Ritesh Agarwal – Ristal Industries Pvt Ltd
- दिसम्बर 12, 2022
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U.P. will Emerge as Plywood Centre
What can be the impact on the plywood market due to the grant of new licenses in UP?
I believe that there will be an extremely positive impact on the business environment in the state with the installation of new units. UP will emerge as a plywood center wherein we can get all the benefits that only Yamuna Nagar and Kerala are getting as of now. It will certainly have unforeseen advantages in the future. Hence, there is absolutely no reason to be concerned that the new unit may cause any problems.
But timber can be an issue.
Yes, this issue may come at the outset. But over time, that problem will disappear by itself. That will require the mindset of the industry to come up with its own growth plan. There is a basic need to be cooperative with farmers. We have to encourage them to plant more and more saplings. There is only one way that we should all accelerate our pace of plantation and continue planting with farmers as much as possible.
Strategy to prevent the timber scarcity in the future?
We all must collectively promote the plantation of Eucalyptus, Poplar, and Simul. The higher the number of trees planted, the greater the availability of timber in the future. The Plywood Association must also work together in this regard so that plantation can be promoted collectively. Now, farmers are also assured and certain to obtain a fixed viable rate for their timber that will automatically be fixed over time.
Good nurseries and good plants should be available so that farmers can get good saplings for plantation. Nutrients in the soil should also be checked from time to time for which soil analysis is extremely important. Such type of laboratory should be available in the vicinity of farmers.
Can this affect the rate of plywood?
The rates have been stable for a long time and that is accepted by both producers and the market. If the increasing the supply in the market. In the meantime, it is expected that the market will see growth and the impact of the recession will diminish.
Will the market share of plywood will increase?
I believe that it should increase because the trend of people is increasing in furniture and interior decoration with every passing day. Hence, there is a lot of chance that the potential demand for plywood will increase in the future.
Do you consider MDF and particle board a challenge for the plywood industry?
I don’t think that there’s going to be any special particular challenge from these products due to the upcoming new units. Things will remain unchanged. Every product makes its space into the market based on its various characteristics.
Can the industry face a labor issue?
There may arise a labor crisis for a short period. At the moment, there is a shortage of labor. With the installation of new units, it is clear that the demand for labor will increase. To cope with this situation, manufacturers must make efforts at their own level.
The labor must be treated fairly. A policy should be formulated in the interest of labor and industry to keep them hooked up with the industry. Furthermore, when the plywood industry will grow as a hub, then the labor issue can also be resolved automatically. Also, it does not seem that there will be any major issue as the population and unemployment are increasing day by day, in general.
How to get the benefit from the technicians passed out from institutes like IPIRTI and FIR?
There will be tough competition, of course, as soon as production capacity increases in the market. We must always be careful about the quality of our produces so as to protect the place we have captured in the market. We will need skilled staff to maintain the quality of the products. Then naturally there will be a lot of opportunities in the industry for the youth passing out from the institutes.
यू.पी. भी प्लाईवुड के केन्द्र के तौर पर विकसित होगा
यूपी में नए लाइसेंस आने से प्लाईवुड बाजार पर क्या असर हो सकता है?
