Strict Quality Control rules demanded for imported Gloves

देश के नाइट्राइल ग्लव्स ( हाथों को संक्रमण से बचाने के लिए प्रयोग होने वाले दस्ताने, जिसे ज्यादातर डॉक्टर इस्तेमाल करते हैं) निर्माताओं ने सरकार से मांग की है कि आयात से होने वाले ग्ल्ब्स डंपिंग पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जाएं।

नाइट्राइल ग्लव्स निर्माताओं की मांग

  1. बाजार में डंपिंग की वजह से कम गुणवत्ता वाले सस्ते दस्तानों की बाढ़ आ गई है।
  2. एक निर्माता ने कहा, “भारत में नाइट्राइल ग्ल्ब्स का उत्पादन हमारे देश की बढ़ती विनिर्माण क्षमता का प्रमाण है। हमें गर्व है कि हम प्रधान मंत्री के मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को अपनाते हुए अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और बीआईएस ने हमेशा उच्च मानक बना रखे हैं।
  3. निर्माताओं का कहना है कि थाईलैंड, मलेशिया और चीन जैसे देशों से घटिया ग्लव्स विभिन्न गैर-चिकित्सा एचएसएन कोड के तहत भारत में डंप किए जा रहे हैं।
  4. एक अन्य दस्ताने निर्माता ने कहा, ”कुछ आयातक इस कोशिश में हैं कि ग्लव्स के गुणवत्ता मानकों में बदलाव कराया जाए। जिससे देश में कम गुणवत्ता के दस्तानों का आसानी से आयात हो सके।“
  5. भारत में ग्लब्स निर्माता कोविड के दौरान से बीआईएस के गुणवत्ता मानकों के अनुरूप ही उत्पाद का निर्माण कर रहे हैं। ग्लब्स निर्माता तय मानकों के अनुसार निर्माण करने में सक्षम हैं, और उन्होंने सरकार से मानकों को कम करने का भी आग्रह भी नहीं किया है।
  6. कम गुणवत्ता वाले ग्लव्स आयात करने वालों का तर्क है कि इनका इस्तेमाल मेडिकल में नहीं बल्कि मछली पालन, हाउसकीपिंग, सफाई में किया जाएगा। लेकिन यह सच नहीं होता। यह दस्ताने रिपेकिगं करके मेडिकल में सर्जरी, मेडिकल सेवाओं के दौरान के साथ साथ उन क्षेत्रों में भी भेज दिए जाते हैं, जहां संक्रमण का अंदेशा बना रहता है।

Ristal Laminates gif

प्लाईवुड उद्योग भी इसी तरह की समस्या से दो चार हो रहा है काबिल ए ज़िक्र है जिस तरह से ग्लव्स निर्माता सस्ते व कम गुणवत्ता वाले आयातित दस्तानों को लेकर परेशान है। ठीक उसी तरह की समस्या प्लाईवुड निर्माताओं को भी आ रही है। भारत में नेपाल, चीन, थाईलैंड जैसे देशों से सस्ता प्लाईवुड डंप किया जा रहा है। इससे बाजार में सस्ते प्लाईवुड की बाढ़ आई हुई है। परिणाम यह हुआ कि स्थानीय प्लाइवुड निर्माता मुश्किल मे हैं। क्योंकि कीमत को लेकर उन्हें आयातित प्लाईवुड से प्रतिद्वंद्विता करनी पड़ती है। अब यदि आयात होने वाले प्लाईवुड के गुणवत्ता मानक कड़े होंगे तो निश्चित ही इससे हमारे प्लाईवुड निर्माताओं को काफी लाभ हो सकता है।

ग्लव्स निर्माता जो मांग कर रहे हैं, प्लाइवुड निर्माताओं के लिए DPIIT पहले ही यह कदम उठा रहा है।

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