The Public Confidence Bill is a bill aimed at decriminalizing offense

लोकसभा ने जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2023 पारित कर दिया है। इसका मकसद छोटे आर्थिक अपराधों से जुड़े कानूनों को अपराधमुक्त कर कारोबार सुगमता का माहौल बनाना और व्यक्तियों व उद्योगों पर अनुपालन का बोझ कम करना है।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा तैयार किए गए विधेयक में सरकार के 19 मंत्रालयों के तहत आने वाले 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में संशोधन की मांग की गई है। मौजूदा कानून में छोटे और प्रक्रियागत चूक में कम जुर्माने व अर्थदंड के साथ जेल की सजा का प्रावधान है। इसकी वजह से सरकार को लेकर अविश्वास और भय पैदा होता है।

इन बदलावों का मकसद अनावश्यक रूप से जेल की सजा न देना और जरूरत पड़ने पर ज्यादा जुर्माना व अर्थदंड लगाना है। और जेल की सजा खत्म करने व जुर्माना बहाल रखने या बढ़ाने का प्रस्ताव है।

सामान्य अपराधों की अपराधमुक्ति के अलावा, यह विधेयक मौद्रिक दंडों की तारकीकरण की संभावना को दर्शाता है। यह प्रस्तावित करता है कि अधिनियम के प्रारंभन के तीन वर्षों के बाद, दंड और जुर्माना लगाने की न्यूनतम राशि में 10ः की वृद्धि की जाए।

करीब 40,000 प्रावधान और प्रक्रियांए ऐसी हैं, जिससे लोगों को परेशानी होती थी, उसे पिछले 9 साल में या तो सरल किया गया है या उसे खत्म कर दिया गया है।

इन कानूनों में भी प्रस्तावित संशेधनः

  • भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898
  • बॉयलर्स ऐक्ट, 1923
  • कृषि प्रक्रिया अधिनियम, 1937
  • सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944
  • फार्मेसी अधिनियम, 1948
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986

सरकार का प्रयास रहा है कि वे देश के नियोजन परिदृश्य को परिवर्तित करें और ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन‘ का सिद्धांत प्राप्त करें, जीवन की सुविधा और व्यवसाय करने की सुविधा के सुधारों के तहत देश के विनियामक परिदृश्य को पुनर्निर्भारित करना।

एक कामकाजी समूह की स्थापना की गई है जो विनियमों की अपराधमुक्ति के लिए बनाया गया है, जिसमें उद्योग संघ, कानूनी पेशेवर, कानून विशेषज्ञों, और सात विभागों और मंत्रालयों के अधिकारी शामिल हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारी, आदि भी समूह के हिस्से हैं।