एम एस एम ई के लिए आगे की राह
- जुलाई 13, 2024
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सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को लंबे समय से भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। 2020 और 2023 के बीच सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में 12 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत थे। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत, विनिर्माण उत्पादन में 40 प्रतिशत से अधिक और निर्यात में लगभग 45 प्रतिशत का योगदान देने वाले एमएसएमई अर्थ व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। एमएसएमई का दायरा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक फैला हुआ है। इस वजह से काम की तलाश में शहर में आने वाले लोगों को अपने आस पास काम मिल जाता है। इस तरह से ग्रामीण-शहरी का जो भेद है वह कम होता है।
कौशल की कमी से विकास में रूकावट
आज भारतीय एमएसएमई को परेशान करने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक कौशल की कमी है। कुशल कर्मचारियों की कमी है, जो काम की गुणवत्ता को प्रभावित करती है और बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षेत्र की क्षमता को कम करती है। प्रौद्योगिकी अपनाने और तकनीकी विशेषज्ञता की कमी नए प्रयोग को बाधित करती है, जिससे उनकी विकास क्षमता सीमित हो जाती है।
समन्वित प्रयासों की आवश्यकता
एमएसएमई में डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी या प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक व्यवहारिक समाधान हो सकती है। प्रशिक्षण मॉड्यूल डिजाइन करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग निकायों के साथ सहयोग करके कौशल की कमी को पूरा किया जा सकता है।
व्यापार मेलों और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से एमएसएमई को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। जहां उन्हें नए व्यावसायिक अवसर मिल सकते हैं। लचीले नियम, नौकरशाही को कम करके क्षेत्र को प्रभावित करने वाली सभी कारणों व चुनौतियों का समाधान करना भी आवश्यक है।
वित्तीय संसाधनों में आसान पहुंच
यह देखते हुए कि कर्ज सीमित लोगों तक पहुंच रहा है। इसके साथ ही बाजार दर ज्यादा होने से छोटे उद्योगपति के लिए कर्ज लेकर उसे चुकाना भी एक चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऋण देने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। एमएसएमई के लिए अधिक अनुकूल वित्तीय पैकेज बनाए जाए।
वित्त, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास तक पहुंच के साथ एमएसएमई को सशक्त बनाकर, भारत न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उनकी क्षमता का दोहन कर सकता है, बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी पैदा कर सकता है।
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