वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के उप-प्रधान गजेन्द्र राजपूत के नेतृत्व में WTA टीम द्वारा हाल ही में वियतनाम और नेपाल के वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज का दौरा किया गया, जिसमे वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के सेक्रेट्री और कोशाध्यक्ष मनोज ग्वाडी और सेक्रेट्री अवधेश यादव सम्मिलित थे। जिसका मुख्य उद्देश्य वहां की प्लाईवुड इंडस्ट्रीज के काम करने के तरीके और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली अलग अलग प्रकार की लकड़ी का विस्तृत अध्ययन करना था।

WTA टीम के द्वारा वियतनाम में करीब 7 से अधिक कंपनियों का दौरा किया गया। गजेन्द्र राजपुत ने बताया की वहां की WBI केकाम करने का तरीका और भारत में काम करने के तरीके में काफी अंतर है।

हमारे यहां फैक्ट्री में जितने श्रमिक काम करते है उसकी तुलना में वियतनाम में श्रमिकों की कुल संख्या करीब चौथाई ही है। जिसका मुख्य कारण आटोमेटिक प्रोडक्शन लाइन का प्रयोग और कोल्ड प्रेस्सिंग मेथड से माल बनाना है। आपको यह जानकार हैरानी होगी की वहां लगभग सभी कम्पनियाँ प्री-प्रेस्सिंग तरीके से ही प्लाईवुड का उत्पादन करती हैं।

वियतनाम में मुख्यतया दो प्रकार की लकड़ी बहुतायत में पायीं जाती है। एक अकेशिया दूसरा यूकेलिप्टस (सफेदा)। जहाँ सफेदा माल को डेंसिटी प्रदान करता है, वहीं, अकेशिया, जो की लगभग पोपलर से मिलती जुलती लकड़ी है, माल में इलास्टिसिटी बढ़ाने में मदद करती है।

Ristal Laminates gif

लकड़ी को पीलिंग करने का प्रोसेस हमारे देश जैसा ही है, लेकिन, पील हुए पत्ते को केवल धुप में सुखाने (सन ड्राई) के बाद करीब 12-14 प्रतिशत मॉइस्चर के साथ ही कोर की असेम्बली शुरू हो जाती है। ड्रायर (मशीन) का प्रयोग इक्का दुक्का फेक्ट्री में ही होता है।

मनोज ग्वाडी ने बताया कि माल की अस्सेम्बली कनवयेर लाइन पर ग्लू सप्रेडिंग करके सीधे ही की जाती है और नमी वाली इस कोर को अस्सेम्बली करने की क्षमता उनके विशेष MUF रेजिन के कारण ही संभव हो पाता है। वियतनाम का MUF रेजिन, वैसे तो हमारे MR ग्रेड रेजिन जैसा ही हैं, लेकिन नमी को सोखने के लिए रेजिन में कुछ अन्य केमिकल्स का मिश्रण किया जाता है, जिससे वह नमी वाली कोर की भी असम्बली करके प्री-प्रेस्सिंग कर पाते है। प्री-प्रेसिंग के पश्चात माल को हॉट प्रेस में सिर्फ कुछ निश्चित समय के लिए प्रेस किया जाता है और माल अच्छी फिनिश के साथ फाइनल स्टेज में आ जाता है।

यदि मूल रूप से वियतनाम और हमारे देश की WBI की तुलना की जाए तो आप महसूस करेंगे की वह हमसे कहीं कम दरों पर माल का उत्पादन कर पा रहे हैं, जिसका मुख्य कारण वहां इस्तेमाल होने वाला रेजिन ही है। यदि हम इस प्रकार का रेजिन अपने देश में भी बना कर उपयोग करें, तो, हम अच्छी गुणवत्ता का MUF ग्रेड माल हाई प्रोडक्टिविटी के साथ बना कर लाभ प्राप्त कर सकते है।

अधिकतर कंपनियां जहाँ दो से पांच प्रेस तक की क्षमता है, वे मात्र तीन टन के बायलर का इस्तेमाल करती है और प्लाईवुड प्रोडक्शन के दौरान उर्जा की अधिकतम बचत करके अपने लाभ को सुनिश्चित करती है।

जैसा की आप सभी जानते ही हैं की वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन प्लाईवुड इंडस्ट्रीज से जुड़े एक्सपर्ट्स का एक समूह है, इसलिए यदि कोई भी भारतीय WBI इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का सहयोग चाहे तो वह WTA के प्रधान श्री एस सी जॉली जी से सीधे सम्पर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

जहाँ तक नेपाल के परिपेक्ष का सवाल है, वहां भारतीय तौर तरीके से ही प्लाईवुड का उत्पादन हो रहा है। क्योंकि पोपुलर की लकड़ी बहुत ही कम मात्र में उपलब्ध है, इस लिए वहां नेपाल की मूल लकड़ी उतीस प्रजाति का प्रयोग किया जाता है, जो की पोपलर से मजबूती में थोडा कम किन्तु उपयोगी लकड़ी है। इसकी विशेषता ड्राई होने के बाद, इसका फाइबर मुलायम होने की वजह से मिलने वाला चिकनापन है, जो की माल के टॉप लेयर पर डालने के बाद माल को एक सुन्दर फिनिश प्रदान करता है। प्रोडक्शन के अन्य क्षेत्र में नेपाल और हमारी WBI में कुछ तकनीकी विषयों को छोड़ कर कोई विशेष अन्तर नहीं है।


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