कई क्षेत्रों में एक साथ सुधार की जरूरत
- अप्रैल 3, 2020
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कई क्षेत्रों में एक साथ सुधार की जरूरत
भारत सहित दुनिया के कई देशों में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के स्पष्ट संकेत दिख रहे हैं। आर्थिक विकास दर का लगातार गिरना, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, बचत और निवेश में कमी, शेयर बाजार में गिरावट, तरलता का अभाव ऐसे आर्थिक संकेतक हैं जो इंगित करते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक है। अर्थव्यवस्था की मजबूती की तीन क्षेत्रों की उत्पादक गतिविधियां तय करती हैं जिसमें विनिर्माण, सेवा और कृषि है। वर्तमान में तीनों क्षेत्रों के प्रदर्शन से ज्ञात होता है कि अर्थव्यवस्था देश में मंदी के दौर से गुजर रही है। इसलिए नौकरियां देने वाले क्षेत्रों मसलन कपड़ा, ऑटो, इलेक्ट्रानिक्स और रियायती आवास को मजबूत करना होगा। इसके लिए आसान कर्ज मुहैया कराना होगा। ग्रामीण खपत बढ़ाने, ग्रामीण जनसंख्या की क्रय शक्ति में वृद्धि और कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए नए तरीके खोजने होंगे। पूंजी निर्माण के लिए बचत-निवेश अनुपात में वृद्धि कर कर्ज की कमी दूर करनी होगी। हमें अमेरिका-चीन में चल रहे ट्रेडवारके चलते खुल रहे नए निर्यात बाजारों को पहचानना होगा तथा घरेलू उद्यमों को पुनर्जीवित करना होगा। तभी हम 3 से 4 साल में उच्च विकास दर को वापस पा सकते हैं।