब्ध करवाते रहें।
अधिकतर उद्योगपति दो तीन साल में उच्च तकनीक मशीन की कीमत पूरी करने में सक्षम हो जाते हैं। नवीनतम तकनीक अपनाने वाले उद्योगपति बाजार (कच्चे माल आदि) के छोटे मोटे उतार चढ़ाव को भी आसानी से बर्दाश्त करने की स्थिति में रहते हैं। क्योंकि तकनीक उनके बहुत से खर्च कम कर देती है।
- उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मशीनरी के प्रतिस्थापन की मूल्यह्रास लागत को उद्योग कैसे कवर कर पाएगा?
इस बात में दो राय नहीं है कि साल दो साल में ही तकनीक अपग्रेड हो जाती है। जो नई तकनीक आती है, उसमें फीचर भी ज्यादा होते हें। उदाहरण के लिए पहले पीलिंग में रोला 25 एमएम का निकलता था, अब 15 एमएम का निकल रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दो साल पहले जो मशीन ली थी, वह व्यर्थ हो गई है। उस मशीन की अपनी उपयोगिता है। आप को दूसरी मशीन, जो 15 एमएम का निकाल रही है, वह मशीन भी खरीदनी पड़ेगी। क्योंकि हर मशीन की अपनी क्षमता होती है। यह रिप्लेसमेंट नहीं है, यह एडीसन है, जो लागत को और भी कम करेगी।
पहले थर्ड जेन का कोर कंपोजर आता था। वह 225 से 235 सीट निकालते थे। अब फिफ्थ जेन का कोर कंपोजर आ रहा है जो 325 से 350 सीट निकाल रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो क्षमता बढ़ रही है। यह तकनीक का कमाल है। अब जाहिर है, जो इस तरह की नई तकनीक को जितना जल्दी अपनाएंगे, वह वक्त के साथ बेहतर तरीके से कदमताल मिला कर चल पाएंगे। जो नई तकनीक को अपनाने से बचते हैं, इसके स्थापित होने का इंतजार करते है, वह पिछड़ सकते हैं।
जहां तक Pay Back पीरियड की बात है, यह तो उद्योग विशेष की क्षमता पर निर्भर करता है। जो जितना अधिक मशीन का उपयोग करेगा, उतनी तेजी से लागत को कवर कर पाएगा। यह तो साधारण गणित है। आखिर, इन मशीनों पर निवेश ड्राइंग रूम में सजाने के लिए तो नहीं किया जा रहा?
- क्या आपने कभी R&D पर अपने वार्षिक व्यय (अपने टर्नओवर/मुनाफे के मुकाबले) की गणना की है?
आरएंडडी ऐसा फिल्ड है, जिस पर अपनी क्षमतानुसार खर्च किया जा सकता है। हमारी कोशिश रहती है कि आरएंडडी पर समझौता न किया जाए। हम अपनी ओर से कोशिश करते हैं कि दुनिया की ‘लकड़ी उद्योग में उन्नत‘ देशों में, विकसित हो रही तकनीकों को भारतीय उद्योग के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं। क्योंकि उद्योग के पास अच्छी तकनीक होगी तो इसका लाभ पूरे उद्योग को मिलेगा। जाहिर है, इससे बाजार मजबूत होगा। उल्लेखनीय है कि, हम कई देशों में अपनी मशीनों का निर्यात भी कर रहें है।
- आपको R&D के लिए क्या प्रेरित करता है?
हालांकि, प्लाइवुड उद्योग अभी बहुत छोटा और अनऑर्गनाईज बाजार है। मशीनों की मांग उपेक्षाकृत इतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। फिर भी इस बाजार को विकसित करने में हर कोई अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। निर्माता और सरकार दोनो अपने अपने स्तर पर इस दिशा में लगे हुए हैं।
हमारा भी उत्तरदायित्व बनता है कि हम ऐसी मशीनें बना कर दें, जिससे उद्योग अपनी परिचालन लागत को कम करते हुए, विश्वस्तरीय उत्पाद बना सके। भारत को विश्वशक्ति बनाने में हमे अपनी छोटे से योगदान पर गर्व है।