
बीआईएस में आवेदन की प्रक्रिया
- जनवरी 9, 2025
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जैसा की आप सभी जानते ही हैं कि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा लकड़ी आधारित उत्पादों (प्लाईवुड और पैनल्स) के सभी प्रोडक्ट्स को क्वालिटी कण्ट्रोल आर्डर की परिधि में लाने का निर्णय लिया गया है, प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में वुड बेस्ड प्रोडक्ट्स में काम करने वाली लगभग कुल 3400 यूनिट्स में से करीब 700-800 यूनिट्स के पास ही BIS का लाइसेंस है और शेष सभी कंपनियों को जल्द से जल्द लाइसेस लेना होगा। लेकिन आज के इस परिवेश में यह समझना भी अति आवश्यक है कि लाइसेंस की प्रक्रिया क्या है और हमें लाइसेंस लेते समय किन किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना है, इन सभी विषयों को हम आज अपने इस लेख के माध्यम से आपके पास पहुँचाने का प्रयास करेंगे।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा लाइसेंस लेने के लिए मूल रूप से दो प्रक्रियाओं का संयोजन किया गया है, पहली नार्मल प्रोसीजर (साधारण प्रक्रिया) दूसरी सिम्पलीफाइड प्रोसीजर (सिम्पलीफाइड प्रक्रिया) यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात यह है की जो भी प्रोडक्ट्स क्वालिटी कण्ट्रोल आर्डर की परिधि में आते हैं, उनके लिए दूसरी प्रक्रिया यानी सिम्पलीफाइड प्रोसीजर (सिम्पलीफाइड प्रक्रिया) ही लागू होगी, न कि नार्मल प्रोसीजर (साधारण प्रक्रिया)। अतः आप जब भी अपने किसी भी प्रोडक्ट के लिए लाइसेंस लेने का निर्णय लें, तो आपको सिम्पलीफाइड प्रोसीजर (सिम्पलीफाइड प्रक्रिया) से ही आवेदन करना होगा. यह प्रक्रिया विशेष रूप से आपके आवेदन में होने वाली देरी को कम करने के लिए डिजाईन की गयी है। यदि आप इस प्रक्रिया के अनुसार लाइसेंस आवेदन करते हैं, तो, आवेदन के (अधिकतम) 30 दिनों के अंदर BIS आपको लाइसेंस प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को हम निम्न चरणों के माध्यम से समझ सकते हैं:
चरण 1. आवेदन के लिए अपनी कंपनी का registration
प्रक्रिया की शुरुवात कंपनी को manakonline पोर्टल पर कंपनी के तमहपेजतंजपवद से होती है। उद्योग से जुडी कई प्रकार की जानकारियाँ इसमें मांगी जाती हैं जिसमे MSMEs सर्टिफिकेट - फ़ोन नंबर - ईमेल एड्रेस - GST नंबर इत्यादि भरी जाती हैं। यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है की फर्म के रजिस्ट्रेशन से जुड़े डॉक्यूमेंट में हमेशा MSMEs सर्टिफिकेट का ही इस्तेमाल करें। क्योंकि आपको दी जाने वाली किसी भी प्रकार की छूट, इसी सर्टिफिकेट के आधार पर दी जाती है। ऐसा करने से बाद में मिलने वाली छूट में गड़बड़ी की संभावना भी ख़त्म हो जाती है।
चरण 2. सेम्पल्स टेस्टिंग के लिए आवेदन करना
मानक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के उपरांत, पोर्टल पर आपको जिस प्रोडक्ट के लिए आप आवेदन करना चाहते हैं, उसके सभी सेम्पल्स के लिए टेस्ट रिक्वेस्ट बनानी होती है। जिसमे प्रोडक्ट का भारतीय स्टैण्डर्ड नंबर - टाइप और ग्रेड - डाइमेंशन्स - कोर विनियर- फेस विनियर - फ्रेम और फिलर इत्यादि की डिटेल भरी जाती है और उपलब्ध लेब्स में से किसी भी एक लेब का चुनाव करना पड़ता है। जैसे ही आप टेस्ट रिक्वेस्ट लैटर बना लेते हैं, इसकी एक कॉपी स्वतः ही चुनी गयी लैब को सूचना हेतु चली जाती है। अब आप टेस्ट रिक्वेस्ट के हिसाब से सेम्पल्स को पैक कर सीधे लैब भेज सकते हैं और कुछ दिनों बाद मानक पोर्टल पर (टेस्ट रिक्वेस्ट आपत्तियों में) जाकर पुनः सैंपल की रिपोर्ट का स्टेटस चेक कर सकते हैं।
