The debate about culture is becoming increasingly intense. Even the Supreme Court joined in and accepted the PIL saying that distribution of free gifts out of public money before elections is tantamount to giving bribe to voters.

The government giving any kind of subsidy is left with less money to spend on infrastructure. It will be much more difficult for other states to do so than Delhi. Because Delhi often lives in a state of budget surplus.

Modi’s government has spent a lot on infrastructure. Even during the pandemic, it continued to insist on increasing demand. For this the expenditure was increased and while working on the infrastructure, emphasis was given to sustain the growth through it.

Union Finance Minister Nirmala Sitharaman, the maker of this policy, said during the monsoon session of Parliament that the debt of the state governments is increasing not only because of welfare schemes, but it has also increased because they have given money to government companies or companies made for a special purpose. It has also been used for out-of-budget borrowings.

One thing Modi has repeatedly pointed out is that states should show greater accountability in the power sector. State governments owe Rs 2.5 lakh crore to power companies. This problem raises its head again and again, every time the central government has to bail out the distribution companies so that the power supply can continue, the amount can be paid to the distribution companies and the public sector banks can also be saved.

Modi is aware of both aspects of this question as his most prominent policy innovation as chief minister was separate power lines and tariffs for the agriculture sector. This led to 24-hour power supply to households and rural enterprises, and limited access to subsidized power to the agricultural sector.

The debate about ravens should be viewed from the point of view of the federal struggle for program regulation and financial assistance to them.

Several regional parties have defended the right of the states to run their own welfare schemes by giving affidavits to the Supreme Court. Attacking the state-level welfare system is problematic for two reasons.

One of these reasons is policy and the other is political. At the policy level, this is because the state governments are prime in terms of policy innovation and service delivery. It is important for them to be able to experiment and be accountable. From mid-day meals to student cycles, the best ideas have often been adopted.

It is very important for the poorest of Indians that this process continues. Political reasons are equally important. The design of welfare schemes for the regional parties of the country makes a significant difference.


रेवड़ियों पर होने वाली बहस



रेवड़ी संस्कृति को लेकर बहस लगातार तेज होती जा रही है। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय भी इसमें शामिल हो गया और उसने जनहित याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि चुनाव के पहले सार्वजनिक धन से मुफ्त उपहार बांटना मतदाताओं को रिश्वत देने जैसा ही है।
किसी भी तरह की सब्सिडी देने वाली सरकार के पास अधोसंचार पर व्यय के लिए कम पैसा बचता है। अन्य राज्यों को ऐसा करना दिल्ली की तुलना में बहुत मुश्किल होगा क्योंकि दिल्ली अक्सर बजट अधिशेष की स्थिति में रहता है।

मोदी सरकार ने अधोसंचार पर काफी व्यय किया है। यहां तक कि महामारी के दौरान भी उसने मांग बढ़ाने पर जोर देना जारी रखा। इसके लिए व्यय बढ़ाया गया और बुनियादी ढांचे पर काम करते हुए जोर दिया गया कि इसके माध्यम से वृद्धि को बरकरार रखा जाए।

इस नीति की निर्माता केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कहा कि राज्य सरकारों का कर्ज केवल कल्याण योजनाओं के कारण ही नहीं बढ़ रहा है बल्कि यह इसलिए भी बढ़ा है कि उन्होंने सरकारी कंपनियों या विशेष उदे्श्य से बनी कंपनियों की राशि का इस्तेमाल भी बजट से इतर उधारी के लिए किया है।

मोदी ने एक बात की ओर बार-बार इशारा किया है और वह यह कि बिजली क्षेत्र को लेकर राज्यों को अधिक जवाबदेही का परिचय देना चाहिए। राज्य सरकारों पर बिजली कंपनियों कीे 2ण्5 लाख करोड़ रूपये की राशि बकाया है। यह समस्या बार-बार सर उठाती है हर बार केंद्र सरकार को वितरण कंपनियों को उबारना होता है ताकि बिजली की आपूर्ति जारी रह सके, वितरण कंपनियों को राशि चुकाई जा सके और सरकारी बैंको को भी बचाये रखा जा सके ।

मोदी इस प्रश्न के दोंनो पहलुओं से वाकिफ हैं क्योंकि बतौर मुख्यमंत्री उनका सबसे प्रमुख नीतिगत नवाचार था कृषि क्षेत्र के लिए अलग बिजली लाईन और दरें। इससे परिवार और ग्रामिण उपक्रमों को 24 घंटे बिजली मिलने लगी और कृषि क्षेत्र को मिलने वाली सब्सिडी आधारित बिजली की आपूर्त्ति सीमित हुई। रेवड़ियों को लेकर हो रही बहस को कार्यक्रम चयम और उन्हें वितीय सहायता देने को लेकर संघीय संघर्ष की दृष्टि से देखा जाना चाहिए।

कई क्षेत्रीय दलों ने सर्वोच्च न्यायालय को हलफनामा देकर राज्यों के अपनी कल्याण योजनाएं चलाने के अधिकार का बचाव किया है।राज्य स्तरीय कल्याण व्यवस्था पर हमले करना दो वजहों से दिक्कत वाला है।

इनमें से एक वजह नीतिगत है तो दूसरी राजनीतिक। नीतिगत स्तर पर देखे तो ऐसा इसलिए है कि राज्य सरकारे नीति नवाचार और सेवा आपूर्ति की दृष्टि से प्रमुख है। उनके लिए यह आवश्यक है कि वे प्रयोग करने में सक्षम रहें तथा उनकी जवाबदेही हो।

मध्याहन भोजन से लेकर छात्रों की साइकल तक सबसे बेहतरीन विचारों को अक्सर अपनाया गया हैं। गरीब से गरीब भारतीयों के लिए यह भर अहम है कि ये प्रक्रिया चलती रहे। राजनीतिक कारण भी उतने ही महत्वपूर्ण होते है। देश के क्षेत्रीय दलों के लिए कल्याण योजनाओं की डिजाइन एक अहम अंतर पैदा करती है।