SAFETY, A COST AND AN OPPORTUNITY

सुरक्षा मानकों में कमी हर तरफ दिखाई देती है और भारतीय व्यवस्था में यह पैठ बना चुकी है। निर्माण गतिविधियों, परिवहन व्यवस्था, कार्य स्थलों, साफ-सफाई के कार्यों, सार्वजनिक स्थलों, पर्यटन क्षेत्र, अस्पतालों और शैक्षिणक संस्थानों आदि में सुरक्षा इंतजाम बढ़ाने की सख्त जरूरत है।

इसके अलावा, स्वच्छ पानी, हवा और भोजन की उपलब्धता भी सुनिश्चत की जानी चाहिए। हमें प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए भी ठोस सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता है। देश के नागरिकों आवारा कुत्तों, रोडरेज की घटनाओं, गैस लीक हादसों, भगदड़, जहरीली शराब, जलभराव, धोखाधड़ी, यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म, सड़क किनारे खुले पड़े बिजली के पैनल, सौशल मीडिया पर ट्रोलिंग, अतिक्रमण और कर्ज धोखाधड़ी जैसे आज के दौर में आम हो चुके परेशान करने वाले कारकों से बचाव के उपाय करने ही होंगे।

दरअसल, उच्च सुरक्षा मानक लागू करने में लागत आती है। सूक्ष्म अर्थव्यवस्था के स्तर पर यह सच है, लेकिन व्यापक आर्थिक स्तर पर यह एक अवसर है।

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यह सच है कि जब कोई संस्थान सुरक्षा पर अधिक खर्च करता है तो वह दूसरी मदों में कटौती कर देता है। उद्योग में सुरक्षा मानक बढ़ाये जाने पर, प्राथमिक तौर पर लाभ प्रभावित हो सकता है, लेकिन उद्योग में नई नौकरियां उत्पन्न होती हैं और बड़े स्तर पर लाभ बढ़ता है। कुल मिलाकर इसका फायदा हो सकता है।

यद्यपि सुरक्षा मानकों में लगातार परिवर्तन किए जाने की जरूरत है। यह एक नियमित प्रक्रिया होनी चाहिए। इस प्रकार अलग-अलग क्षेत्रों की जरूरतों को एक-एक कर पूरा करने की आवश्यकता है और आर्थिक सुधारों के महत्त्व को अच्छी तरह प्रचारित करने और लगातार इनकी स्वीकृति बढ़ाने की आवश्यकता है।

कुल मिलाकर, उच्च सुरक्षा मानक अपनाने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और आर्थिक कल्याण में वृद्धि हो सकती है, जो सुरक्षा के मौजूदा स्तर से कहीं अधिक हो सकती है। नतीजा यह है कि यदि सार्वजनिक प्राधिकरण सावधानीपूर्वक सुरक्षा मानकों में इजाफा करतें हैं, तो जनता कहीं अधिक सुरक्षित होगी और जीडीपी भी थोड़ी तेज गति से बढ़ सकती है।


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