India's first wood frame house

रियल एस्टेट क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए, डेवलपर्स की मांग हैं कि घर खरीदने वालों को कर में बड़ी राहत दी जानी चाहिए। सरकार का यह कदम रियल एस्टेट के विकास में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है। घर खरीदने के लिए गए कर्ज के ब्याज को कम किया जाए। किफायती घर को नए सिरे से परिभाषित किया जाना चाहिए।

2017 में तय किया गया कि जिस घर की लागत 45 लाख रुपए है, उसे किफायती की श्रेणी में रखा जाएगा। लेकिन नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) के आंकड़ों के अनुसार, जून 2018 के बाद से भारत में आवास की कीमतों में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। घरों की बढ़ती लागत की वजह से डेवलपर्स के लिए 45 लाख रू में किफायती घर उपलब्ध कराना संभव नहीं है। मुद्रास्फीति के दबाव के कारण 50 लाख रू से कम की इकाइयों की उपलब्धता में भी धीरे-धीरे कमी आई है।

केंद्रीय बजट से पहले, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) ने मांग की कि मध्यम-आय वर्ग के लिए क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को फिर से शुरू किया जाए। स्टांप ड्यूटी कम की जानी चाहिए।

किफायती आवास परियोजना को लाइसेंस देने की प्रक्रिया आसान की जानी चाहिए। इस तरह की योजनाओं के लिए सरकार अनुदान भी उपलब्ध कराए। कारोबारियों ने तर्क दिया कि रियल एस्टेट जीडीपी में वृद्धि करने के साथ साथ रोजगार के अवसर पैदा करने वाला क्षेत्र है। जो बुनियादी ढांचे के विकास में अपने महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए, रियल एस्टेट क्षेत्र को सरकार से उम्मीद है कि उनकी लंबे समय से चली आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए उचित आर्थिक सहुलियत और रियायत उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

जिससे इस क्षेत्र में लंबे समय के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त हो। खासकर किफायती आवास क्षेत्र के कारोबारियों ने बताया कि क्रेडाई सरकार का सहयोग करते हुए रियल एस्टेट के विकास के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है।

रियल एस्टेट प्रतिनिधियों का कहना है कि कर छूट में वृद्धि और किफायती घरों की परिभाषाओं में बदलाव से घरों की मांग और आपूर्ति दोनों में इजाफा किया जाना संभव है। जिससे अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।

भारतीय रियल एस्टेट के 10 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को छू रही है, जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग 20 प्रतिशत योगदान है। अभी घर के कर्ज पर 150,000 रुपये का अनुदान है। इस लाभ को भी सभी घर खरीदने वाले नहीं ले सकते, क्योंकि इसे अन्य कर-बचत योजनाओं के साथ जोड़ दिया गया है। डेवलपर्स निकाय के अनुसार, आवास ऋण के कर्ज की छूट को धारा 80 सी के तहत बढ़ाने की जरूरत है।