Omicron will Increase Complications
- जनवरी 24, 2022
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The economic outlook, however, has become far more uncertain in recent days. A new variant of Covid-19, named Omicron-first discovered in South Africa-is said to be more contagious than the Delta variant, which was partly responsible for the deadly second wave in India. Although scientists might take some more time to gauge the potential consequences, the World Health Organization has called it a “variant of concern”. The resultant uncertainty has increased volatility in financial markets. This came at time when the global economic recovery was anyway said to be losing steam. A renewed surge in Covid-19 cases globally would increase macroeconomic risks with implications for growth, inflation, and government finances.
It is likely that a potential surge in infection in different parts of the world would not only affect demand but also cripple supply chains that were being rebuilt over the past several months. Price pressures, therefore, might increase, leading to higher inflation.
Although the world is learning to live with the virus and its impact on mobility and economic activity has declined considerably compared to the initial phase, it would still affect growth and supply chains. This would naturally increase complications for policy managers. The RBI has also termed the post-pandemic higher rate of inflation transitory. Although the rate has come down, it is expected to move up again.
ओमिक्रोन से जटिलताएं बढ़ेंगी
आर्थिक परिदृश्य हाल के दिनों में ज्यादा अनिश्चित हुआ है। कोविड-19 का एक नया रूप ओमीक्रोन जिसका पता दक्षिण अफ्रीका में चला था, उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह डेल्टा रूप की तुलना में अधिक संक्रामक है। देश में कोविड की दूसरी लहर के लिए डेल्टा को बड़ी वजह माना गया। हालांकि वैज्ञानिकों को वास्तविक स्थिति का आकलन करने में कुछ और वक्त लग सकता है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रोन को चिंता की वजह बताया है। इसके परिणामस्वरूप वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है। यह सब ऐसे समय हुआ है जब वैश्विक आर्थिक सुधार के गति खोने का अनुमान लगाया जा रहा है। कोविड-19 के मामले दुनिया भर में पुन बढ़ने लगे तो वृहद आर्थिक जोखिम बढ़ेगा और वृद्धि, मुद्रास्फीति और सरकारी वित्त पर दबाव बनेगा।
इस बात की काफी संभावना है कि दुनिया के अन्य हिस्सों में संक्रमण में संभावित वृद्धि न केवल मांग को प्रभावित करेगी बल्कि इससे पिछले कुछ महीनों में तैयार आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर होगा। ऐसे में कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है।
हालांकि दुनिया वायरस के साथ जीना सीख रही है और लोगों की आवाजाही तथा आर्थिक गतिविधियों पर इसका प्रभाव शुरुआती दौर की तुलना में काफी कम हो गया है। लेकिन यह अभी भी वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करेगा। इससे नीति प्रबंधकों की जटिलताएं बढ़ेंगी। आरबीआई ने महामारी के बाद की बढ़ी हुई दर को अस्थायी बताया था। हालांकि दर में कमी आई लेकिन इसके दोबारा बढ़ने की आशंका है।