Tax cuts needed to boost demand
- जुलाई 5, 2021
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The finance minister has announced additional measures to provide greater financial support to sectors impacted by the pandemic. Experts feel these steps build on previous packages, and include small loans and specific assistance for the tourism sector. These initiatives could help improve credit flows to small firms, and MSMEs.
Direct economic stimulus measures such as tax cuts for individuals and industry would have helped prop up the economy which was hit hard by the lockdowns, say economists and corporate leaders.
While the measures announced on –are focused more on the supply side, these steps would take a lot of time to move the needle for the economy, experts say.
The loan guarantees may help businesses borrow on favorable terms but there are hardly any new projects by Indian companies-barring a few by top steel companies,. “The direct relief measures are good as they help support the poor or farmers. In the case of industries, building facilities takes time and will benefit in the medium to long run. Direct action through tax cuts would have propped the economy, but that has not been done. The focus even last year was on the supply side where an enabling environment has been created. But in these tough times, direct action would be more effective,”
But there was no direct package for sectors such as airlines, airports, malls, offline retail and hotels – which saw a total collapse of their businesses.
“What is needed is direct cash support, particularly to the worst-hit sectors, including hospitality. Though they have given some incentives there but don’t know how it will play put. It seems that government has limited fiscal space for mega support. May be it is that the government wants to support the economy via investment and not via consumption boost, as public investments have still held up. We expect that the Govt would be required to do more spending this fiscal than what is being envisaged,”.
मांग बढ़ाने के लिए टैक्स में कटौती की जरूरत
अर्थशास्त्रियों और काॅरपोरेट नेताओं का कहना है कि व्यक्तियों और उद्योग के लिए कर में कटौती जैसे प्रत्यक्ष आर्थिक प्रोत्साहन उपाय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मददगार होगी, जो लाॅकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
विशेषज्ञों ने कहा कि जिन उपायों की घोषणा की गई है, वे आपूर्ति पक्ष पर अधिक केंद्रित हैं, लेकिन इन कदमों से अर्थव्यवस्था के लिए सुई को आगे बढ़ाने में काफी समय लगेगा।
ऋण गारंटी से व्यवसायों को अनुकूल शर्तों पर उधार लेने में मदद मिल सकती है, लेकिन भारतीय कंपनियों द्वारा शायद ही कोई नई परियोजनाएं शुरू की गई हों कुद शीर्ष इस्पात कंपनियों को छोड़कर। प्रत्यक्ष राहत उपाय अच्छे हैं क्योंकि वे गरीबों या किसानों को समर्थन देने में मदद करते हैं। उद्योगों के मामले में निर्माण में समय लगता है और मध्यम से दीर्घकाल में लाभ होगा। टैक्स में कटौती के जरिए सीधी कार्रवाई से अर्थव्यवस्था को गति मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पिछले साल भी ध्यान आपूर्ति पक्ष पर था जहां एक सक्षम वातावरण बनाया गया है। लेकिन इस कठिन समय में सीधी कार्रवाई ज्यादा कारगर होगी।
वित्त मंत्री ने महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषण की है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम पिछले पैकेजों पर आधारित हैं, और इसमें छोटे ऋण और पर्यटल क्षेत्र के लिए विशिष्ट सहायता शामिल हैं। इन पहलों से छोटी फर्मों और एमएसएमई को ऋण प्रवाह में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
लेकिन एयरलाइंस, एयरपोर्ट, माॅल, ऑफलाइन रिटेल और होटल जैसे सेक्टरों के लिए कोई सीधा पैकेज नहीं था- जिससे उनके कारोबार पूरी तरह से चरमरा गए।
इस वक्त जरूरत है प्रत्यक्ष नकद सहायता की, विशेष रूप से आतिथ्य सहित सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों के लिए। हालांकि उन्हांेने वहां कुछ प्रोत्साहन दिए हैं लेकिन यह नहीं जानते कि यह कैसे काम करेगा। ऐसा लगता है कि सरकार के पास व्यापक समर्थन के लिए सीमित वित्तीय संसाधन है। इसलिए सरकार अर्थव्यवस्था को निवेश के जरिए सहारा देना चाहती है न कि खपत को बढ़ावा देकर, क्योंकि सार्वजनिक निवेश अभी भी रूका हुआ है। हमें उम्मीद है कि सरकार को वित्तीय वर्ष में जितना खर्च किया जा रहा है, उससे अधिक खर्च करने की आवश्यकता होगी।