लंबी छलांग लगाने को उत्सुक भारत के उद्योग जगत के लिए कुशल और अकुशल दोनों तरह के श्रमिकों की भारी कमी बड़ी बाधा बन रही है।

प्रतिभा की कमी उद्योग में एक स्थायी मुद्दा रहा है। ऐसा लगता है कि कुशल श्रमिकों की कमी ने भारत की कंपनियों को सर्वाधिक प्रभावित किया है। उद्योग ने इस कमी के लिए भारत में बढ़ती मांग को जिम्मेदार बताया है, जबकि अन्य कारक भी श्रमिक आपूर्ति को प्रभावित कर रहे हैं।

उद्योग के अनुसार सभी श्रमिक कुशल नहीं हैं और जिन्हें हम कुशल बनाते हैं वे बेहतर वेतन के लिए पश्चिम एशियाई देशों का रुख कर लेते हैं। कंपनियों के लिए कार्यक्षेत्र में वातानुकूलित कार्य वातावरण की प्राथमिकता श्रम आपूर्ति की प्रभावित करने वाला एक और बड़ा कारण है।

कमी पड़ रही भारी

वैश्विक महामारी कोविड के बाद से श्रमिक अपने नजदीक के इलाके में ही काम करना चाहते हैं।

उद्योग के कई लोगों का कहना है कि श्रमिकों की कमी के लिए कौशल अंतर को विशेष रूप से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मुख्य क्षेत्रों से लेकर सेवाओं तक समस्या व्यापक है और यह इंजीनियरों से लेकर दिहाड़ी मजदूरों तक विभिन्न स्तरों तक मौजूद है।

विनिर्माण क्षेत्र में 10 से 20 फीसदी कार्यबल की कमी है, जिससे मशीन ऑपरेटर, वेल्डर, फिटर, ड्राइवर, तकनीशियन, बढ़ई, प्लंबर जैसे सामान्य काम प्रभावित हो रहे हैं।

त्योहारों, फसलों की बोआई और कटाई जैसे मौसमी कारकों सहित विभिन्न कारणों से संगठनों को बेहतर श्रमिक खोजने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ई-कॉमर्स, परिवहन, निर्माण और इवेंट मैनेजमेंट क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर से भी आपूर्ति पक्ष पर दबाव पड़ता है।

वेतन

कमी का असर कई तरीकों से हो रहा है। श्रमिकों की कमी के कारण मजदूरी बढ़ गई हैं।

उद्योग को अप्रत्यक्ष झटका तब लगता है जब श्रमिकों की कमी के कारण स्थानीय निर्माण गतिविधियों में मंदी आती है और इससे मांग पर असर पड़ता है। यह मौजूदा कई तिमाही में देखने को मिला है जब आम जनों को चुनाव, भीषण गर्मी सहित कई अन्य कारणों से श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ा।‘

कमी पाटने पर दे रहीं ध्यान

कंपनियां कई तरीकों से इस कमी को पूरा करने की दिशा में काम कर रही है। आमतौर पर, ठेकेदार कार्यबल संभालते हैं। मगर अब जब संकट है तो विभिन्न क्षेत्रों और परियोजनाओं के लिए उपलब्ध स्थानों से लोगों को आकर्षित करने के लिए अपनी टीमें भेजकर आपूर्त्ति की कोशिश की जा रही है।

कौशल और उन्नयन कमी दूर करने के लिए कई तरीके आजमाए जा रहें कई सारी री-स्किलिंग और अपस्किलिंग की जा रही है। कंपनियां अब संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों के साथ करार कर रहे हैं और उनका ध्यान कामगारों को फिर से कुशल बनाने पर है।

कार्यबल को बरकरार रखना भी चुनौती

नई नियुक्ति करना चुनौती है मगर कार्यबल को बरकरार रखना भी कोई आसान काम नहीं है। बेहतर सुविधाएं देना भी अब एक बड़ी प्राथमिकता है। श्रमिकों को आकर्षित करने और कंपनी में बरकरार रखने के लिए रहने की बेहतर सुविधाए परिवहन सुविधाएं और कुछ मनोरंजन गतिविधियों समेत विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने पर भी कंपनियां अब ध्यान दे रही हैं।