मेरे हिसाब से यूपी में नई फैक्ट्री के लगने से इसका प्रदेश के व्यापार पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यूपी भी प्लाईवुड के एक केंद्र के तौर पर विकसित होगा। जिसमें हम वह सारे लाभ देख पा रहे हैं, जो अभी सिर्फ यमुनानगर और केरल को मिल रहें है। निश्चित ही इसका आने वाले समय में अप्रत्यासित लाभ होगा। इसलिए नई यूनिट से किसी तरह की दिक्कत आ सकती है, यह सोचकर किसी को भी परेशान होने की कतई आवश्यकता नहीं है।
लेकिन लकड़ी की दिक्कत तो आ सकती है
हां शुरुआत में यह दिक्कत आ सकती है। लेकिन समय के साथ यह समस्या भी अपने आप दूर हो जाएगी। इसके लिए उद्योग को अपनी योजना बनानी होगी। किसानों को सहयोग करना होगा। उन्हें प्रेरित करना होगा कि वह ज्यादा से ज्यादा पौधा रोपण करें। इसका बस एक ही तरीका है कि हम सभी पौधा रोपण पर अपनी रफ्तार तेज करें और जितना हो सके स्वंय भी किसानों के साथ प्लांटेसन करते रहें।
भविष्य में लकड़ी की दिक्कत न आए, इसे लेकर क्या रणनीति हो।
हम सभी को मिल कर सफेदा, पोपलर और सेमल के पौधारोपण को बढ़ावा देना होगा। जितना ज्यादा पौधा रोपण होगा, भविष्य में लकड़ी की उपलब्धता उतनी ही आसानी से होगी। प्लाइवुड एसोसिएशन को भी मिलकर इस दिशा में काम करना होगा। ताकि सभी मिल कर पौधा रोपण को बढ़ावा दे सकें। अब किसानों को भी यह भरोसा हो गया है कि उन्हें अपनी लकड़ी का एक निश्चित और उचित कीमत मिलती रहेगी । जो कि समय के साथ अपने आप वास्तविक सही अवस्था में आ जाएगी।
हां, किसानों को पौधारोपण के लिए अच्छे पौधे मिले, इसके लिए अच्छी नर्सरी उपलब्ध होनी चाहिए एवं नर्सरी में अच्छे पौधे उपलब्ध होने चाहिए। समय – समय पर भूमि में पोषक तत्वों की जांच होनी चाहिए। जिसके लिए मिट्टी की जांच बेहद जरूरी है। और इस तरह की प्रयोगशाला किसानों के आस पास उपलब्ध होनी चाहिए।
क्या इससे प्लाईवुड के रेट पर असर आ सकता है।
अभी काफी समय से रेट एक जैसे चल रहे हैं। उत्पादकों और बाजार ने इसे स्वीकार भी कर लिया है। आने वाले समय में यदि यूनिट ज्यादा होती है, तो निश्चित ही उत्पादन बढ़ेगा, तो बाजार में माल की आपूर्ति ज्यादा होगी। लेकिन तब तक उम्मीद है, बाजार भी खुलने लगेगा और मंदी का असर कम होता जाएगा।
बाज़ार में प्लाईवुड की हिस्सेदारी बढ़ेगी?
मेरे हिसाब से ये बढ़नी चाहिए। क्यों कि दिन प्रतिदिन लोगों का रुझान फर्नीचर और इंटीरियर डेकोरेशन में बढ़ रहा है। इसलिए भविष्य में प्लाइवुड की मांग बढ़ने की पूरी संभावना है।
एम डी एफ और पार्टिकल बोर्ड को क्या आप चुनौती मानते है?
नई फ़ैक्टरी लगने से, मेरे हिसाब से, इन उत्पादों से कोई विशेष चुनौती नहीं मिलने वाली है। जो वर्तमान में है ,उसी प्रकार की स्थिति रहने वाली है। हर प्रोडक्ट अपनी अलग विशेषताओं के हिसाब से ही बाजार में अपनी जगह बनाता है।
क्या इंडस्ट्री को लेबर की समस्या आ सकती है?
दक्ष लेबर की समस्या थोड़े समय के लिए आ सकती है। अभी लेबर की कमी है। अब जबकि नए प्लांट आएंगे तो जाहिर है, लेबर की डिमांड बढ़ जाएगी। इससे निपटने के लिए उद्योगपत्तियों को अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। लेबर के साथ उचित व्यवहार होना चाहिए। इस तरह की नीति बने जो लेबर और उद्योग के हित में हो। जिससे वह उद्योग के साथ जुड़े रहें। इसके अलावा ,जब प्लाइवुड इंडस्ट्री एक केंद्र की तरह विकसित होगी, तो लेबर की समस्या भी खुद ब खुद दूर हो सकती है। जिस तरह से जनसंख्या और बेरोजगारी बढ़ रही है, इससे समस्या आ सकती है।
आईपीआईआरटीआई; (IPIRTI), एफ आई आर; (FRI) जैसे संस्थान से पास आउट दक्ष तकनीकों से कैसे फायदा उठा सकते हैं?
जैसे ही बाजार में उत्पादन क्षमता बढ़ती है, तो निश्चित ही कंपीटिशन आएगा। अपनी बनाई हुई जगह को सुरक्षित रखने के लिए, तब माल की गुणवत्ता पर भी हमेशा ध्यान देना पडे़गा। माल की एक निश्चित गुणवत्ता बनाए रखने के लिए दक्ष कर्मचारियों को होना जरूरी है। तब संस्थानों से निकले युवाओं के लिए, स्वाभाविक रूप से उद्योग में अवसरों की भरमार होगी।