Super Agency to Probe Financial Fraud
- मार्च 5, 2021
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The government could soon set up an omnibus agency to investigate financial sector frauds. If it comes through, the proposal, which is now shuttling between the finance and home ministries, is likely to land on the latter’s plate.
The government is expected to tout the move as a means to facilitate ease of doing business in the country. Having to deal with just one agency would be much more convenient for business if they are called upon to appear in a case. At present, they have to run between multiple agencies.
The proposal has come from the Confederation of Indian Industries (CII) as part of its pre-Budget wish-list. Government officials said there were discussions with business leaders at more than one for a on the topic before it made its way into the list.
The CII proposal says: “Create a single specialized agency manned with relevant expertise to investigate financial sector frauds. Alternatively, improve coordination between the existing multiple agencies and strengthen their expertise.”
Several attempts have been made over the past two decades to create such a common, overarching agency. The latest of those was the Serious Fraud Investigation Office (SFIO). But since it operates only under the Companies Act, there are plenty of cases where other investigating agencies run parallel efforts. Yet the Naresh Chandra Committee, which was formed after the Satyam scam case, envisaged the SFIO as a super agency to tackle frauds that needed a multidisciplinary task force.
The international Financial Action Task Force (FATF), too, has often encouraged India to set up an overarching body on financial fraud.
वित्तीय धोखाधड़ी की जांच के लिए सुपर एजेंसी
सरकार जल्द ही वित्तीय क्षेत्र की धोखाधड़ी की जांच के लिए जल्द ही एक एजेंसी का गठन कर सकती है। इस प्रस्ताव पर वित्त और गृह मंत्रालयों के बीच चर्चा हो रही है।
सरकार इस कदम को देश में कारोबार सुगमता की सुविधा के कदम के रूप में देख रही है। अगर सिर्फ एक एजेंसी के पास मामला हो तो मामले में अपना पक्ष रखने में कारोबारियों को ज्यादा सुविधा होगी। इस समय उन्हें विभिन्न एजेंसियों के पास जाना होता है। यह प्रस्ताव भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की ओर से बजट पूर्व सुझाया गया है।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि कारोबार के दिग्गजों के साथ इस मसले पर कई मंचों पर चर्चा हुई थी। सीआईआई के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘वित्तीय क्षेत्र के धोखाधड़ी की जांच के लिए एक संबंधित विशेषज्ञता एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए। जो वैकल्पिक रूप से मौजूदा कई एजेंसियों के बीच तालमेल बेहतर करने और उनकी विशेषज्ञता बेहतर करने का काम कर सकती है।’
पिछले दो दशक में इस तरह की साझा और हर जगह पहंुच वाली एजेंसी बनाने की कवायद की गई है। इसमें सबसे नई गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसेफआईओ) है। लेकिन जब से यह एजेंसी काम कर रही है, सिर्फ कंपनी अधिनियम पर काम कर रही है, क्योंकि इसके पास ढेरों मामले हैं। वहीं अन्य जांच एजेंसियां समानांतर कवायद कर रही है। सत्यम मामले के बाद गठित नरेश चंद्र समिति ने एसएफआईओ को सुपर एजेंसी के रूप में देखा था, जिससे धोखाधड़ी पर लगाम लगाया जा सके।
इंटरनैशनल फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भी, अक्सर भारत को प्रोत्साहित किया है, कि वित्तीय धोखाधड़ी के लिए हर क्षेत्र में पहुंच वाले निकाय का गठन किया जाना चाहिए।