Weaker Rupee moves to a new low


While the RBI has made clear its commitment to curtail excessive volatility in the rupee, analysts doubt how far it can stay the course. The reserves in early September accounted for 9 month’s imports projected for this fiscal year. A year ago, the reserves accounted for close to 15 months’ imports.

With the Federal Reserve’s latest estimate indicating rate hikes of at least 100 basis point more in 2022, strength in the dollar is given. What will determine the extent of the rupee’s depreciation is the Reserve Bank of India’s (RBI’s) approach to interventions in the currency market.

The RBI has left no stone unturned to shield the rupee in 2022. Consequently, its foreign exchange reserve has fallen to a two-year low of $550.87 billion versus $631.53 billion before the Ukraine war broke out.

“If you look at rupee move it explains that dollar selling by locals has reduced and this is a signal that they’re (the RBI) more tolerant of a weaker rupee and would allow it to trade in line with the fundamentals and at the same time manage their forex reserves more prudently, especially after a hawkish Fed,” an economic researcher said.

The RBI’s aggressive dollar sales-$22 billion together in the spot market in June and July-have contributed  to the rupee outperforming other emerging market currencies over the past one month, during which it has weakened 1.2 per cent, faring better than nine others.

“As we move close to December, rates will be more accurate. The euro and pound are all at historical lows” said another expect.

The central Bank here is expected to sell dollars, but analysts are divided as to the extent.

According to a poll the rupee is not seen suffering a free fall. For the month ahead, it is seen in the band 79.50-82.00, with the median of expectations at 81.Till the end of December the poll showed a range of 78.50-83.00 with the median again at 81.

Home-grown companies are preparing for life after the rupee fell to 80 versus the US greenback. Companies without a natural hedge like export earnings are rushing to take forward cover as they expect the rupee to fall gradually in the next year to as much as 86-87 to a dollar.

In the short and medium term, analyst’s are advising companies to take the right kind of derivatives products depending on their exposure.


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कमजोर रूपये की गिरावट नए स्तर पर


रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि वह रूपये में तेज उतार-चढ़ाव नहीं होने देगा, लेकिन विश्लेषक यही अनुमान लगाने में व्यस्त है  कि बैंक अपना मुद्रा भंडार कितना कम कर सकते है। सितंबर की शुरूआत में अनुमान लगाया गया था कि मुद्रा भंडार चालू वित्त वर्ष में 9 महीने के आयात के बराबर है जबकि एक साल पहले यह 15 महीने के आयात की भरपाई करने जितना था।

फेडरल ‘रिजर्व के ताजा संकेत से लगता है कि 2022 में ब्याज दर में कम से कम 100 आधार अंक का और इजाफा हो सकता है, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है। रूपये की गिरावट थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया था। केंद्रीय बैंक लगातार डॉलर की बिकवाली कर रहा है।

इसकी वजह से विदेंशी मुद्रा भंडार घटकर 2 साल के निचले स्तर 550.87 अरब डॉलर आ गया है जो यूक्रेन युद्ध से पहले 631.53 अरब डॉलर था। केंद्रीय बैंक ने इस साल रूपये की गिरावट थामने के लिए हर संभव प्रयास किया है।

एक आर्थिक शोध प्रमुख ने कहा,‘ रूपये की चाल देखें तो पता चलता है कि स्थानिय स्तर पर डॉलर की कितनी बिकवाली हुई। इससे संकेत मिलता है कि रिजर्व बैंक रूपये में और नरमी झेल सकता है और कुछ समय तक रूपये को बाजार के अनुसार कारोबार करने दे सकता हैं। इस तरह वह अपने विदेशी मुद्रा भंडार का कुशलता  से प्रबंध कर सकता है।‘

जून और जुलाई में रिजर्व बैंक ने हाजिर बाजार में 22 अरब डॉलर की बिकवाली की है जिसकी बदौलत बीते महीने रूपये का प्रदर्शन  अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में बेहतर रहा है। पिछले महीने डॉलर के मुकाबले रूपया 1.2 फीसदी नरम हुआ, जबकि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं में कहीं ज्यादा गिरावट आई थी।

एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा, ‘मुझे लगता है कि डॉलर सूचकांक में जल्द कमी आएगी। यूरो और पाउंड ऐतिहासिक निचले स्तर पर हैं।

रूपये की चाल पर कराए गए एक सर्वेक्षण में प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि डॉलर के मजबूत होने के बावजूद रूपये में आगे तेज गिरावट आने की आशंका  नहीं है। अगले महीने रूपया डॉलर के मुकाबले 79.50 से 82 के दायरे में कारोबार कर सकता है यानी रूपया औसतन 81 के स्तर पर रह सकता है। सर्वेक्षण के अनुसार दिसंबर अंत तक डॉलर की तुलना में रूपया 78.50 से 83 के दायरे में कारोबार कर सकता है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा की गिरावट के बाद भारतीय कंपनियां इससे बचने की तैयारी कर रही हैं। जिन कंपनियों के पास निर्यात से होने वाली आमदनी जैसे प्राकृतिक बचाव नहीं हैं, वे फॉरवर्ड कवर की कवायद में हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि अगले एक साल तक रूपये में धीरे-धीरे गिरावट आएगी और यह डॉलर के मुकाबले 86-87 तक पहुंच जाएगा।

विशेषज्ञ  कंपनियों को सुझाव दे रहे हैं कि लघु और मध्यम अवधि के हिसाब से वे अपने जोखिम के आधार पर सही तरह के डेरिवेटिव उत्पाद लें।


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