जीएसटी संग्रह और खर्च के बीच तालमेल
- जुलाई 13, 2024
- 0
पिछले वित्तीय वर्ष में, शुद्ध वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह (सकल संग्रह माइनस रिफंड) में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.6 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। इस वित्तीय वर्ष की भी मजबूत शुरुआत हुई है, जिसमें सकल संग्रह अप्रैल मे रिकॉर्ड 2.1 ट्रिलियन तक बढ़ गया, जो जुलाई 2017 में लेवीलागू होने के बाद से सबसे अधिक मासिक संग्रह है।
जीएसटी किसी भी समान की बिक्री से उस राज्य से प्राप्त होता है जिस राज्य में बिकती है। नकि जहाँ उनका उत्पादन किया जाता है। इसलिए, राज्य-स्तरीय जीएसटी डेटा स्थानीय स्तर पर व्यक्तितगत खपत के रुझान का संकेत दे सकता है।
व्यक्तिगत खपत में वृद्धि ही भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग का सबसे बड़ा कारण है। लेकिन दिक्कत यह है कि इसका डाटा नहीं मिलता है, इसलिए इस पर नजर रखना बड़ी चुनौती है।
दिलचस्प बात यह है कि वित्त वर्ष 2024 में मजबूत जीएसटी संग्रह के बावजूद, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुमान बताते हैं कि व्यक्तिगत खपत में बढ़ोतरी जीडीपी वृद्धि से पीछे रही है। यह अंतर इसलिए आ रहा है, क्योंकि अब जीएसटी जुटाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। पंजीकृत जीएसटी करदाताओं की संख्या 30 अप्रैल, 2024 तक 1.5 करोड़ तक पहुंच गई, जो 2017 के 70 लाख से दोगुनी से भी अधिक है। जीएसटी को लेकर अब व्यवस्था मजबूत और पारदर्शी बनती जा रही है। उदाहरण के लिए, हाल ही में अस्तित्वहीन पंजीकरण और फर्जी चालान पर नकेल कसने के सरकारी अभियान के तहत मई 2023 और जनवरी 2024 के बीच 44,000 करोड़ से अधिक की कर चोरी का पता चला।
जीएसटी संग्रह निजी अंतिम उपभोग व्यय के साथ काफी तालमेल में चलता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जीएसटी डेटा से राज्य स्तर पर मांग का आंकलन आसानी से किया जा सकता है। यह बहुत ही उपयोगी है। क्योंकि निजी उपभोग डेटा केवल राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध है। इसलिए, राष्ट्रीय स्तर पर और राज्यों में जीएसटी डेटा का उपयोग करके नीति निर्माताओं और कॉर्पाेरेट क्षेत्र इससे भविष्य के आर्थिक स्थिति और मांग का आंकलन आसानी से कर सकते हैं।
आरबीआई के उपभोक्ता विश्वास सर्वे में पाया गया कि राज्यों में प्रति व्यक्ति जीएसटी संग्रह और प्रति व्यक्ति आय के बीच एक मजबूत संबंध हैं। सितंबर 2017 से मार्च 2023 के बीच औसतन भारतीय की तुलना में दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में मांग तेजी से बढ़ी है। उपभोक्ताओं का विश्वास भी बाजार में बढ़ा है।
आरबीआई बुलेटिन, मई 2024 में राज्यों के बीच शहरी आबादी के हिस्से और प्रति व्यक्ति जीएसटी संग्रह के बीच संबंध भी सकारात्मक है, जिसका अर्थ है कि शहरीकरण निजी खपत को बढ़ाता है।
शहरी क्षेत्रों में बेहतर जीएसटी अदा करना भी एक योगदान कारक हो सकता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी एक मौलिक कर सुधार रहा है, जिसने कर संग्रह में वृद्धि के अलावा कई लाभ के अवसर भी पैदा किए हैं। उदाहरण के लिए, इसने करों के व्यापक प्रभाव को कम किया है, एक साझा बाजार की ओर बढ़नेमें मदद की है। अनुपालन, औपचारिकता और जीएसटी कवरेज में सुधार के साथ, न केवल लाभ बढ़ेंगे, बल्कि कर आर्थिक गतिविधि का एक अधिक उपयोगी संकेत कभी बन जाएगा।
इसलिए, समय के साथ, जीएसटी डेटा राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर उपभोग व्यय और अर्थव्यवस्था में अन्य डेटा-आधारित अधिक वास्तविक समय का माप बन सकता है।
👇 Please Note 👇
Thank you for reading our article!
If you don’t received industries updates, News & our daily articles
please Whatsapp your Wapp No. or V Card on 8278298592, your number will be added in our broadcasting list.