Registration of existing wood-based industries by Bihar government

बिहार सरकार के पर्यावरण एंव वन मंत्रालय ने प्रदेश में चल रही लकड़ी आधारित इकाई, जिसमें विनियर मिल और आरा हो या फिर विनियर मिल हो, प्लाईवुड पेस्टिंग हो, इन सभी इकाइयों के संचालकों से आवेदन और आवश्यक दस्तावेज मांगे हैं। यह आवेदन 20 अक्टूबर 2002 तक लगी यूनिट संचालकों से मांगे गए हैं। इस संबंध में मंत्रालय की ओर से 29.8.2023 को एक आदेश संख्या 3240 द्वारा यह जानकारी वन विभाग में देनी है। यदि किसी संचालक ने इस तरह की जानकारी नहीं दी तो उसे वरीयता सूची से बाहर कर दिया जाएगा।

विनियर मिल या विनियर के साथ आरा मिल का अलग से पंजीकरण किया जाएगा। जिस यूनिट में विनियर है या फिर विनियर के साथ आरा मशीन है, उसे कंपोजिट इकाई की श्रेणी में रखा गया है।

इस तरह की इकाइयों के संचालकों के यह साबित करना होगा कि उनका यूनिट कितने समय से चल रहा है। इसके लिए मशीन की खरीद के बिल, बिजली के कनेक्शन लेने की तारीख जैसे दस्तावेज साथ लगाने होंगे।

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सरकार वरीयता सूचि तैयार करने के बाद यूनिटों के भविष्य को लेकर आगे का निर्णय लेगी। प्रदेश में लकड़ी आधारित यूनिट को लकड़ी की कमी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। सरकार की कोशिश है कि जो इकाइयों लंबे समय से प्रदेश में चल रही है, लाइसेंस में उन्हें प्रमुखता दी जाए।

दूसरी ओर सरकार ने कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए करीब 27 किस्मों के पेड़ों की लकड़ी को लाने ले जाने पर लगी रोक को हटा लिया।

इनकी लकड़ी को ले जाने के लिए किसी तरह की इजाजत की जरूरत नहीं होगी। इसमें पोपलर व सफेदा के अलावा कदम, आम, लीची, ताड़ खजूर, बांस, सेमल, बबूल की कई किस्में, गुलमोहर, बेर, अमरूद, शहतूत, रबर आदि को शामिल किया गया है।

निजी जमीन पर उगाए गए पेड़ों को ले जाने के लिए अब किसी तरह के परमिट की जरूरत नहीं है। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस प्रयास से प्रदेश में कृषि वानिकी को बढ़ावा मिलेगा। जिससे बिहार के प्लाईवुड व लकड़ी उद्योग को पर्याप्त मात्रा में लकड़ी मिलने का रास्ता साफ होगा।

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