जमीन की बढ़ती कीमतों से मालिक व बिल्डर्स ने साझेदारी में प्रोजेक्ट शुरू करने का नया चलन देखने को मिल रहा है। बेंगलुरु रियल एस्टेट डेवलपर्स तेजी से भूमि मालिकों के साथ संयुक्त विकास समझौते (जेडीए) कर रहे हैं। इस बदली सोच से बिल्डर्स जहां जमीन की ज्यादा कीमत चुकाने से बच रहे हैं, वहीं जमीन के मालिकों को भी सीधा फायदा हो रहा है। नए चलन को दोनों के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है।

बेंगलुरु स्थित रियल एस्टेट रिसर्च फर्म मेराकी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जेडीए से डेवलपर्स जमीन की बड़ी कीमत चुकाने से बच जाते हैं। दूसरी ओर जमीन के मालिक को अपनी जमीन का मालिकाना हक खोए बिना ही पूरी कीमत मिल जाती है।

’अवर लैंडओनर्स गाइड’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु में आवासीय और वाणिज्यिक खंड में अनुमानित 70 प्रतिशत प्रोजेक्ट जेडीए के माध्यम से विकसित की गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक देश में रियल एस्टेट के लिहाज से महत्वपूर्ण शहर जिसमें मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), पुणे, चेन्नई, अहमदाबाद, कोलकाता और हैदराबाद के साथ बेंगलुरु में जमीन की कीमतें पिछले तीन वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु में पिछले एक साल में ही जमीन की कीमतें 40-60 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।

 भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास के लिए संयुक्त विकास समझौते महत्वपूर्ण कदम बन कर उभर रही है। 2021 से पहले, बिल्डर एक मुश्त रकम चुका कर जमीन खरीदने को प्राथमिकता देते थे। लेकिन अब जैसे जैसे घरों व कमर्शियल जगह की मांग बढ़ रही हे, इससे बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है। इसे देखते हुए बेंगलुरु के भूमि मालिक इस तरह की परियोजनाओं के लिए जेडीए को प्राथमिकता देने लगे हैं। एक अनुमान के मुताबिक जेडीए से जमीन के मालिकों को जमीन बेचने की तुलना में 2.5 गुना अधिक रिटर्न मिलने की संभावना बनी रहती है।

जीडीए से बिल्डर और जमीन के मालिक दोनों का लाभ है। जमीन मालिक को यह कोशिश नहीं करनी पड़ती कि वह जमीन की ज्यादा से ज्यादा कीमत वसूले। क्योंकि उन्हें अपनी जमीन का अच्छा खास रिटर्न मिल जाता है। दूसरी ओर डेवलपर्स को जमीन की खरीद में पूंजी लगाने की जरूरत नहीं होती। वह इस पैसे को प्रोजेक्ट में लगा कर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने की स्थिति में आ जाता है।

हालांकि जीडीए इतना आसान भी नहीं होता। क्योंकि रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण और वस्तु एवं सेवा कर से रियल एस्टेट में 2015 और 2020 के बीच बड़े नीतिगत बदलाव आए हैं। कई जमीन मालिक, कर, कानूनी पहलू व नीतियों की व्यापक समझ नहीं रखते। इस वजह से जेडीए साझेदारी में कई बाद जटिल स्थिति भी पैदा हो जाती है।

फिर भी पिछले दो सालों से आवासीय रियल एस्टेट में उच्च वृद्धि देखने को मिल रही है। बिल्डर्स तैयार प्रोजेक्ट को तेजी से बेचने में लगे हुए हैं। जिससे वह खुद में बाजार में रियल एस्टेट के ब्रांड की तरह खुद को स्थापित कर सके।


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