Raw material cost up due to sliding rupee
- नवम्बर 12, 2022
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India Inc leaders are expecting the government to take immediate remedial steps to stem the rupee’s slide against the dollar, the rupee’s decline versus the dollar gathered pace when the US Federal Reserve announced a 75-basis point (bp) rate hike and signaled a cycle of further rate hikes.
This follows an over 9.2 per cent fall in the Indian currency’s value against the greenback since early this year. Views came from a survey of chief executive officers (CEOs).
Nearly 67 per cent of the CEOs said a tumbling rupee has affected operations since raw material costs have gone up.
“The government should impose limits on the import of non-essential goods expedite dollar remittances for exporters, apart from easing norms for foreign investment,”
“It is expected that the government will impose higher import tax on all non-essentials in the near term,”
Nearly 60 per cent of the CEOs said with a deteriorating global economic environment and the rupee’s movement, they expected demand for their products to wane, while another 40 per cent did not expect any change to their products or expansion plans.
Since May this year, the repo rate has been increased by 190 bps to 5.9 per cent, a three-year high. This is a largely on expected line – as inflation continues to stay above 6 per cent, the upper level of its tolerance band, for the past eight months.
“The RBI have announced another 50-bp hike but domestic demand is picking up fast, The government should take major steps in controlling fiscal deficit,” said another CEO.
रूपये में गिरावट से कच्चे माल की लागत बढ़ी
भारतीय उद्योग जगत के प्रमुखों को उम्मीद है कि सरकार रूपये की गिरावट थामने के लिए तत्काल कदम उठाएगी। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर 75 आधार अंक बढ़ाए जाने तथा दरों में और बढ़ोतरी के संकेत के बाद से रूपये में तेज गिरावट आई है।
इस साल अभी तक डॉलर के मुकाबले रूपये में 9.2 फीसदी की नरमी आ चुकी है, जिससे कंपनियों के कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। रूपये में गिरावट और कारोबार पर इसके असर के बारे में कराए गए सर्वेक्षण में मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) ने यह राय जाहिर की।
तकरीबन 67 फीसदी ने कहा कि रूपये में गिरावट से उनके कामकाज पर असर पड़ा रहा है क्योंकि कच्चे माल की लागत बढ़ गई है।
‘‘सरकार को गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर बंदिश लगानी चाहिए और विदेशी निवेश के नियमों में ढील देनी चाहिए।”
‘‘उम्मीद है कि सरकार गैर-जरूरी चीजों पर निकट अवधि में ज्यादा आयात शुल्क लगा सकती है।”
करीब 60 फीसदी सीईओ ने कहा कि बिगड़ते वैश्विक आर्थिक हालात और रूपये की चाल से उनके उत्पादों की मांग प्रभावित हो सकती है, जबकि 40 फीसदी ने कहा कि मांग या उनकी विस्तार योजना पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
इस साल मई से रीपो दर में 190 आधार अंक का इजाफा किया जा चुका है, जिससे रीपो दर तीन साल के उच्च स्तर 5.9 फीसदी पर पहुंच गई है। पिछले आठ महीने से खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के सहज दायरे 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है जिसकी वजह से दरों में इजाफा उम्मीद के अनुरूप है।
एक अन्य सीईओ ने कहा कि ‘‘आरबीआई ने रीपो दर में 50 आधार अंक की वृद्धि करी है लेकिन घरेलू मांग में तेजी बनी रहेगी। लेकिन सरकार को राजकोषीय घाटा काबू में करने के लिए कदम उठाने चाहिए।”