India will be shielded by domestic consumption

Amidst risk of a global slowdown in the early part of next year, India is expected to remain shielded from its effects due to robust domestic consumption, said World Bank.

“The outlook for the world economy is better than expectations, but there is more risk on the downside in terms of a slowdown in the early part of next year. Since India gets a lot of its GDP from domestic consumption, even if the world were to slow down for a few months, India has a natural cushion against it.”

India is one of the largest markets for World Bank in terms of its portfolio.

India’s opportunity currently is to cash in on the China Plus One opportunity. This opportunity won’t stay open for 10 years. It is a three- to five-year opportunity when supply chains start relocating or add another location that is going to need work.

India has an opportunity to cash in on global firms’ efforts to build factories outside China, as companies seek to diversify their supply chains. In recent years, many companies have adopted a China plus One strategy to build new manufacturing units outside the People’s Republic.

Mean while, the finance minister mentioned that bridging the knowledge and technology gaps is key to future economic development.



घरेलू खपत बचाएगी भारत को मंदी से


विश्व बैंक ने कहा है कि अगले साल के शुरू में वैश्विक सुस्ती के जोखिम के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को उसकी घरेलू खपत से स्वाभाविक मदद मिलने की उम्मीद है।
विश्व अर्थव्यवस्था का परिदृश्य अनुमान से बेहतर है लेकिन अगले साल की शुरूआत में मंदी के सुदर्भ में सुस्ती का जोखिम है। लेकिन भारत का जीडीपी का बड़ा हिस्सा घरेलू मांग पर आधारित है। ऐसे में अगर विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती आती भी है तो भारत को स्वाभाविक रूप से मदद मिलेगी।

भारत विश्व बैंक के पोर्टफोलियो के सबसे बड़े बाजारों में से एक है।

भारत को यह ध्यान रखना होगा कि इस रणनीति से पैदा होने वाला अवसर उसे 10 साल तक नहीं मिलता रहेगा। यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है।

भारत के सामने फिलहाल मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन‘ रणनीति का फायदा उठाए। ‘चीन प्लस वन‘ रणनीति के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं। इसके लिए भारत भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है।

इस बिच केंद्रीय वित्त मंत्री ने भविष्य की आर्थिक गतिविधियों के लिए ज्ञान और तकनीक के खाई को पाटना प्रमुख कुंजी बताया।

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