कौशल पर निवेश करने का समय
- सितम्बर 7, 2024
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वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य में लगातार बदलाव आ रहें हैं। गूगल, अमेजान, फ्लीपकार्ट, मेटा आदि जैसी बड़ी कंपनीयां अपने विस्तार के लिए नैतिक-अनैतिक राजनीतिक प्रभाव-सभी तरह के हथकंडे अपना रही हैं। ये बड़ी कंपनीयों के सामने जब भी कोई नया उद्यमी प्रतिद्वंदी बनने की ओर अग्रसर होता है, या तो उसे समाप्त करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाती हैं, या फिर उसे बाध्य कर कई गुणा अधिक कीमतों में खरीद लेती है। वहीं फ्लिपकार्ट और अमेजान जैसी कंपनियां, भारत जैसे देश में राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर करों में प्रभावी अनुचित छूट पा लेती हैं। जिससे आगे चल कर छोटे उद्यम व्यापार में अक्षम होकर निश्क्रीय हो जाते हैं। हम यह भी देख रहें हैं कि तमाम प्रयासों के बावजुद चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा हैं।
इन्हीं सब को रोकने के लिए भारत सरकार के कई प्रयासों में से एक है, QCO (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश)। उपरोक्त कारणों के अलावा भारत को वैश्विक व्यापारिक मानचित्र में उत्पादन केंद्र, के रूप स्थापित करना भी QCO को सफल बनाने के लिए एक मुख्य कारण है, सिर्फ जो विकसीत भारत के लक्ष्य की महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।
बी आई एस के प्रारूप की विसंगतियों को काफी हद तक दूर कर दिया गया है, जो इस बार (17 अगस्त के वेबीनार) की परिचर्चा में स्थापित हुई। निश्चित ही इसमें बहुत मेहनत की गई है। फिर भी अगर एकाध दिक्कतें रह गई हैं, उन्हें सामुहिक प्रयास से दुरूस्त करवाया जा सकता है, यह भरोसा भी हमें इस परिचर्चा में मिला।
वर्त्तमान में प्रायः प्रत्येक MSME उद्योगपत्ति की एक मूल समस्या है, कि वह उद्योग के A से Z तक सारे काम में दखल रखता है। जबकि मेनेजमेंट का सबसे अहम सिद्धांत होता है Delegate अर्थात काम का बटवारा करके अपने अद्यिनस्थ को जिम्मेवारी सौपंना।
क्रय-बिक्रय और धन उगाही के साथ पुंजी पर व्यवस्थापक का नियन्त्रण तो समझ में आता है, लेकिन उत्पादन प्रक्रिया में भी विशेषज्ञों की सेवाओं ना लेना, हमारी उत्पादकता और विकास को अवरूद्ध करता है। जब तक उद्योग में मार्जिन था, तब कुछ भी चल जाता था। लेकिन शायद अब ऐसा ना हो पाए। अब उत्पादन के हर क्षेत्र में सुक्ष्मता (Precision) दक्षता (Efficiency) और बचत (Economy) की जरूरत बढ़ती जा रही है।
अतः आज आवश्यकता है, एक सुदृढ़ टीम को गठन करने की, जिसकी प्रशिक्षण द्वारा पेशेवर विशेषज्ञता विकसीत करवायी जाए। ऐसे समूह की कार्यस्थल पर समग्र निजी और व्यवसायिक प्रर्दशन की जवाबदेही तय हो।
निश्चीत ही यह कहने में जितना आसान है, (वर्त्तमान परिस्थितियों में) करने में उतना ही मुश्किल है। शुरूआत में FRI/IWST से प्रशिक्षित विद्यार्थीयों के मिलने में दिक्कत हो तो वहां के शार्ट टर्म कोर्स में अपने विश्वासी, दक्ष कामगारों को प्रशिक्षण दिलवा सकते हैं। यह कुशल श्रमिकों की कमी को काफी हद तक दूर कर सकता है।
सामान्यतः कच्चे माल के खर्च में छोटी सी एक प्रतिशत की बचत भी अब लाखों में होती है। उत्पादन के प्रथम सिरे से अंतिम सिरे के बिच की प्रक्रियाओं में होने वाली छोटी वाली छोटी छोटी लापरवाही पर अकुंश लगा कर रखने मात्र से गुणवत्ता का आश्वासन खुद ब खुद बढ़ जाता हैं और यह काम हम इन प्रशिक्षित तकनीशीयनों के भरोसे छोड़ सकते है।
यह शतप्रतिशत निश्चित तथ्य है कि ऐसे प्रशिक्षित कुशल तकनीशीयन अपने उपर हुए अत्तिरिक्त खर्च/वेतन की भरपाई, बल्कि उससे भी अधिक, अपनी कार्य कुशलता से कर सकते हैं।
सुरेश बाहेती
9050800888
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