युवा और गतिशील कार्यबल, बुनियादी ढांचे में पर्याप्त सरकारी निवेश, मजबूत वित्तीय क्षेत्र की बैलेंस शीट और विश्व स्तर पर प्रशंसित डिजिटल स्टैक से उत्साहित भारत का विकास परिदृश्य मजबूत दिखाई देता है।

कोविड-19 महामारी के बाद देखी गई रिकवरी ने देश को सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया है, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (प्डथ्) को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में भारत 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा।

हालांकि, यह देखते हुए कि हाल के वर्षों में विशेष रूप से मशीनरी, उपकरण और बौद्धिक संपदा में निजी क्षेत्र का निवेश पिछड़ गया है, यह रिकवरी अधूरी है। जैसा कि नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है, मशीनरी, उपकरण और बौद्धिक संपदा उत्पादों में निजी क्षेत्र का सकल स्थिर पूंजी निर्माण (ळथ्ब्थ्) वित्त वर्ष 2020-23 के दौरान संचयी रूप से केवल 35 प्रतिशत बढ़ा। इस बीच, इसी अवधि के दौरान ‘‘आवास, अन्य भवन और संरचनाओं‘‘ में इसका ळथ्ब्थ् 105 प्रतिशत बढ़ा?

दिलचस्प बात यह है कि इसी अवधि के दौरान, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निजी क्षेत्र के मुनाफे का हिस्सा 15 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में बताया गया है। मुनाफे में यह वृद्धि काफी हद तक वित्तपोषित थी जिसे वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में भारतीय उपभोक्ताओं की “प्रतिशोधित खपत” के रूप में वर्णित किया गया था।

यह देखते हुए कि मुनाफे में यह वृद्धि मूल्य सृजन निवेश में वृद्धि में तब्दील नहीं हुई, कोई भी सवाल करने पर मजबूर हो जाता है निजी क्षेत्र अपने नकदी के साथ क्या कर रहा है?

ऋण पर अपनी निर्भरता बढ़ाए बिना बाहरी झटकों को प्रभावी ढंग से नेविगेट करके, निजी क्षेत्र मजबूत बैलेंस शीट बनाने में सक्षम रहा है।

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इसलिए, निजी क्षेत्र के लिए पूंजी लगाने और विकास में निवेश करने का मंच तैयार है, जो न केवल रोजगार पैदा करेगा, क्षमताओं का निर्माण करेगा और दक्षता में सुधार करेगा, बल्कि खपत को भी बढ़ाएगा और बेहतर बिक्री वृद्धि में तब्दील होगा।

विनिर्माण कंपनियों को समझदार भारतीय उपभोक्ता की जरूरतों को पूरा करने वाले अभिनव उत्पादों और सेवाओं को कुशलतापूर्वक डिजाइन करने, बनाने और बेचने के लक्ष्य के साथ उत्पादन मूल्य श्रृंखला को डिजिटल बनाने के लिए अधिशेष का उपयोग करना चाहिए।

मुनाफे को फिर से निवेश करने में किसी भी तरह की देरी से उद्यमों और पूरी अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मकता धीरे-धीरे कम हो जाएगी।

मुद्रास्फीति में नरमी के बावजूद, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अधिक उधार लिए जाने के कारण केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दरों को कम करने की स्वतंत्रता की डिग्री कम हो सकती है।

जैसा कि पुरानी कहावत है, पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय 30 साल पहले था या अब है। निजी निवेश शुरू करने का सबसे अच्छा समय ‘अभी’ है।


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