IGST

The exporters will file a review petition on the decision of the Gujarat High Court, which upheld the government’s rule that if the exporters enjoy the benefits of advance authorization license, they should rebate on the Integrated Goods and Services Tax (IGST) paid by them not available.

Exporters are issued Advance Authorization (AA) license to allow duty free import of inputs which are used in the export product.

The first exporters were allowed to import raw materials under AA license without payment of IGST. They used to pay IGST on exports and claim rebate on IGST paid on exports. He initially got the benefits of rebate on IGST.

However, the government later amended the sub-rule (10) of Rule 96 of the Central GST through a notification dated 4 September 2018. Accordingly, if exporters avail AA, they will not get rebate in IGST on exports. This rule came into force from October 23, 2017. The High Court upheld the validity of this rule.

The court also upheld the validity of other amendments to the rule. It has the approval to get rebate to those who only get exemption in basic customs duty and pay IGST on raw materials. This amendment came into force with retrospective effect. This means that those who claimed refund under this option would have to return IGST including interest on the raw material


आईजीएसटी रिबेट पर समीक्षा याचिका


निर्यातक गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले पर एक समीक्षा याचिका दायर करेंगे, जिसमें सरकार के इस नियम को सही ठहराया गया था कि अगर निर्यातक अग्रिम प्राधिकार लाइसेंस के लाभ लेते हैं तो उन्हें खुद द्वारा चुकाए गए समन्वित वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) पर रिबेट नहीं मिलेगा।

निर्यातकों को उन इनपुट के शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी देने के लिए अग्रिम प्राधिकार (एए) लाइसेंस जारी किया जाता है, जिन्हें निर्यात उत्पाद में इस्तेमाल किया जाता है।

पहले निर्यातकों को एए लाइसेंस के तहत आईजीएसटी के भुगतान के बिना कच्चे माल के आयात की मंजूरी थी। वे निर्यात पर आईजीएसटी चुकाते थे और निर्यात पर चुकाए गए आईजीएसटी पर रिबेट (रिफंड) का दावा करते थे। उन्हें शुरुआत में आईजीएसटी पर रिबेट के लाभ मिलते थे।

हालांकि बाद में सरकरा ने 4 सितंबर, 2018 की अधिसूचना के जरिये केंद्रीय जीएसटी के नियम 96 के उप-नियम (10) में संशोधन कर दिया। इसके मुताबिक अगर निर्यातक एए लाभ लेते हैं तो उन्हें निर्यात पर आईजीएसटीमें रिबेट नहीं मिलेगा। इस नियम को 23 अक्टूबर, 2017 से लागू किया गया। उच्च न्यायालय ने इस नियम की वैधता को बरकरार रखा।

अदालत ने नियम में अन्य संशोधन की वैधता को भी बरकरार रखा। इसमें उन लोगों को रिबेट प्राप्त करने की मंजूरी है, जो केवल बुनियादी सीमा शुल्क में छूट हासिल करते हैं और कच्चे माल पर आईजीएसटी चुकाते हैं। इस संशोधन को बीती तारीख से लागू किया गया। इसका मतलब है कि जिन लोगों ने इस विकल के तहत रिफंड का दावा किया था, उन्हें कच्चे माल पर ब्याज समेत आईजीएसटी लौटाना होगा।