Rohit Vashistha
- नवम्बर 7, 2021
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‘International’ Phenomena and organized players are controlling the market.
Raw material prices are sky rocketing. It appears that some invisible forces are controlling the whole scenario. This is an unprecedented moment, not seen in life time. These sentiments were expressed by Rohit Vashishta of Trikalp Laminates. Talking with Plyinsight, Rohit was hopeful that, “We must prepare strategy to turn disaster into opportunity”.
Today’s Circumstances
Laminate industry is also facing a difficult time. Whereas the overall global markets are fluctuating, organized players have added the wounds in the woes. Prices of raw material are on peak. For instance, melamine which was at Rs. 80-90 some 8-9 months back, reached at its peak level for Rs. 330-340. At present, it is at Rs. 320 from some time. We have seen ups and down earlier also, when prices were used to normalize whenever the supply of material became normal.
Inflation for such a long period is worrysome. It seems that some external power is controlling the market.
How do you visualize the problem?
It is paining everywhere. Uncertainty is prevailing in the industry. Everyone is confusing in tackling the situation. We are aware that situation is uncontrollable but it is really uncomfortable. Until the volatility stops in the market, there will be no consolation.
Prices of phenol & other chemicals are increasing along with paper. Every imported material is vulnerable, making the industry unstable. Situation is getting worse. Although most of the player have reduced producing linear, yet this is not the solution. Because linear is essential to supply with 0.8mm despite the rates. Handling the market without making losses is a serious matter at present. There is no simple solution visible, in near future.
But the demand in furniture sector is increasing.
There is short supply in the market, as the production is controlled at present. It is reflected as demand, which is not real. Actually linear is demanded more, which we are resisting to produce, as the margins are very low in the segment.
Economical products are always sought for, in furniture segment. They are getting more than 50 colours in the linear, which almost fulfills their requirement. Linear is always in demand because it is popularly used in inner side of the furnitures.
As linear is unprofitable at present, production increase is a challenge without linear.
What do you feel the root cause of it?
Frequent variation in raw material prices is the basic problem. Large manufacturers who have the ability to purchase in volume, gets the edge benefit, making their products some what economical. Investment on melamine has gone upto Rs. 70-75 lakhs which was only 20-25 lakhs some time back. Major energy is dried to fill this enormous gap. This is toughest period for manufacturer, expecting for a stable market. Lots of mental strength is needed to absorb the stress.
What should be the planning?
Although our margins are squeezed, yet, we came to the conclusion that we should stay full heartedly on our specialized product, with the aim to capture the market. Linear is not a choice at present. We are relying on the production of single press.
There is always an opportunity in calamity. We are focusing on enhancing the production of our second line, amidst the tight market, to boost ourselves. Optimum production certainly relieves overhead expenses. There is sufficient demand for other categories along with linear.
How are you preparing for it?
More finance has to be introduced for managing raw material. Full efforts are toward the capacity utilization of both press. We stand firmly with full optimism accepting the challenges in the prevailing market conditions.
Covid has given us new opportunities and perspective. There is no way to avoid efforts half heartedly, but in fact we are here to shel out our hundred percent.
The best feature in the laminate industry is that, we are selling our product in our brand. Based upon this we are out to find new horizons.
वैश्विक परिस्थितियों और आर्गनाइज्ड प्लेयर ने मिल कर बाजार हिला रखा है
कच्चे माल के दाम आसमान को छू रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति सब कुछ कंट्रोल कर रही है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। जिस तरह की स्थिति इस बार बनी हुई है। यह कहना है त्रिकल्प लेमिनेट के रोहित वशिष्ठ का। द प्लाईइनसाइट से बातचीत करते हुए रोहित वशिष्ठ ने बताया कि यह भी सच है, ‘मुश्किलें अपने आप में अवसर भी लेकर आती है।
आज की परिस्थितियां
यह वक्त लेमिनेट के लिए थोड़ा मुश्किल है। एक ओर वैश्विक परिस्थितियों ने जहां परेशान कर रखा है, वहीं दूसरी ओर आर्गनाइज्ड प्लेयर ने बाजार को हिला रखा है। सप्लयारों ने कच्चे माल के रेट इतना बढ़ा दिए कि काम करना मुश्किल हो रहा है। मेलामाइन, जो आठ नौ माह पहले तक 80 से 90 रुपए पर था, वह 330 से 340 तक पहुंच गया। अब वह 320 रुपए पर टिका हुआ है। पहले ऐसा नहीं होता था। यदि दाम बढ़ भी गए, तो कुछ समय के लिए बढ़ते थे, बाद में सब सामान्य हो जाता था। किसी समय विशेष में बाजार में शार्टेज आदि हो गई, तो दाम बढ़ जाते थे। जैसे ही सप्लाई सामान्य होती थी, दाम भी नीचे आ जाते थे। लेकिन इतने लंबे समय के लिए महंगाई बढ़ना चिंता का विषय है। ऐसा लगता है कि कोई बाजार को नियंत्रित कर रहा है।
किस तरह की दिक्कत सामने दिख रही है ?
