Slower Demand for budget housing mkt
- अगस्त 31, 2021
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Amid widespread economic distress and sinking income levels, the country’s real estate sector is undergoing a massive overhaul. This comes at a time when a broad swathe of consumers is cutting down on expenses, further crimping the affordable housing market.
The data from market analyst firm Anarock property research shows the share of affordable homes (priced below R40 lakh) in the overall new launches in the top seven metros fell sharply since the Covid-19 pandemic upended lives in India. From 40 per cent in early 2020, its share is now down to 20 per cent (April-June2021).
Meanwhile, the demand for new launches in the luxury segment (priced between R80 lakh and R1.5 crore) has shot up.
Till end 2019, while it had 15 per cent share of the newly launched projects, it grew to 20 per cent by the end of 2020 and to 36 per cent in the June 2021 quarter. The share of mid-segment homes (R40-80 lakh) stood at 32 per cent in June, after growing to 40 per cent in the calendar year 2020.
Once the key driver of volumes in the residential real estate market, the steady fall of the affordable segment if rooted in the ongoing crisis. According to industry experts and realtors, multiple factors have led to the recent slowdown, with both demand and supply getting hit.
According to Anarock, of the total 654,000 unsold units in the top seven cities end June, the affordable segment comprises 33 per cent – the highest in comparison to any other price segment.
सस्ती आवास परियोजनाओं की घटी मांग
आर्थिक दबाव और घटती आय से उत्पन्न प्रतिकूल हालात के बीच देश का रियल एस्टेट क्षेत्र बड़े बदलाव से गुजर रहा है। मौजूदा आर्थिक तंगी के बीच देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपने खर्च में कटौती कर रहा है, जिसका सीधा असर सस्ती आवास परियोजनाओं के बाजार पर दिख रहा है।
बाजार पर शोध करने वाली कंपनी एनारॉक रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार देश के सात सबसे बड़े शहरों में शुरू हुई नई परियोजनाओं में सस्ते आवास खंड ( 49 लाख रुपये से कम मूल्य वाले मकान ) की हिस्सेदारी कोविड-19 महामारी के बाद तेजी से कम हुई है। वर्ष 2020 में सस्ते आवास खंड की इसमें 40 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जो अप्रैल-जून 2021 में कम होकर 20 प्रतिशत रह गई है।
इस बीच, महंगे मकानों ( 80 लाख से 1.5 करोड़ रुपये के बीच ) की मांग और इनसे जुड़ी परियोजनाएं तेजी से खड़ी हो रही हैं।
2019 के अंत तक नई परियोजनाओं में इस खंड की हिस्सेदारी मात्र 15 प्रतिशत हुआ करती थी, जो जून 2021 तिमाही में यह और बढ़कर 36 प्रतिशत तक पहुंच गई। नई परियोजनाओं में मझोले खंड (40 लाख से 80 लाख रुपये कीमत वाले मकान) के मकानों की हिस्सेदारी जून में 32 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
रियल एस्टेट बाजार में कभी बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले सस्ते आवास खंड का दबदबा लगातार कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण कोविड महामारी से पैदा हालात हैं। उद्दोग जगत के विशेषज्ञों और रियल एस्टेट कारोबारियों के अनुसार मौजूदा मंदी के कई कारण हैं।