Two-month drive unearthed ₹19.5k cr GST evasion
- अगस्त 8, 2023
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A nationwide crackdown by the goods and services tax (GST) authorities has helped uncover tax evasion to the tune of ₹19,492 crore. The two-month special drive, which concluded on July 15, was part of the tax authorities’ efforts – both at the central and state levels – to combat tax evasion by scrutinising fake GST registration and catch offenders.
Such fraudulent activities have resulted in the blockage of fake input tax credit claims worth ₹6,200 crore.
Tax recovery in detected cases is currently around ₹79 crore and an investigation in this connection is still on. “The special drive, which was launched on May 15, was being run jointly by the Centre and states. It verified a total of 69,286 GST registrations, of which 20,862 were found ‘non-existent’.”
The government has been using data analytics and track risky taxpayers. Data is being shared with other law enforcement agencies to detect cases of tax evasion. Mandatory Aadhaar-based authentication for new GST registrations and centralized suspension of registration of businesses that default in the timely filing of returns are being enforced to curb fake registration.
Cases of GST evasion are on the rise with about 14,000 cases detected in 2022-23, up from 12,574 in 2020-21, and 12,596 in 2020-21.
During the “Special All-India Drive”, suspicious/fake GSTINs were detected; following which tax officers conducted requisite verification and took further remedial action to weed out these fake billers from the GST eco-system.
This was the second such exercise the government initiated after August 2020. The August 2020 campaign of the Central Board of Indirect Taxes and Customs was to deal with this surge of fake billing and fake invoicing. During the earlier exercise, around 24,000 fake GSTINs and false tax credit claims of ₹ 63,000 crore were detected.
दो महीने के अभियान में ₹19,500 करोड़ की
जीएसटी चोरी का पर्दाफास
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) अधिकारियों द्वारा राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में ₹19,492 करोड़ की टैक्स चोरी का पर्दाफ़ाश हुआ। यह दो महीने का विशेष अभियान, जो 15 जुलाई को समाप्त हुआ, केंद्रीय और राज्य स्तर दोनों के कर अधिकारियों के प्रयासों का हिस्सा था जाली जीएसटी पंजीकरण का परीक्षण करते हुए दोषीयों को पकड़ने के लिए।
इस तरह की गतिविधियों से ₹6,200 करोड़ के झूठे इनपुट टैक्स क्रेडिट दावे को रोका गया।
पकड़े गए मामलों में टैक्स वसूली वर्तमान में करीब ₹79 करोड़ है और इस में जांच अभी भी जारी है। ‘‘15 मई को शुरू किए गए इस विशेष अभियान को केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा था। इसने कुल 69,286 जीएसटी पंजीकरणों का सत्यापन किया गया, जिनमें से 20,862 पंजीकृत ‘अस्तित्वहीन‘ पाए गए।‘‘
सरकार डेटा विश्लेषण का उपयोग कर रही है और जोखिमपूर्ण करदाताओं का ट्रैक कर रही है।
कर चोरी को रोकने के लिए अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी से डाटा साझा किए जा रहें है। जीएसटी पंजीकरण के लिए आधार आधारित प्रमाणीकरण अनिवार्य और तय समय में अपनी विसरणी ना भरने वाले व्यवसायों के रद्दीकरण के लिए केंद्रीकृत जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
जीएसटी उल्लंघन के मामले बढ़ रहे हैं, 2022-23 में लगभग 14,000 मामले पकड़े गए हैं, जो 2020-21 में 12,574 और 2021-22 में 12,596 थे।
‘‘स्पेशल ऑल-इंडिया अभियान‘‘ के दौरान, संदिग्ध/झूठे जीएसटीआईएन पहचाने गए; जिस बाद कर अधिकारियों ने उचित सत्यापन कार्रवाई की और इन झूठे बिलर्स को जीएसटी इको-सिस्टम से बाहर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए है।
यह अगस्त 2020 के बाद सरकार द्वारा शुरू किया गया दूसरा ऐसा प्रयास था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्स और कस्टम्स का अगस्त 2020 का अभियान झूठे बिलिंग और झूठे चालानों के इस वृद्धि से निपटने के लिए था। पहले अभियान के दौरान, लगभग 24,000 झूठे जीएसटीआईएन और ₹63,000 करोड़ के झूठे कर क्रेडिट दावे का पता लगाया गया था।