Sustained growth in GST
- जुलाई 11, 2023
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The government’s tax collection has maintained a decent growth rate in the last couple of years even as the economy has recovered from the Covid shock. Inflation has played a role in this by contributing to higher nominal economic growth, but there are also a few other factors at play.
More significantly, growth in collection from the different types of taxes is not uniform and this too needs to be examined to understand if the post-Covid trend of higher tax collection is sustainable.
After suffering a decline of almost 8 per cent in 2019-20 and another 10 per cent in 2020-21, direct taxes are on a roll — they bounced back with a growth rate of 49 per cent in 2021-22 and again with 18 per cent in 2022-23. The performance of goods and services tax (GST) was even better in the post-Covid years.
Growth in GST collection in 2019-20 was 4 per cent but collection fell by 7 per cent in the first Covid year of 2020-21. But the growth rate skyrocketed to 31 per cent in 2021-22 and 22 per cent in 2022-23.
The notable feature of the government’s tax performance is that recovery in GST collection and its quality have been far more encouraging than the increase seen in direct taxes.
The steady improvement in GST collection in the last few years has now become an established trend. The original design of GST, when it was launched in 2017, was problematic primarily because of the multiplicity of rates and the complexities involved in compliance. Some progress has been made in the last few years on making compliance less onerous for taxpayers, with the use of e-invoicing and other procedural simplification.
It would be reasonable to assume that the bump in GST collection witnessed in the last couple of years, in particular, is due to the combined effect of improved coverage, better compliance procedures, and, of course, the rising inflation rate. But, more importantly, the healthy rise in GST collection saw the tax’s share in GDP going up, recovering from the Covid shock much faster than direct taxes did.
The obvious question is: Can this growth in GST collection be sustained in the coming years?
There are many challenges. The problem of too many rate slabs persists with no moderation yet in the rates of several items. The current phase of healthy GST growth could be an opportunity for the government to address the long-pending problems afflicting the new indirect tax regime.
जीएसटी में टिकाऊ वृद्धि
बीते दो वर्षों में सरकार के कर संग्रह में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। यही वह अवधि है जब अर्थव्यवस्था कोविड के झटके से उबरने में कामयाब रही। इसमें मुद्रास्फीति का भी योगदान रहा क्योंकि उसने उच्च नॉमिनल आर्थिक वृद्धि की प्राप्ति में मदद की लेकिन इसके साथ ही कुछ अन्य कारक भी इसकी वजह रहे।
अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न प्रकार के करों के संग्रह में एकरूपता नहीं है और इसका भी परीक्षण करना आवश्यक है ताकि यह समझा जा सके कि क्या कोविड के बाद उच्च कर संग्रहण का रुझान टिकाऊ है भी या नहीं।
2019-20 में करीब 8 फीसदी की गिरावट और 2020-21 में 10 फीसदी की अतिरिक्त गिरावट की वजह से प्रत्यक्ष कर संग्रह काफी कम हुआ। लेकिन 2021-22 में 49 फीसदी और 2022-23 में 18 फीसदी की उछाल के साथ इनकी जबरदस्त वापसी हुई। कोविड के बाद के वर्षों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का प्रदर्शन और बेहतर रहा।
2019-20 में जीएसटी कर संग्रह 4 फीसदी था लेकिन 2020-21 में कोविड के पहले वर्ष में संग्रह में 7 फीसदी की गिरावट आई। परंतु 2021-22 और 2022-23 में इसमें क्रमशः 31 फीसदी और 22 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
सरकार के कर संबंधी प्रदर्शन में एक उल्लेखनीय बात यह रही कि जीएसटी संग्रह के प्रदर्शन और उसकी गुणवत्ता में प्रत्यक्ष करों की तुलना में अधिक उत्साहजनक सुधार नजर आया है।
जीएसटी संग्रह में बीते कुछ वर्षों में निरंतर सुधार हुआ और अब यह स्थापित रुझान हो गया है। जीएसटी के मूल डिजाइन में दिक्कतें थीं क्योंकि दरों में बहुलता थी और अनुपालन जटिल था। गत वर्षों में अनुपालन की दिक्कतें कम हुई हैं और अन्य प्रक्रियाओं को भी सहज बनाया गया है।
यह मानना उचित होगा कि जीएसटी संग्रह में बीते दो वर्षों में आई तेजी की एक वजह बेहतर कवरेज, अनुपालन में सुधार और मुद्रास्फीति की बढ़ती दर भी है। परंतु अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जीएसटी संग्रह में सुधार के कारण जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी भी बढ़ रही है।
जाहिर सवाल है कि क्या जीएसटी संग्रह में इस इजाफे को आने वाले वर्षों में बरकरार रखा जा सकेगा?
इस दिशा में कई चुनौतियां हैं। कई दरों की दिक्कत तो है ही, साथ ही कई वस्तुओं की दरों में भी कोई कमी नहीं की गई है। जीएसटी में अच्छी वृद्धि का मौजूदा दौर सरकार के लिए यह अवसर हो सकता है कि वह अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में लंबे समय से व्याप्त समस्याओं को दूर करे।