सरकारों को लोगों की चिंता नहीं है तो
- नवम्बर 10, 2019
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सरकारों को लोगों की चिंता नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का अधिकार नहींः सुप्रीम कोर्ट
दिल्ली-एनसीआर में गंभीर स्तर तक पहुंच चुके प्रदूषण को नियंत्रित करने में नाकामी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के मुख्य सचिवों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकारों को लोगों की चिंता नहीं है तो उन्हें सत्ता में रहने का कोई हक नहीं। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को पराली नहीं जलाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को 100 रुपए क्विंटल की दर से मदद भी देनी होगी। दो दिन पूर्व प्रदूषण समस्या को लेकर किसानों से सहानुभूति नहीं होने की टिप्पणी पर यू-टर्न लेते हुए कोर्ट ने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसानों के हितों का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है। उन्हें उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। किसान संकट में है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और यूपी के मुख्य सचिवों की जमकर लगाई क्लास
केंद्र से कहा- कैसे कह सकते हो कि कुछ नहीं हो सकता
केंद्र की ओर से अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि गरीब किसानों के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं। पंजाब को 7 जोन में बांटकर पराली अलग-अलग समय पर जला सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में अटाॅर्नी ऐसे सुझाव नहीं दे सकता। पूरे साल आपने कुछ नहीं किया। आप सोचते हैं कि सिर्फ गरीब किसानों को सजा मिले और आप फ्री रहें । वेणुगोपाल ने कहा कि दो लाख किसानों को नियंत्रित नहीं कर सकते।
पंजाब के मुख्य सचिव से कहा- आपको सस्पेंड कर पंजाब भेज देते हैं
पंजाब के मुख्य सचिव ने कहा कि किसान पराली अपने पशुओं को नहीं खिला सकते। इससे पशु मर सकते हैं। जस्टिस मिश्रा ने इस पर कहा कि आपके लिए पशुओं की मौत बड़ा मुद्दा है इसलिए लोगों को मरने दो। हम आपको सस्पेंड कर पंजाब भेज देंगे। आप स्थिति काबू करने में सक्षम नहीं हैं। आप सारी जिम्मेदारी केंद्र को दे देते हैं केंद्र को ही देश पर शासन करने दें। लोग मर रहे हैं। क्या आपको इस उपलब्धि पर गर्व है?
यूपी के मुख्य सचिव कोर्ट ने कहा- लोगों से ज्यादा तो आपको जागरूक करने की जरूरत है…
यूपी के मुख्य सचिव ने कहा कि मेरा नाम राजेंद्र कुमार तिवारी है। हमने मीटिंग की थी। लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हमारे पास आंकड़े भी हैं। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमें आपके नाम, बैठकों व आंकड़ों में दिलचस्पी नहीं है। आप नाम क्यों बता रहे हैं? केवल यह बताएं कि पराली जलाने से रोकने को रोडमैप क्या है? लोगों को नहीं, बल्कि आप जैसे मुख्य सचिव को जागरूक करने की जरूरत है।
हरियाणा के मुख्य सचिव से कहा- आप तो पंजाब से भी बुरे हैं
हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि पराली हटाने पर किसानों के 2 हजार रुपए खर्च होते हैं, जबकि जलाने पर कुछ नहीं लगता। उन्हें जागरूक कर रहे हैं। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पंजाब को जो लेक्चर दिया है, वो आपके लिए भी दोहराएं? आप तो पंजाब से भी खराब हैं। यह जागरूकता फैलाने का समय नहीं है। पराली खरीदें।
दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा- इस कुर्सी पर क्यों हैं?
दिल्ली के मुख्य सविच विजय देव ने कहा कि गंदगी, भवन निर्माण इत्यादि की समस्याओं के लिए अलग-अलग निकाय काम करते हैं। इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि आप दिल्ली में धूल, अवैध निर्माण, निर्माण ढहाने, कूड़ा डालने इत्यादि मामले नहीं देखते तो इस कुर्सी पर क्यों हैं? माॅनीटरिंग कमेटी न होती तो अब तक आप दिल्ली को तबाह कर चुके होते। आप चाहते हैं कि इस समस्या से निपटने के तरीके सीखने आपको सरकारी खर्च पर अमेरिका भेज दें। दिल्ली की काॅलोनियों में जाकर हालात देखें। वहां सड़कें नहीं हैं। सड़कें कागज पर बन रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
- उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब सरकार 7 दिन में किसानों को 100 रुपए क्विंटल के हिसाब से आर्थिक मदद दे, ताकि वह खेत साफ करने के लिए पराली न जलाएं।
- राज्य सरकार छोटे किसानों को उचित दामों पर मशीने मुहैया कराए। केंद्र सरकार तीन महीने में छोेटे और सीमांत किसानों के हितों की रक्षा के लिए व्यापक योजना तैयार करें।
- माॅनीटरिंग कमेटी देखे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है या नहीं? दिल्ली सरकार तीन सप्ताह में सड़क के गड्ढे भरे और कोर्ट को रिपोर्ट दे।