Role of Kettle in Resin Manufacturing

कहने को तो प्लाई बनाना बड़ा ही आसान काम है, लेकिन एक अच्छी क्वालिटी की प्लाई बनाने के लिए हमें बहुत सी बातो का ध्यान रखना होता है। जैसे मनुश्य के शरीर में खुन की मुख्य भूमिका होती है। वैसे ही प्लाई में रेजिन का कार्य होता है। आइए हम रेजिन उत्पादन के तौर तरिके के बारे में थोडी-सी चर्चा करें।

रेजिन उत्पादनः- सर्वप्रथम हम लोग अगर U.F या P.F रेजिन बनाते है तो इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि हमारी रेजिन कैटिल सही है या नहीं। कुलिंग और हीटिंग सिस्टम सही है या नहीं। अन्यथा रेजिन की Proper Reaction नहीं हो पाऐगी। ध्यान इस ओर भी देना है कि रेजिन Kettle में temperature gauge सही है या नहीं। कुछ लोग सिर्फ Gauge के भरोसे ही रहते हैं और हमें Kettle में आवश्यक temperature ही नहीं मिलता या अधिक मिलता हैं। जिससे रेजिन की Reaction कम या अधिक होने पर हमें अच्छी क्वालिटी का रेजिन प्राप्त नहीं होता हैं इसके लिए Kettle का temperature gauge calibrate होना चाहिए जो हमें सही temperature की जानकारी दे सके।

Role of Kettle in Resin Manufacturingप्रायः उद्योग में देखा गया है कि Resin Operatorजल्दबाजी करते हुए 90°-100° C temperature तक रेजिन को बनाते है, जो कि बहुत ही खतरनाक है। क्योंकि इसमें रेजिन Boil तो होता है, लेकिन Proper Reaction नहीं होता है। जबकि रेजिन को 80°-85° पर धीरे-धीरे Reaction करवाना चाहिए।

U.F रेजिन में यूरिया और Formalin का 1:2.5 और P.F रेजिन में Phenol और Formalin का 1:1.8 के उचित अनुपात में ही मिलाना चाहिए। कीमत कम करने के और बहुत सारे विकल्प है। लेकिन अनुपात के साथ आमतौर पर छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए।

अंत में रेजिन को कुलिंग करने से पहले पूर्णतः Water Tolerance और Viscosity का ध्यान रखना आवश्यक है। अन्यथा रेजिन कम समय में Thick होना शुरू हो जाएगा या Bonding की समस्या आ सकती है।

ग्लु बनानाः- अधिकांश लोग ग्लु बनाते समय U.F रेजिन में मैदा और P.F रेजिन में coconut sell powder का प्रयोग करते है, जों सही भी है। लेकिन बाजार में आज कल बहुत विकल्प आ गए है। जिनके न तो Formulation की हमें जानकारी है और न ही कोई उत्पादन या विक्रेता बताता है। हम सिर्फ ग्लु के Flow time से ही उसका आंकलन करते हैं। हमें नहीं पता होता कि इसमें कोई ऐसा Chemical तो नहीं है जो हमारे रेजिन की Viscosity तो बढ़ाता है, लेकिन उससे Bonding पर कोई प्रभाव पड़ रहा है या नहीं, जो हमें प्लाई बनने के बाद ही पता चलता है। अतः हम जो भी Material इस्तेमाल करे उसकी Testing आवश्यक है।

ग्लु बनाने में हमें कम में कम 30 Minutes mixing अवश्य करनी चाहिए। जिसमें रेजिन सही तरह से mix हो जाए। उसके बाद B6 कप से Flow time measure करना चाहिए जो कम से कम 12sec हो। क्योंकि अगर आपका glue मोटा नहीं होगा तो वो core के fiber को fill नहीं कर पायेगा। जिसमें bonding कमजोर हो सकती है।

Bhavyam Lam gif

हॉट प्रैसिंग की प्रक्रियाः- लाई बनाते समय निम्न तीन बाते मुख्यतः ध्यान रखी जाती है।

  1. Temperature
  2. Pressure
  3. समय

हम जिस भी प्रकार की प्लाई बनाते है उसी के अनुसार temperature, pressure, Time को रखना चाहिए। अन्यथा क्वालिटी Product नहीं बन पायेगा। इसके लिए समय समय पर अपनी press के temperature और presser gauge का calibration करवाते रहना चाहिए।

अधिकतर रेजिन या pressing process में जो हम गलतियां करते है। उनका प्रभाव हमारे product पर ऐसा होता है।

सामान्य गलतियां

  1. रेजिन को अधिक Temperature पर बनाना
  2. Glue का पतला बनना
  3. Press में Temperature कम या अधिक होना
  4. Pressure का कम/अधिक होना
  5. Time का कम होना

Impact

  1. Water tolerance कम होगा जिसमें प्लाई की bonding कमजोर होगी।
  2. Glue core की सतह पर fiber को fill नहीं करेगा जिससे Bonding weak होगी।
  3. Temperature कम होने पर Resin की सेटिंग नहीं हो पायेगी जिससे प्लाई की bonding weak होगी। अधिक temperature होने पर प्लाई band होगी।
  4. Pressure कम होने पर प्लाई की Bonding weak होगी और अधिक होने पर thickness variation बढ़ेगा।
  5. प्लाई के अंदर proper temperature नहीं मिलेगा जिससे ply के अंदर की लेयर की bonding weak होगी।
Natural Natural