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दिल्ली एनसीआर के रेड-हॉट रियल एस्टेट बाजार में, 5 करोड़ का बजट भी एक प्रमुख इलाके में एक प्रतिष्ठित डेवलपर की बिल्कुल नई परियोजना में घर की गारंटी नहीं दे सकता है।

क्योंकि 6 करोड़ और उससे अधिक कीमत वाले घर लॉन्च के कुछ ही घंटों के भीतर बिक रहे हैं। इस वजह से डेवलपर्स छोटे आकार के अपार्टमेंट की बजाय बडे़ अपार्टमेंट प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं। लेकिन यह बाजार के लिए चिंता की वजह है। क्योंकि जो वास्तव में अपार्टमेंट को रहने के लिए खरीदना चाह रहा है, वह महंगी कीमत पर अपार्टमेंट खरीदने में सक्षम नहीं हे। इसलिए उन्हें कीमत के कम होने का इंतजार करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बाजार के इस मिजाज से विशेषज्ञों को भी चिंता में डाल दिया है। क्योंकि इसमें प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त में लाभ कमाने वाले शामिल है। वह इस तरह के महंगे अपार्टमेंट खरीद कर इसमें रहने नहीं आ रहे हैं। उनकी कोशिश है कीमत बढ़े तो वह इसे बेच कर लाभ कमाए। इस प्रवृत्ति से बाजार में प्रॉपर्टी में जो उछाल नजर आता है, वह क्षणिक साबित हो सकता है।

लगभग 18 माह से एनसीआर के ज्यादातर छोटे फ्लैट्स के रेट डबल हो गए हैं। डेवलपर्स भी छोटे आकार के अपार्टमेंट लॉन्च नहीं कर रहे हैं। अब इससे मध्यम वर्ग के खरीदारों के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया है। एक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा, अब प्रति वर्ग फुट तो कीमत कम हो नहीं सकती, इसलिए यदि मध्यम वर्ग के खरीदारों को कम कीमत के मकान उपलब्ध कराने है ंतो डेवलपर्स को 5 करोड़ से नीचे की श्रेणी में कम आकार के अपार्टमेंट तैयार करने होंगे।

“हमारा मानना है कि कीमतें अब स्थिर हो जाएंगी और अगले छह-आठ वर्षों तक नहीं बढ़ेंगी। बाजार काफी समय से नीचे था, इसलिए उम्मीद थी कि इसमें तेजी आएगी। लेकिन अब लगभग उसी कीमत पर नई परियोजनाएं आ रही हैं। इसलिए बाजार में तेजी की संभावना कम नजर आ रही है। जो कि कुछ हद तक चिंताजनक है। खरीदारों को फिलहाल अपनी इन्वेंट्री छह-आठ साल तक रखनी होगी, तब जाकर कीमतों के बढ़ने की उम्मीद है।

कुछ डेवलपर्स का मानना है कि प्रोजेक्ट चरणबद्ध तरीके से निर्माण के बाद चार से पांच वर्षो में बेचे जाने चाहिए, एक बार में नहीं।

“एक बड़ी परियोजना पांच साल से अधिक समय में पूरी होती है। डेवलपर को हर साल इसका कुछ हिस्सा बेचना चाहिए। तब खरीदार को लगेगा कि कीमत बढ़ रही है। साथ ही अपार्टमेंट की बढ़ती संख्या भी बाजार में आसानी से खप सकती है।

लक्जरी अपार्टमेंट व घरों की खरीद में तेजी से सुधार हुआ है। डेवलपर्स को पिछले पांच वर्षों में इस श्रेणी के आवासीय भवनों में 45 प्रतिशत का इजाफा किया है। भारत के प्रमुख शहरों में 2019 के बाद से यह श्रेणी नौ प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही है।