Structural complexities of investment in research sector

हालांकि यह सच है कि एक विकासशील देश, अनुसंधान एवं विकास पर कम खर्च करता है क्योंकि इसके पास यह गुंजाइश होती है कि यह अमीर देशों से नई प्रौद्योगिकी ले सके। हालांकि ऐसा करने के लिए भी कुछ स्तर तक आरऐंडडी की आवश्यकता होती है। जब भारत में हरित क्रांति हुई तब दूसरी जगह तैयार हुए अधिक उपज वाले बीज की किस्में लाने में देश सक्षम हुआ क्योंकि भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल इन्हें ढालने का अपना आरऐंडडी बुनियादी ढांचा था।

भारत फार्मा के क्षेत्र में भी सफल रहा क्योंकि इसके पास रिवर्स इंजीनियर फार्मास्यूटिकल्स और जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त शोध क्षमताएं थीं।

भारत के आरऐंडडी का एक बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य (18 प्रतिशत), कृषि (13 प्रतिशत), अंतरिक्ष (9 प्रतिशत) और रक्षा क्षेत्र (17 प्रतिशत) में खर्च होता है जबकि 10 प्रतिशत से भी कम औद्योगिक उत्पादन, प्रौद्योगिकी से लेकर परिवहन एवं दूरसंचार क्षेत्र में खर्च होता है।

भारत में आरऐंडडी क्षेत्र के खर्च में कमी सार्वजनिक क्षेत्र नहीं बल्कि निजी क्षेत्र के कम योगदान के चलते बनी हुई है जबकि इस क्षेत्र में आरऐंडडी का बजट बहुत अधिक होना चाहिए।

अब सवाल यह भी है कि भारत के निजी क्षेत्र से शोध एवं विकास पर इतना कम खर्च क्यों होता है? हम जानते हैं कि ज्ञान की सुरक्षा करना इतना आसान नहीं है। इसकी चोरी आसानी से हो सकती है या यह पूरी तरह से गायब भी हो सकता है खासतौर पर अगर यह ज्ञान शोध करने वाले व्यक्ति के पास है।

निजी कंपनियां आरऐंडडी में कम निवेश क्यों करती हैं? भारत में कई वर्षों से आरऐंडडी के लिए कॉरपोरेट कर प्रोत्साहन दिया जाता था लेकिन वर्ष 2018 में कॉरपोरेट कर घटाने के साथ ही इन्हें खत्म कर दिया गया। इसके लिए एक तर्क यह दिया गया कि पिछले कर प्रोत्साहनों से आरऐंडडी में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई। हालांकि यह भी संभव है कि इनकी संरचना ठीक नहीं होगी जिसकी वजह से ऐसा नहीं हो पाया होगा।

जाहिर तौर पर आगे का रास्ता यही है कि निजी क्षेत्र के आरऐंडडी निवेश के लिए बेहतर प्रोत्साहन योजनाएं तैयार की जाएं। इसके साथ ही हमारे बड़े विश्वविद्यालयों और संस्थानों को शोध एवं विकास की प्रणाली की ओर अच्छी तरह आकर्षित करना होगा न कि इस बात पर जोर दिया जाए कि आरऐंडडी कुछ जगहों तक ही सीमित हो और हम इसके सीमित निष्कर्षों पर ही संतुष्ट हो जाएं।

निजी कंपनियों के शुद्ध मुनाफे पर 2 प्रतिशत कर लगाने के बजाय निजी क्षेत्र की ऊर्जा अगर आरऐंडडी पर अधिक लगाने पर केंद्रित की जाए तो यह अधिक मददगार साबित होगा।

अजय छिब्बर