साधारणतया रिपोर्ट आने में 30 दिन का समय लग जाता है किन्तु यह लेब के चुनाव पर भी निर्भर करता है, जिस लैब के पास सबसे कम सेम्प्लस पेंडिंग में होंगे उसकी रिपोर्ट जल्दी आने की संभावना रहती है।
चरण 3. लाइसेंस के लिए आवेदन करना
मानक पोर्टल पर जैसे ही आपको आपके द्वारा भेजे गए सेम्पल्स की रिपोर्ट प्रदर्शित होने लगे, बिना देरी किये आपको पोर्टल के ही माध्यम से ‘‘अप्लाई फॉर लाइसेंस‘‘ आइकॉन का चुनाव कर एप्लीकेशन फाइल करनी चाहिए। किन्तु एप्लीकेशन फ़ाइल करने से पहले आपके पास कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, अलग अलग पीडीएफ़ डॉक्यूमेंट फॉर्म में बने होने चाहिए। जैसे MSMEs सर्टिफिकेट-पार्टनरशिप डीड या मेमोरेंडम ऑफ़ एसोसिएशन-फैक्ट्री लेआउट-क्वालिटी कण्ट्रोल इंचार्ज का सर्टिफिकेट (और उसकी पासपोर्ट साइज फोटो) -लिस्ट ऑफ़ प्लांट एंड मशीनरी-लिस्ट ऑफ़ लैब इक्विपमेंट-कैलिब्रेशन सर्टिफिकेट्स
आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि पोर्टल पर लैब द्वारा रिपोर्ट अपलोड करने की तिथि से (अधिकतम) 90 दिनों के भीतर आपकी एप्लीकेशन दाखिल हो जानी चाहिए अन्यथा BIS द्वारा आपकी एप्लीकेशन रिक्वेस्ट को कैंसिल भी किया जा सकता है। एप्लीकेशन पूर्ण रूप से जमा हो जाने के बाद अंदाजन 10 दिनों में BIS द्वारा फैक्ट्री विजिट कर ली जाती है। इसलिए एप्लीकेशन आवेदन से पहले अपनी तैयारियों का मुआयना करना उत्तम है। एक विशेष ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस आवेदन प्रक्रिया के अंत में आपको एक वर्ष की एडवांस मार्किंग फीस भी जमा करनी होती है। अतः ध्यान रखें की जमा कि जाने वाली मार्किंग फीस दी गयी छूट के अनुरूप ही हो।
चरण 4. भारतीय मानक द्वारा फैक्ट्री विजिट
आपके द्वारा आवेदन करने के बाद BIS अधिकारीयों द्वारा आपकी फैक्ट्री में विजिट की प्लानिंग, आवेदन पत्र में दी गयी जानकारियों की स्क्रूटनी के तुरंत पश्चात की जाती है। जिसमे अधिकारी आवेदन फार्म में दी गयी जानकारियों को फैक्ट्री में एक-एक करके जांचते हैं और सभी आवशयकता में पूर्ण होने के बाद फाइनल आवेदन किये गए प्रोडक्ट के सैंपल को बाहर लेब में जांच के लिए भेजते है।
विजिट पूर्ण होने के लगभग एक हफ्ते पश्चात भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा फर्म को लाइसेंस ग्रांट कर दिया जाता है। जिसकी सूचना पुनः मानक पोर्टल के मध्यम से ही आपके पास पहुँचती है। जिसमे फर्म को एक यूनिक दस अंकों का नंबर दिया जाता है। और तत्पश्चात फर्म आवेदन किये गए प्रोडक्ट मैन्युअल के अनुसार स्क्रीन बनवा कर मार्किंग शुरू कर सकती है। मार्किंग शुरू करने के लिए एक सूचना पत्र और (बनायीं गयी) स्क्रीन की एक प्रति आपके निकटतम मानक आफिस को भेजना उत्तम है।
चरण 5. प्रमाण पत्र मिलने के बाद की निगरानी
अब बीआईएस ने जो मानक तैयार किए हैं, प्रमाण पत्र लेने के बाद इसकी पालना हो रही है या नहीं, इसकी जांच के लिए भी एक प्रक्रिया है। यह काम बीआईएस की देखरेख में एक टीम करेगी। यह टीम समय समय पर फैक्टरी में निरीक्षण करेगी और सैंपल आदि लेकर उनकी जांच करेगी।
चरण 6. प्रमाण पत्र का नवीनीकरण
यह प्रमाण पत्र एक समयसीमा के लिए होगा (साधारणतः एक वर्श)। इसके बाद दोबारा से प्रमाण पत्र बनवाना होगा। इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि जैसे ही प्रमाण पत्र के समाप्त की तारीख नजदीक आए, इससे पहले ही दोबारा से प्रमाण पत्र की ओपचारिकता पूरी कर कर ली जाए।
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