अधिकांश भारतीय निर्माता भविष्य की लाभप्रदता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं। हालांकि, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के एक अध्ययन के अनुसार, अधिकतर कंपनियाँ अपने बजट का 10 प्रतिशत से भी कम हिस्सा प्रौद्योगिकी को आवंटित कर रहा है।

भारत का विनिर्माण क्षेत्र परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। ‘स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंगः अनलॉकिंग इंडियाज पोटेंशियल‘ शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, यह परिवर्तन अगले कुछ वर्षों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण के योगदान को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य का समर्थन कर सकता है।

इन प्रगति को अपनाकर, देश वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकता है और खुद को विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी हो सकता है।

हालांकि सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव जैसे उच्च पूंजी वाले उद्योग उन्नत तकनीकों को अपनाने में अग्रणी हैं, लेकिन लकड़ी के पैनल उद्योगों सहित कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को डिजिटलीकरण को अपनाने में अधिक समय लग रहा है।

विनिर्माण क्षेत्र एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है, जहाँ उन्नत प्रौद्योगिकियाँ प्रक्रियाओं को नया रूप दे रही हैं। हांलाकि, रिपोर्ट में प्रौद्योगिकी अपनाने में कई बाधाओं को भी रेखांकित किया गया है।