Relaxation in debt restructuring
- अगस्त 27, 2020
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Relaxation in debt restructuring
The Reserve Bank of India (RBI) deferred the decision to cut rates further, putting a stop to the rate cut in monetary policy. However, under the pressure of Covid-19, it has taken the initiative to relax debt restructuring for the individual and business world.
The reorganization scheme can also be availed by those who have taken advantage of the moratorium in debt payment. The RBI said that while restructuring such a loan, the related account would have to be classified as ‘standard’. However, RBI Governor Shaktikanta Das, in his online address, did not say anything about extending the moratorium period from August onwards. This means that those who want to take advantage of this will have to go into reorganization.
The restructuring facility will be for those borrowers who have not defaulted more than 30 days till March 1, 2020. The benefit of such facility will have to be availed by 31 December this year and for personal loans by 31 March 2021 and in case of other loans by 30 June 2021. The restructuring facility will be for those borrowers who have not defaulted more than 30 days till March 1, 2020. The benefit of such a facility has to be availed by 31 December this year, and for personal loans by 31 March 2021 and in case of other loans by 30 June 2021.
There will be some conditions in the case of corporate loans, but no condition has been imposed for restructuring of personal loans, apart from this, RBI has decided to increase the loan to value ratio for the borrowers by pledging gold jewelery. The ratio has been increased from 75 per cent to 90 per cent for non-agricultural purposes. This relief will be available by 31 March 2021 and after that it will come back to 75 per cent.The startup has also been given priority sector status for lending. The central bank is also planning to introduce offline retail payments through card and mobile.
केंद्रीय बैंक ने दरों में नहीं किया बदलाव, बैंकों को कर्ज पुनर्गठन की अनुमति
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति में दरांे में कटौती पर विराम लगाते हुए दरों में कटौती का निर्णय आगे के लिए टाल दिया। हालांकि कोविड-19 के दबाव के बीच व्यक्तिगत और कारोबारी जगत के बीच कर्ज पुनर्गठन में ढील देने की पहल की है।
पुनर्गठन योजना का लाभ ऐसे लोग भी उठा सकते हैं जिन्होंने कर्ज भुगतान में स्थगन (मोरेंटोरियम) का फायदा लिया है। आरबीआई ने कहा कि ऐसे कर्ज का पुनर्गठन करते समय संबंधित खाते को ‘स्टैंडर्ड’ के तौर पर वर्गीकृत करना होगा। हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने आॅनलाइन संबोधन में मोरेंटोरियम की अवधि को अगस्त से आगे बढ़ाए जाने के बारे में कुछ नहीं कहा। इसका मतलब है कि जो इसका फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें पुनर्गठन में जाना होगा।
मोरेंटोरियम में कर्ज पर ब्याज को मूलधन में जोड़ा जा रहा था लेकिन पुनर्गठन में ब्याज दरों के साथ ही कर्ज भुगतान की अवधि मे भी राहत मिलेगी, वहीं बैंको पर थोड़ा असर पड़ेगा।
पुनर्गठन उन्हीं मामलों में होगा जो कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं और इन खातों को स्टैंडर्ड माना जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर वे आगे भी कर्ज ले सकते हैं।
पुनर्गठन की सुविधा उन्हीं कर्जदारों के लिए होगी जिन्होंने 1 मार्च, 2020 तक 30 दिन से ज्यादा का डिफाॅल्ट नहीं किया है। इस तरह की सुविधा का लाभ इस साल 31 दिसंबर तक उठाना होगा और पर्सनल लोन के लिए 31 मार्च, 2021 तक और अन्य ऋणों के मामले में 30 जून, 2021 तक इसे लागू करना होगा।
काॅरपोरेट ऋण के मामले में कुछ शर्तें हांेगी लेकिन पर्सनल लोन के पुनर्गठन के लिए कोई शर्त नहीं लगाई गई है। इसके अलावा आरबीआई ने स्वर्ण आभूषण गिरवी रखकर कर्ज लेने वालों के लिए लोन टु वैल्यू रेश्यो बढ़ाने का फैसला किया है। गैर कृषि मकसद के लिए यह अनुपात 75 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया गया है। यह राहत 31 मार्च, 2021 तक उपलब्ध होगी और उसके बाद यह वापस 75 फीसदी पर आ जाएगा। स्टार्टअप को भी ऋण के लिए प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय बैंक कार्ड और मोबाइल के जरिये आॅफलाइन रिटेल भुगतान शुरू करने की भी योजना बना रहा है।