यह बहुत तकलीफदेह है। क्योंकि इससे इंडस्ट्री में अनिश्चितता बनी हुई है। कोई भी उत्पादक निर्णय नहीं ले पा रहा कि क्या किया जाए। इसमें दो राय नहीं कि महंगाई बढ़ी, लेकिन इतनी महंगाई इतने लंबे समय तक नहीं होनी चाहिए। बाजार में जबरदस्त उतार चढ़ाव है। जब तक बाजार में यह उतार चढ़ाव थम नहीं जाता, तब तक सभी को दिक्कत रहेगी।
अब देखिए फेनोल का रेट बढ़ रहा है। पेपर का रेट बढ़ रहा है। जो भी आयातित कच्चा माल है, सभी में तेजी है, स्टेबिलिटी नहीं है। इस वजह से ज्यादा दिक्कत है। इसके चलते ज्यादातर इंडस्ट्री ने लाइनर बनाना कम कर दिया। दिक्कत यह है कि .8 के साथ लाइनर देना ही पड़ेगा। इसके बिना चल नहीं सकता। रेट चाहे जो भी हो। अब क्योंकि बाजार को भी संभालना है। अपने आप को भी संभालना है। इसका कोई समाधान सीधे- सीधे नजर नहीं आ रहा है।
लेकिन फर्नीचर सेक्टर में मांग बढ़ रही है
उद्योग में उत्पादन कम किया हुआ है, जिसकी वजह से सप्लाई कम है। इससे बाजार में लग रहा है कि डिमांड है। लाइनर की डिमांड आ रही है। लेकिन हम इच्छुक नहीं है। क्योंकि बिना मार्जन के उत्पाद तैयार करना चुनौती पूर्ण है।
फर्नीचर वाले को हमेशा किफायती ही चाहिए। लाइनर पर भी उन्हें इतनी ज्यादा वैरायटी मिलने लगी है कि उनका काम लगभग पूरा हो जाता है। क्योंकि अब लाइनर में 50 से ज्यादा कलर उपलब्ध हैं। लाइनर इनर में तो लगता ही है, जिससे इसकी डिमांड तो हमेशा ही बनी रहती है।
चुंकि लाइनर अभी पड़ते में नहीं आ रहा है। और बिना लाइनर के सप्लाई बढ़ा नहीं सकते।
तो इस समस्या की जड़ आप किसे मानते हैं?
रोज के वेरिएशन ने समस्या पैदा कर रखी है। बड़े उत्पादक तो बड़ी मात्रा में खरीद लेते हैं, जो उनको किफायती पड़ जाता है। हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। जो मेलामाइन 20 से 25 लाख का लगता था, आज उसकी लागत 70 से 75 लाख रुपए में पहुंच गयी। इस गैप को खत्म करने में मुश्किलें आ रही हैं। बाजार में बने रहने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। यह बहुत मुश्किल वक्त है उत्पादक के लिए। इस इंतजार में कि बाजार में ठहराव आए। इसमें तो अपने आप में धैर्य बनाए रखना काफी मानसिक तनाव दे रहा है।
इस हालात से कैसे निकल सकते हैं?
हमारा मार्जिन तो कम हुआ है, लेकिन यह भी समझ आया कि जिस उत्पाद में महारत है, उसी पर फोकस करें। जिससे बाजार में बने रह सकते हैं। इस वक्त लाइनर बनाना किसी भी उत्पादक के लिए उत्साहवर्द्धक नहीं है। हम अभी तो फिलहाल एक प्रेस में जितना माल तैयार हो जाता है इसी पर फोकस कर रहे हैं।
आपदा अपने आप में एक मौका भी लेकर आता है। आज बाजार टाइट है, मगर हम इस पर फोक्स कर रहे हैं कि हम अपनी दूसरी प्रेस का उत्पादन बढ़ा सकें। क्योंकि जितना अधिक उत्पादन होगा, उतना ही हम खुद को मजबूत कर सकते हैं। उत्पादन बढ़ने से ओवर हेड कास्ट भी कम होती है। आज बाजार में अन्य केटेगरी के साथ लाइनर के भरपूर आर्डर है। हम जल्दी से जल्दी फुल उत्पादन पर आने की कोशिश कर रहे हैं। और इस मौके का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके लिए क्या तैयारी कर रहे हैं?
इसके लिए रॉ मैटेरियल में अतिरिक्त पैसा डालना होगा। कोशिश यहीं कि दूसरी प्रेस फुल कैपेसिटी पर चले। इस मौके पर हम पूर्णतः सकारात्मक सोच रहे हैं और मजबूती से खड़े हैं, यह चुनौती स्वीकार करते हुए कि कंपटीशन भी इसी बाजार में, इन्ही हालात में करना होगा।
कोविड ने हमें नयी सोच और नजरिया दिया है। आधे अधूरे प्रयास से काम नहीं चलने वाला है। बल्कि हम अपना सर्वोत्तम देने की तैयारी कर रहे हैं। लेमिनेट में हमारे लिए अच्छी बात यह है कि इसका ब्रांड उत्पादक के नाम पर रहता है, यह उत्पादक के लिए अच्छा है। इसी को आधार बना कर हम अपना कार्यक्षेत्र विस्तृत करने की ओर अग्रसर हैं।