सफेदे और पॉपलर की लकड़ी की बिक्री मार्केट कमेटी के माध्यम से कराने को लेकर मंडी कमेटी ने एक पत्र सीएम को लिखा। इस पत्र के बाद अब मुख्यालय ने पांच टीम का गठन किया  है। टीम में आबकारी व कराधान विभाग और चंडीगढ़ के अधिकारी शामिल होंगे। सीएम की अनुमति के बाद टीम का गठन किया गया है। यमुना नगर मार्केट कमेटी सचिव गौरव आर्य ने बताया कि क्योंकि यमुनानगर और जगाधरी में लकड़ी मंडी में रजिस्टर्ड हुए बिना बिक रही है,इसलिए रेवेन्यू लगातार कम हो रहा है। रेवेन्यू बढ़ाने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है।

इधर प्लाइवुड संचालकों का कहना है कि इस तरह के प्रयास सिर्फ उन्हें तंग करने की कोशिश भर है। बड़ी मुश्किल से इन दिनों प्लाइवुड इंडस्ट्री दोबारा से पटरी पर आ रही है। लेकिन कुछ अधिकारी सरकार को  मिस गाइड कर अनाप शनाप व्यवस्था बना रहे है।

जिससे प्लाइवुड संचालकों की दिक्कत तो बढ़ ही रही है। इसके साथ ही अधिकारियों को मनमानी करने का मौका भी मिल जाता है।  यमुनानगर में दो लकड़ी मंडी बनाई गई है।  एक मंडोली तो दूसरी  मानकपुर में।

प्लाईवुड के कारोबार में यमुना नगर  जिला देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों तक मशहूर है। जिले में 350 प्लाईवुड फैक्ट्री, 290 पीलिंग, 70 चीपर और 550 से अधिक आरा मशीनें हैं। दोनों मंडियों में सवा छह सौ लोगों के पास लक्कड़ खरीदने व बेचने का लाइसेंस है। वन विभाग के रिकार्ड के मुताबिक प्रतिदिन ढाई लाख क्विंटल कच्चे माल की खपत है। विभाग ने लाइसेंस जारी करने से पहले इसका सर्वे करवाया था। अधिकतर कच्चा माल पॉपलर व सफेदा उत्तर प्रदेश से आता है। प्लाईवुड इंडस्ट्री से जिले का हर तीसरा व्यक्ति प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है। एक लाख से अधिक अन्य राज्यों के लोग इस इंडस्ट्री में काम करते हैं।

प्लाइवुड संचालकों का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर कोई सुविधा तो दी नहीं जा रही है। उलटा उन्हें तंग करने की कोशिश हो रही है। यह गलत है। इससे तो प्लाइवुड उद्योग का नुकसान होगा।

अधिकतर उद्योगपतियों  ने यह भी कहा कि लकड़ी को तो मंडी कर से मुक्त कर देना चाहिए। क्योंकि जीएसटी के दायरे में प्लाइवुड आती है। इससे न सिर्फ इंडस्ट्री का फायदा होगा, बल्कि प्रदेश के किसानों को भी लाभ होगा। एक ओर तो सरकार की ओर से बार बार  दावा किया जाता है कि किसानों की आय डबल की जाएगी।

एग्रोफॉरेस्ट्री आय बढ़ाने का बड़ा माध्यम है। इस  क्षेत्र को सरकार को बढ़ाना चाहिए। लेकिन कुछ अधिकारी सरकार को गलत जानकारी देकर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे है। इससे इंडस्ट्री और किसान दोनों का नुकसान होगा।

इसलिए यह व्यवस्था सही नहीं है। इसे रोका जाना चाहिए। प्लाइवुड निर्माताओं का यह भी कहना है कि टीम गठित करने का सीधा मतलब है इंस्पेक्टरी राज को बढ़ावा देना। इससे निश्चित ही प्लाइवुड इंडस्ट्री व किसानों को दिक्कत आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को इस पर दोबारा से विचार करना चाहिए।

 

मनोज ठाकुर


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