समर्थक दावा करते हैं कि विनिर्माण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बहुत सारी नौकरियां पैदा होंगी। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन जैसे आलोचकों का कहना है कि भारत विनिर्माण की दौड़ हार गया है। वे पीआईएल परियोजनाओं में कम रोजगार का हवाला देते हैं और नौकरियों के अवसर बढ़ाने के लिए सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं।

लेकिन, राजनीति से परे, विनिर्माण का मतलब नौकरियों से नहीं है। भारत ही नहीं बल्कि, कहीं और भी नहीं।

  • चीन, दुनिया का सबसे बड़ा कारखाना बन गया, जिसका विनिर्माण उत्पादन $5 ट्रिलियन है, विनिर्माण में लगभग एक अरब श्रमिकों को रोजगार देता है जो कि इसके कार्यबल का 20 प्रतिशत से भी कम है।
  • भारत, जिसका विनिर्माण उत्पादन $500 बिलियन है, 276 लाख श्रमिकों को रोजगार देता है (सर्वेक्षण के आधार पर) जो कि श्रमिकों का 15 प्रतिशत से भी कम है।

अभी तक की स्थिति में तो कह सकते हैं, कि विनिर्माण नौकरियों को पैदा करने वाला बहुत बड़ा क्षेत्र नहीं है। फिर भी जैसे-जैसे भारतीय विनिर्माण उत्पादकता के मामले में चीनी स्तरों के करीब पहुंचेगा वैसे वैसे स्वचालन बढ़ने के साथ, कम श्रमिकों की आवश्यकता होगी विनिर्माण की रोजगार उत्पन्नता में लगातार गिरावट आ रही है।

उदाहरण के लिएए भारत की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी बजाज ऑटो ने 2008-09 में 20 लाख से भी कम दोपहिया वाहनों का उत्पादन किया था। 2023-24 में उत्पादन दोगुना होकर लगभग 37 लाख हो गया। इस अवधि के दौरान, बजाज द्वारा नियोजित कुल श्रमिकों की संख्या लगभग समान रही।

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इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि एशियाई देशों में बढ़ते औद्योगिकरण के बाद भी अधिकांश आबादी सेवाओं में कार्यरत हो। चीन में, विनिर्माण क्षेत्र बहुत बड़े पैमाने पर हैं, इसके बावजूद, उसके आधे श्रमिक सेवाओं में कार्यरत हैं।

लेकिन यह सिर्फ नौकरी उत्पन्न करने की बात नहीं हैं, क्योंकिः

  • व्यापार घाटे का संतुलनः सेवाओं पर अधिक और विनिर्माण सीमित अर्थव्यवस्था व्यापार घाटे की समस्या में फंस जाती है। अधिकांश सेवाएँ गैर-व्यापार योग्य हैं। उदाहरण के लिए एक नाई या रसोइयाए दूर-दूर तक अपनी सेवाएँ नहीं दे सकता। हालांकि कुछ सेवाओं का व्यापार किया जा सकता है, जैसे कि आईटी, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं है। एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें सीमित व्यापार योग्य वस्तुएं और सेवाएं होती हैं, जिन्हें अधिक दूर तक निर्यात नहीं किया जा सकता, आमतौर पर बड़े व्यापार घाटे के साथ समाप्त हो जाती हैं।

भारत को समृद्धशाली सेवा क्षेत्र के साथ साथ एक बड़े विनिर्माण आधार की आवश्यकता है, जिसमें नौकरियों पर ष्बहसष् समय की बर्बादी है।


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