Avdhesh Jain
- फ़रवरी 17, 2021
- 0
एमडीएफ की डिमांड तेजी से बढ़ रही है इसकी वजह क्या है?
एमडीएफ का उत्पादन क्योंकि कम है, इसलिए ऐसा लगता है कि एमडीएफ की डिमांड ज्यादा है। यदि थोड़ी सी भी डिमांड आ जाए तो वह बहुत ज्यादा लगती है। कुछ सेलक्टेड ब्रांड है। चार-पांच बड़े और कुछ छोटे ब्रांड है। इन सभी की कैपेसिटी को यदि हम गणना करें तो बड़े ब्रांड से साढ चार पांच हजार क्युबिक मीटर की उत्पादन क्षमता होती है। अन्य दुसरे ब्रांड को जोड़ने पर भी कुल सात-आठ हजार क्यु मी का उत्पादन होता है। प्लाइवुड की समग्र उत्पादन के मुकाबले यह बहुत कम है। क्योंकि यह तो बस चार से पांच प्रतिशत ही बैठ रहा है। ऐसे में यदि प्लाइवुड की डिमांड में यदि चार से पांच प्रतिशत कमी आती है तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यदि प्लाइवुड की एक प्रतिशत मांग एमडीएफ में आ जाती है तो लगता है कि डिमांड बहुत ज्यादा हो गयी हो। हां, यह बात सही है कि प्लाइवुड का झुकाव एमडीएफ में लगातार हो रहा है।
अभी भी आप एमडीएफ के वर्तमान बाजार को दस प्रतिशत से नीचे मान रहे हैं।
एमडीएफ के ढाई सौ से तीन सौ ट्रक प्रति दिन यदि उत्पादन हो रहा है तो यह बहुत ज्यादा नहीं माना जा सकता है। क्योंकि यदि प्लाइवुड की एक युनिट ही दो से तीन ट्रक उत्पादन कर रही है तो अकेले यमुनानगर में ही दो सौ से अधिक ट्रक प्रतिदिन उत्पादन होता है। दूसरी सभी जगह में भी इतना ही उत्पादन हो जाता है। इस तरह से देखा जाए तो प्लाईवुड की सभी इकाई, जो कि बड़ी छोटी और मध्यम दर्जे की है, पन्द्रह सौ से अधिक ट्रक प्रतिदिन का उत्पादन कर सकते हैं।
यह सही है कि एमडीएफ की जितनी मांग पहले बाजार में थी, अब इससे ज्यादा डिमांड है। क्योंकि पिछले साल हम शत प्रतिशत उत्पादन नहीं ले पाते थे। हमें अपने उत्पादन चक्र को महिने में तीन से सात दिन के लिए रोकना ही पड़ता था। लेकिन अब शतप्रतिशत क्षमता से उत्पादन हो रहा है। अब कोशिश यह भी हो रही है कि मोटी थिकनेस के आर्डर अधिक आएं। लाॅअर थिकनेस में रुचि कम ले रहे हैं।
एमडीएफ का भविष्य क्या देख रहे हैं?
एमडीएफ की भविष्य में अधिक उम्मीद नजर आ रही है। इसकी वजह यह भी है कि इसमें मानवीय श्रम की कम जरूरत है। अधिकतर काम मशीनों से होता है। इसका लाभ एमडीएफ को हमेशा मिलता रहेगा।
राॅ मैटिरियल को लेकर अब क्या स्थिति है?
राॅ मैटिरियल में काफी दिक्कत आ रही है। आयात में समस्या आ रही है। कंटेनर नहीं मिल पा रहे हैं। राॅ मैटिरियल काफी महंगा हो गया है। 25 से 30 प्रतिशत तक महंगा हो गया है। लेबर के रेट भी बढ़ रहे हैं, क्योंकि कोविड की वजह से दक्ष श्रमिकों की आपूर्ति में व्यवधान आया है। इस वजह से उत्पादन लागत बढ़ रही है। हमने रेट भी दो बार रिवाइज किए हैं।
जितना आपने रेट बढ़ाने की कोशिश की उतना तो बढ़ ही गया?
लेकिन फिर भी इसमें नुकसान है। क्योंकि एमडीएफ सेक्टर में दो से तीन महीने तक की अग्रिम बुकिंग होती है। अब होता यह है कि हमें कच्चा माल तो नए रेट पर खरीदना पड़ रहा है। लेकिन डिलिवरी पुराने रेट पर हो रही है। इसलिए यह मन को समझाने वाली कोशिश है।
फायर रिटारडेंट (अग्निप्रतिरोधक), की क्षमता कितनी मान कर चल सकते हैं?
फायर रिटारडेंट आग से काफी हद तक प्रतिरोधक है। एमडीएफ में ऐसा उत्पाद अभी तक नहीं था। सरकारी क्षेत्रों में तो फायर रिटारडेंट अब आवश्यक हो चला है। वहां उन्हें इस तरह का उत्पाद पहले नहीं मिलता था। इसलिए यह एक अद्वितीय उत्पाद है।
क्या जनरल माकेर्ट से भी इसका आर्डर मिलेगा?
लगता है कि सरकारी मार्केट से इसके आर्डर ज्यादा मिलेंगे। क्योंकि जनरल मार्केट में होता यह है कि ग्राहक कारपेंटर पर निर्भर होते हैं। उन्हें फायर रिटारडेंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। इसलिए वह इसकी सलाह अभी नहीं दे पा रहे हैं।
क्या हमारे उत्पाद नमी रोधक भी है?
जब भी दीवार से सटा कर फर्नीचर बनाए जाते हैं, तो इसमें नमी आने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन यदि दीवार व एम डी एफ के बीच में एयर गैप रख दिया जाए तो यह समस्या बहुत हद तक दूर हो जाती है। हम अपने ग्राहकों को यह सलाह और जानकारी जरूर देते हैं।