YOGESH BANG

व्यापारियों को एक अखिल भारतीय एसोसिएशन बनाने की जरूरत क्यों महसूस हुई?

इस वक्त लकड़ी उद्योग कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। विशेशकर, अनिवार्य बीआईएस के बाद उद्योग के साथ दुकानदारों के रिश्तों में शंकाएं उत्पन्न ना हों। वैसे भी, काफी लंबे समय से यह महसूस किया जा रहा था कि अखिल भारतीय स्तर पर एक एसोसिएशन होनी ही चाहिए।

भारत मे प्रायः प्रत्येक शहर में प्लाइवुड और लेमीनेट एसोसिएशन बनी हुई हैं, जिनमें अब काश्ठ आधारित उद्योग से संबधित अन्य उत्पाद जैसे एमडीएफ पार्टीकल बोर्ड, WPC भी शामिल हो गए है। लेकिन सभी संगठन अलग अलग अपने क्षेत्र के सीमित दायरे में काम कर रहें हैं। हमारी कोशिश है कि सभी एसोसिएशन मिल कर एक मंच पर आकर अपनी बात रखें। कोशिश यह है कि उद्योग में जो समस्या है, उनके समाधान की दिशा में सकारात्मक तरीके से कदम उठाया जाए।

अनिवार्य बीआईएस का जो नियम आया है, उसे लेकर व्यापारियों को क्या दिक्कत आ सकती है। इनका समाधान कैसे हो सकता है? जीएसटी और बिलिंग को लेकर भी समस्या आती है। कैसे बिलिंग ज्यादा से ज्यादा हो, जिससे भारत भी तरक्की करें, और व्यापारी का पैसा भी सुरक्षित रहे। हम एकजुटता से इस गैर संगठित उद्योग व्यापार को एक अलग मुकाम पर ले जा सकते है।

इसमें डीलर्स एसोसिएशन की क्या भूमिका हो सकती है?

हम जिस उद्योग में हैं, वह गैर संगठित उद्योग है। ऐसे में यदि होलसेलर और रिटेलर व्यापारी एकजुट हो जाए तो व्यापार को एक अलग मुकाम पर ले जाना आसान हो सकता है। व्यापार भी अब तेजी से बदल रहा है। काम करने के तरीके से लेकर बाजार, बिक्री के तरीके सब कुछ बदल रहे हैं। व्यापारियों के साथ, निर्माता के साथ या ग्राहक के साथ किसी भी स्तर पर गलत न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। कैसे एक दूसरे का साथ देकर आगे बढ़ा जा सकता है। इस पर विचार किया जाना है। हम सभी एकजुट रहेंगे तो किसी के साथ गलत नहीं हो सकता।

भविष्य की रणनीति क्या होगी?

व्यापारी और निर्माता दोनो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। दोनो के हित साझे है। हम एक दूसरे को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। कई बार ऐसा होता है कि शटरिंग प्लाई में 34 किलो बोल कर 32 किलो का माल गाड़ी में भेज दे तो दोनो को समस्या आती है। ऐसा ही गुणवत्ता के दुसरे मानकों में होता है। डीलर तब पैसा देने में आनाकानी करेगा। यदि माल में गड़बड़ी न हो तो डीलर क्यों किसी का पैसा रोकेगा।

हमारा प्रयास है कि मुनाफे के साथ साथ व्यापार में ईमानदारी होनी चाहिए। मुनाफा भी मायने रखता है। फिर भी उत्पादक और डीलर के बीच आपसी विश्वास का रिश्ता कायम होना चाहिए।

यह एसोसिएशन व्यापारी और उद्योगपति को एक मंच प्रदान करेगा, जहां वह एक दूसरे से अपने विचार साझा कर सके। एक दूसरे को अपनी बात रखने का मौका मिले।

उद्​देश्य क्या है एसोसिएशन के पीछे?

एसोसिएशन मे पूरे भारत के व्यापारी और उद्योपगतियों को एसोसएिशन से जोड़ने का प्रयास करेंगे। जीएसटी में गलत काम करने वालों को रोकने की दिशा में एसोसिएशन कदम उठाएगी।

क्योंकि हमारी कोशिश है कि व्यापार स्वस्थ परंपरा के साथ हो, हम इस दिशा में आम सहमति से काम करने का प्रयास करेंगे।