GST : Handle with Care
- जनवरी 11, 2023
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The goods and services tax (GST) authorities have started knocking at the doors of assesses about 50,000 show-cause notices have been issued so far to companies and partnership firms in sectors such as jewellery and real estate. The authorities have mostly covered the returns filed for the first two years. In some cases, returns have also been audited for later years.
Different reasons have been underlined for issuing notices, such as non-payment of taxes, incorrect declaration, incorrect classification of goods and services, mismatch in sale and purchase of goods, and wrong input tax credit claims. It is likely that some firms and businesses may not have filed returns as mandated by law, but the numbers are still worrying for a varieties reason.
It has been reported that states have also started the audit exercise, and it is reasonable to assume they will also have queries.
As the provision of compensation against the shortfall in GST collection by states has ended, there would be pressure on state authorities to generate more revenue. A shortfall in tax collection, pressure on officials to bring more revenue, and limited tax administration capacity could lead to harassment and litigation.
It must be recognized that GST is a complicated system with multiple rates. Its implementation also faced a number of challenges in the initial years, which itself could have led to confusion and mistakes in the falling of returns.
The tax administration, both at the Central and state levels, would be well advised to keep all these things in mind while questioning assesses. It is nobody’s case that the tax administration should not go after those not filing taxes or gaming the system, but it must also recognize the circumstance in which the new indirect tax system was implemented.
जी एस टी: सावधानी की जरूरत
कर अधिकारियों ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित मामलों में कंपनियों और पार्टनरशिप कंपनियों को 50,000 कारण बताओं नोटिस जारी किए हैं। इसमें ज्यादातर कंपनियां आभूषण और रियल एस्टेट क्षेत्र से जुड़ी हैं। कर अधिकारी पहले दो वर्षों में हुए कर भुगतान पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ मामलों में बाद के वर्षों में जमा रिर्टन की भी जांच पड़ताल की गई हैं।
कर अधिकारियों ने ये नोटिस जारी करने के पीछे कई कारण गिनाए हैं जिनमें करों का भुगतान नहीं किया जाना, रिर्टन में गलत जानकारियां देना, वस्तु एवं सेवा का गलत वर्गीकरण और वस्तुओं की खरीद-बिक्री में तालमेंल नहीं होना शामिल हैं। इस बात की पूरी आशंका है कि कुछ कंपनियों और कारोबारों ने कानून सम्मत रिर्टन दाखिल नहीं किए हैं। मगर जितनी बड़ी संख्या में कारण बताओं नोटिस जारी किए गए है वे कई कारणों से चिंता का विषय है।
ऐसी खबरें भी आ रही है कि राज्यों ने भी कर अंकेक्षण शुरू कर दिए हैं और यह लगभग तय है कि राज्यों के पास भी कुछ सवाल होंगे।
जीएसटी संग्रह में कमी की भरपाई का प्रावधान अब समाप्त हो चुका है, इसलिए राज्यों पर अधिक से अधिक कर जुटाने का दबाव बढ़ गया है। कर संग्रह में कमी और राज्यों पर अधिक से अधिक राजस्व जुटाने का दबाव बढ़ने से करदाताओं को प्रताड़ित किए जाने के मामले बढ़ सकते हैं। इससे कानूनी विवाद भी बढ़ सकते हैं।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीएसटी व्यवस्था काफी पेचीदा है और इसमें दरों की कई श्रेणियां है। शुरूआती दिनों में यह व्यवस्था लागू करने में भी कई अड़चनें आई थीं। इन अड़चनों की वजह से भी रिर्टन दाखिल करने में कई तरह की उलझनें आई होंगी।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य स्तर पर कर अधिकारियों को करदाताओं से सवाल करते समय अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। इसका यह कतई मतलब नहीं है कि करदाताओं को कर चुकाने वालों का पीछा नहीं करना चाहिए, बस उन्हें उन परिस्थितियों का ध्यान रखना चाहिए जिनमें नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू की गई थी।