भारत में कई वर्शों से रियल एस्टेट क्षेत्र पर संकट और दबाव के बादल मंडराते रहे हैं। निश्चित तौर पर इस दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र में बड़े करार होने के साथ - साथ नियामकीय मोर्चे पर भी प्रगति हुई है। लेकिन कुल मिलाकर चर्चा का विषय मकानों की ज्यादा इन्वेंट्री, बिना बिके फ्लैट, रियल्टी कंपनियों के ज्यादा ऋण, उपभोक्ताओं की सक्रियता, मुकदमेबाजी और डेवलपरों के नाकाम होने और हाशिये पर जाने जैसी बातें होती हैं।

संख्या के लिहाज से पिछले वर्श 2022 में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में शामिल करीब 2,000 मामलों में से 430 से अधिक मामले रियल एस्टेट क्षेत्र से थे। इसकी प्रमुख वजह महामारी के कारण मांग में कमी बताई गई। अन्य आंकड़ों से पता चला कि मकानों की इन्वेंट्री नहीं बिकी। ठीक एक साल पहले डेवलपरों के आठ प्रमुख शहरों में लगभग 785,000 मकान अन बिके थे।

प्रॉपट्री के बाजार में ऐसा क्या बदलाव है जिससे तेजी के रुझान को स्वीकार किया जाए? इसके कारण काफी हद तक स्पष्ट नहीं हैं सिवाय इसके कि ज्यादातर बड़े और मशहूर बिल्डर बहुत जल्दी मकान और भूखंड बेच लेते हैं और कीमतें इस रफ्तार से बढ़ रही हैं जो लगभग एक दशक में बढ़ती हुई नहीं देखी गईं हैं और इस क्षेत्र में पैसा आ रहा है।

यही वजह है कि रियल एस्टेट कंसल्टेंसी एनारॉक की बिक्री संबंधी रिपोर्ट ने लोगों को हैरान करने के लिए मजबूर कर दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई और सितंबर 2023 के बीच भारत के शीर्ष सात शहरों में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर 1,20,280 मकानों की बिक्री हुई और यह पिछले साल की समान अवधि के दौरान बिके 88,230 मकानों की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक है।

अगर यह मजबूत मांग के संकेत भी देता है तब इस पर ध्यान देना जरूरी है कि जुलाई-सितंबर 2022 में 93,940 नई यूनिट की पेशकश की रफ्तार 24 प्रतिशत बढ़कर इस वर्ष इसी अवधि के दौरान 116,220 हो गई।

एक अन्य महत्वपूर्ण डेटा से अंदाजा मिलता है कि ‘किफायती‘ और ‘लक्जरी‘ दोनों ही वर्गों में काफी अच्छी बिक्री देखी गई है। नाइट फ्रैंक की हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान भारत में पहली बार लक्जरी मकानों (1 करोड़ रूपये से अधिक कीमत वाली) की बिक्री किफायती मकानों (50 लाख रुपये से कम कीमत वाली) से अधिक हो गई है जो बड़ी रकम वाले बड़े सौदों का संकेत देती है।

अनुमान बताते है कि भारत के कुछ बड़े शहरों में अगले दो-तीन वर्षों में संपति की कीमत में तीन गुना तक वृद्धि हो सकती है। कहा जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में खरीदारों के मुकाबले निवेशकों की वापसी हो रही है क्योंकि रियल एस्टेट के प्रतिफल में तेजी आई है।