
आवास टॉप - अप ऋण पर आरबीआई सावधान
- जून 13, 2024
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अधिकांश बैंक एवं आवास वित्त कंपनियां अक्सर ग्राहकों को आवास ऋण पर टॉप-अप लोन की पेशकश करते हैं। टॉप-अप लोन एक प्रकार का अतिरिक्त ऋण होता है। अगर आपने किसी बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) से आवास ऋण लिया है तो टॉप-अप लोन के लिए कम से कम दस्तावेज के साथ आसानी से आवेदन कर सकते हैं।
टॉप-अप लोन का चलन पिछले दो दशकों से है। मगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इसे लेकर पहले चिंतित नहीं था मगर अब वह टॉप-अप लोन को लेकर सहज नहीं दिख रहा है। अब बैंकिंग नियामक ऐसे ऋण पर पैनी नजर रख रहा है। यह ऋण मूलतः व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) है मगर इसे आवास ऋण की आड़ में दिया जा रहा है।
आखिर, आरबीआई इसे लेकर चिंतित क्यों है? आरबीआई सार्वजनिक रूप से यह कह चुका है कि खुदरा ऋण, खासकर असुरक्षित पर्सनल लोन, बांटने को लेकर कर्जदाताओं के अनावश्यक उत्साह से वह खुश नहीं है। आरबीआई को डर है कि वित्तीय संस्थानों के इस उत्साह को देखने के बाद ग्राहक ऋण तो ले लेंगे मगर उनमें कई बाद में इसे चुकाने की हालत में नहीं होगे। आरबीआई के अनुसार इससे पूरे वित्तीय तंत्र के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। इसे देखते हुए आरबीआई ने नवंबर 2024 में पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड और एनबीएफसी को आवंटित ऋण पर जोखिम भारांश (रिस्क वेटेज) बढ़ा दिया था।
आवास ऋण टॉप-अप किस तरह काम करता है? यह एक प्रकार के सुरक्षित पर्सनल लोन होते हैं। इस ऋण की पेशकश उन ग्राहकों को की जाती है जो अपने ऋण की मासिक किस्तों का भुगतान समय से कर रहे हैं।
आम तौर पर आवास ऋण लोन-टू-वैल्यू या एलटीवी की गणना करने के बाद दी जाती है। एलटीवी किसी जायदाद के मूल्य का वह हिस्सा (प्रतिशत) होता है जो कोई बैंक जायदाद खरीदने वाले को उधार देता है। यह जायदाद की कीमतों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने से पहले ग्राहक पहले अपनी तरफ से कुछ रकम का अग्रिम भुगतान करते हैं। ग्राहक जायदाद की कीमत का 10 से 30 प्रतिशत हिस्सा भुगतान करते हैं। ऋण के नियमित भुगतान से वित्तीय संस्थान का मूलधन कम होता जाता है और एलटीवी अनुपात कम होने लगता है। इसके बाद वित्तीय संस्थान अपने अच्छे ग्राहकों को टॉप-अप लोन की पेशकश करते हैं। ग्राहक इस ऋण का इस्तेमाल विवाह, छुट्टियां मनाने, शिक्षा, स्वास्थ्य खर्च या कारोबार विस्तार आदि प्रयोजनों पर कर सकते हैं।
पर्सनल लोन की तुलना में टॉप-अप लोन के ऋण पर ब्याज दर व्यक्तिगत ऋण की तुलना में काफी कम होता है मगर आवास ऋण से अधिक होता है।
आखिर, टॉप-अप लोन अब आरबीआई को क्यों खटकने लगा है?
ऐसे ऋण के मामले में अनुबंध कागजात में अक्सर ये बातें स्पष्ट होती हैं कि रकम का इस्तेमाल कयास आधारित गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता है। मगर कोई ग्राहक टॉप-अप लोन ऐसे ऋण के मामले में कागजात में अक्सर ये बातें स्पश्ट होती हैं कि एकम का इस्तेमाल कयास आधारित गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता हैं। मगर कोई ग्राहक टॉप-अप लोन लेकर शेयर बाजार में इसे लगाता है तो क्या इस पर नजर रखी जा सकती है? या फिर ग्राहक दूसरे ऋण चुकाने के लिए टॉप-अप लोन का इस्तेमाल करता है तो क्या बैंक इसका पता लगा सकते हैं?
आरबीआई की मुख्य चिंता यह है कि टॉप-अप होम लोन की आड़ में व्यक्तिगत ऋण का अंबार लगता जा रहा है। वित्तीय संस्थानों को इससे रोकने के लिए आरबीआई ने व्यक्तिगत ऋण के लिए पूंजी की आवश्यकता बढ़ा दी है। पूंजी की आवश्यकता बढ़ने से कर्जदाता संस्थानों के लिए ऋण देना और ग्राहकों के लिए ऋण लेना महंगा हो जाता है। ऐसा लगता है कि ऊंची पूंजी की आवश्यकता से बचने के विए वित्तीय संस्थान टॉप-अप होम लोन के जरिये पर्सनल लोन की पेशकश कर रहे हैं।
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