भारत 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य के अनुसार तत्काल, मध्यम और लंबे समय के लिए प्लान तैयार कर रहा है, जिसमें इलेक्ट्रिक क्षेत्रश् लेन देन को सुगम बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का डिजिटलाइजेशन करने के साथ् साथ परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हाई-स्पीड एक्सप्रेस वे पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

आगामी पांच साल की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए सभी केंद्रीय मंत्रालय योजनाएं तैयार कर रहे हैं। इसमें लक्ष्य को हासिल करने के लिए खर्च होने वाली रकम का आकलन किया जा रहा है।

कारों और इस तरह की जरूरतों को पूरा करने वाले उत्पादों का निर्माण बढ़ रहा है।

ईवेस्ट को रिसाइकिल करने की ओर ध्यान दिया जा रहा है। इसके साथ ही कृषि उत्पादन बढ़ाने के उपाय पर काम हो रहा है। देश के युवाओं का समग्र कौशल बढ़ाया जा रहा है। इसके परिणाम स्वरूप खदानों से तेजी से उत्पादन और भारतीय भूविज्ञान का व्यापक मूल्यांकन, और वृद्धि हुई है।

इसके साथ ही उत्पादन लागत कम करते हुए विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है। लघु अवधि के साथ-साथ मध्यम और लंबे समय की दोनों योजनाओं का प्रमुख लक्ष्य सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन को ध्यान में रखते हुए देश की आर्थिक वृद्धि को ऊपर उठाना और रोजगार के अवसर को बढ़ावा देना है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 100 वे साल में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दिसंबर 2023 में विकसित भारत/2047 पहल शुरू की थी। प्रधानमंत्री के विजन के तहत तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विमर्श से जो उपाय निकलेंगे उन्हें नई सरकार कार्यभार संभालने के पहले 100 दिनों में लागू किए जाने की संभावना है।

किसी भी नीति के तहत दीर्घकालिक पूंजीगत व्यय योजनाएं, सब्सिडी और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) वितरण या रियायतें का आंकलन पहले से किया जाता है। इसके अलावा भविष्य में कोई रियायत देनी है या मौजूदा रियायतों को बढ़ाना है, इसकी योजना भी पहले तैयार की जाती है।

इन सभी उपायों को देखते हुए नीति आयोग का अनुमान है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक बढ़कर 30 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी, जो अभी लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है।