Increase in the prices of petrol and diesel, toll tax has made transporting costlier by one and a half times. This has a direct impact on the plywood industry. Increase in the fare by transporter has a direct impact on cost of plywood which is increasing rapidly. The plywood industry is already in trouble due to covid. Running the unit has become difficult due to rising oil prices at present. The truck which was earlier available for 10 thousand rupees is now at 13 to 14 thousand rupees. From March onwards, oil prices started rising. At present, oil has reached R100 per liter.

Devendra Chawla, National President of All India Plywood manufacturing Association said that current period is most tough for plywood.Every raw material used in the ply industry is growing rapidly. The prices of chemical phenol, formaldehyde used in plywood have also increased. Many factories have been closed due to cost escalation, and many more are on the verge of closure. Increase in inflation brought the industry to the brink of closure.

Plywood is also affected by the increase in the price of iron and steel. Due to rising inflation, People are avoiding construction. Only essential Construction is going for reducing expenses. This is affecting the demand for ply. In such a situation, if the price increases, then the customer hesitates to buy. Most of the plywood industry operators are not in a position to produce and store the finished product in the warehouse. They do not have enough capital to do so. Inflation has increased their running capital manifold. To meet their daily expenses they are being forced to sell without margin. The problem multiples when the manufacturers who increase the rate, the demand for their goods in the market decreases. That’s why; the attempt to increase the rate is not proving to be very effective.

Karnal-based transporter Sultan Singh said that due to the increased prices of petrol-diesel and toll tax, transport has become expensive. Due to this, the cost of bringing raw material and sending the finished material has also increased. In such a situation, it is natural for the industrialists and traders to reduce their profits. Every business has been affected due to the increasing prices of petrol and diesel, due to which industries and businesses have been affected. But what can we do? We are also running short to pay our bank installments.


लगातार बढ़ रहे डीजल के दाम, संकट में उद्योग


पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी, टोल टैक्स में बढ़ोतरी ने ट्रांसपोर्ट को डेढ़ गुना तक महंगा कर दिया है। इसका सीधा असर प्लाइवुड उद्योग पर पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टर ने किराया बढ़ा दिया। जिससे प्लाइवुड की लागत तेजी से बढ़ रही है। प्लाइवुड उद्योग पहले ही कोविड की वजह से दो चार हो रहा है। अब तेल के बढ़ते दाम की वजह से यूनिट चलाना मुश्किल हो गया है। जो ट्रक पहले 10 हजार रुपये में मिलता था, वह अब 13 से 14 हजार रुपये में मिल रहा है। मार्च के बाद से ही तेल के दाम बढ़ने शुरू हो गए। इस वक्त तेल सौ रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गया है।

आल इंडिया प्लाईवुड एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र चावला ने बताया कि प्लाइवुड के लिए यह दौर सबसे चिंताजनक है। प्लाई इंडस्ट्री में काम आने वाला हर कच्चा माल तेजी से बढ़ रहा है। प्लाईबोर्ड में प्रयोग होने वाले केमिकल फिनोल, फार्मल डी हाइड के भी भाव बढ़े हुए हैं। लागत बढ़ने की वजह से काफी फैक्ट्री बंद हो चुकी है, तो काफी बंद होने की कगार है। जिस प्रकार महंगाई बढ़ी, उससे उद्योग बंद होने की कगार पर आ गया।

लोहे और स्टील के दाम बढ़ने का असर भी प्लाईवुड पर पड़ रहा है महंगाई बढ़ने की वजह से जनता नये निर्माण से बच रहे हैं। बहुत जरूरी निर्माण ही हो रहा है। खर्च कम कर रहे हैं। इसका असर प्लाई की डिमांड पर पड़ रहा है। ऐसे में यदि भाव बढ़ाते हैं तो कस्टमर खरीदने से हिचकिचा रहें हैं। ज्यादातर प्लाईवुड इंडस्ट्री संचालक इस स्थिति में नहीं है कि उत्पादन कर गोदाम में रख लिया जाए। ऐसा करने के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। क्योंकि महंगाई की वजह से पुंजी की लागत काफी ज्यादा बढ गई हैं। उन्हें अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए भी पैसा चाहिए। इसलिए वह अपेक्षाकृत सस्ते में प्लाई बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। इससे दिक्कत यह आ रही है कि जो निर्माता रेट बढ़ाते हैं, बाजार में उसके माल की डिमांड कम हो रही है। इस तरह से रेट बढ़ाने की कोशिश ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रही।

करनाल के ट्रांसपोर्टर सुलतान सिंह ने बताया कि पेट्रोल-डीजल और टोल टैक्स की बढ़ी कीमतों की वजह से ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है। इसकी वजह से कच्चा माल को लाने और तैयार माले को भेजने का खर्च भी बढ़ गया है। ऐसे में उद्योगपतियों व व्यापारी का मुनाफा कम होना स्वाभाविक है। लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दामों की वजह से हर व्यवसाय प्रभावित हुआ है, जिसके कारण उद्योग-धंधे प्रभावित हुए हैं। लेकिन हम भी क्या कर सकते है। हमारी स्थिति यह है कि गाड़ी की किश्त तक निकालनी मुश्किल हो गई है।

मनोज ठाकुर