श्री अंकित मुंदड़ा 


                                                                                                                   Amjey Chem Trade P. Ltd


हम प्लाइवुड, लेमिनेट्स, पेन्ट, पोलिस्टर, फार्मास्युटिकल, एडेसिव, फूड इंडस्ट्री आदि में प्रयोग होने वाले केमिकल्स के प्रमुख आयातक एंव ट्रेडर्स है।


बाजार के वर्तमान परिदृश्य के संबंध में श्री अंकित मुंद्रा से प्लाई इन्साइट की बातचीत यहां प्रस्तुत है।

जिसके पास एक प्रैश थी उन्होंने दो कर ली जिनके पास दो प्रैश थी उन्होंने चार कर ली। प्रोडक्शन जो पहले 12 घंटे पर थे वो 24 पर आ गए। इस तरह से प्रोडक्शन कैपेसिटी सबकी बढ़ी है। लेकिन अब वो जो बढ़ी हुई कैपेसिटी है, अब अगर वो निचे जाती है, रूटिन सारा खराब हो जाएगा। वही इंपैक्ट कर रहा है। अभी आप देख लिजिए मारूति जैसी कंपनी शटडाउन ले रही है टाटा शटडाउन ले रही है, अशोक लेलैंड शटडाउन ले रही है। यही करेंगे और कोई आप्शन ही नहीं है। मारूति ने 3000 टेंपरेरी वर्कर को हटा दिया। क्या करेंगे लोग, सभी कोई डिसकाउंट दे रहे हैं, यही ऑप्शन है इनके पास। आप अपना इन्वेंटरी लेवल पहले कम कर लो। इसलिए वो लोग भी वही कर रहे हैं।

इंपैक्ट सभी जगह है छोटे से लेकर बड़ी जगह तक सभी जगह तक इंपैक्ट है। कुछ ही ऐसी फैक्ट्रियां है जो बना भी लिमिटेड रहे हैं और बेच भी लिमिटेड ही रहे हैं। वो तो सही चल रहे हैं। जिनका ओवर एक्सपोजर है वो परेशान है। जो नोरमल एक्सपोजर वाले हैं परेशान वो भी हैं। जिनकी रूटिन एक दो साल से मेंटेन हो रही थी वो भी परेशान हैं। वो परेशान हैं क्योंकि जैसे आपका कोई डीलर था आप 20 रूपये के हिसाब से मार्किट कर रहे थे अब अगला आदमी 18 के हिसाब से रेट दे कर आ रहा है। तो आप क्या करेंगे। उसे भी माल बेचना है उसे काॅस्ट तो देखना नहीं क्योंकि उसके पास माल एकस्ट्रा पड़ा हुआ है। ऐसा तो है नहीं कि वेटिंग पीरियड चल रहा है कि माल नहीं दे पा रहे। माल पड़ा है एक्स्ट्रा, गोदाम में। यहां इससे अच्छा है वहां भेज देंगे तो कम से कम माल तो, निकलेगा गोदाम से। यहां पड़ा हुआ ब्याज लग रहा है, कब तक रखेंगे। तो ये सब सिचवेशन तो वैक्यूम है मार्किट में। मार्किट तो बाद की बात है सोचता है कि काॅस्ट टू काॅस्ट निकल जाउं। निकाल कर प्रोडक्शन चलता रहे।

टाइट है पोजिशन इस समय मार्किट में क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं चल रहा है। इस वजह से मेन प्रोब्लम है। कुछ लोग तो ऐसे भी होंगे जो बिलो कोस्ट भी बेच रहे होंगे। जो जितना टेंशन में है जितना किसी का माल नहीं बिक रहा वो उतना नीचे जा रहा है। अगर वो नुकसान में जा रहा है तो नुकसान में कितने दिन चला लेगा, एक महीना दो महीने। हर थोड़े दिन में न्यूज में सुनते हैं हम लोग कि चार फैक्टरी लैमिनेट की नयी आ रही हैं, प्लाईवुड की आ रही हैं और दो बंद हो रही हैं।

काफी लोग परेशान हैं। लेकिन बंद फिर भी कोई नहीं कर रहा। बंद करंेंगे तो करेंगे क्या, घर भी तो चलाना है। मार्किट इतना खराब हो जाएगा तो लोगों की पेमेंट कैसे करेंगे। लोगों की पेमेंट ही अटक जाएगी। ये सिचवेशन आ जाएगी तो मार्किट और ज्यादा दिक्कत में आ जाएगी। अगर लोग बंद करके बैठ जाएगें तो। हफ्ते में 6 दिन की जगह 5 दिन चलाएंगे 4 दिन चलाएंगे, ऐसा कुछ करेंगे। लेकिन बिलो काॅस्ट तो माल बेचने में दिक्क्त रहेगी। उस दौरान में लोगों ने एकस्ट्रा कमाने के चक्कर में जीएसटी का जो फंडा है उसमें काम किया। लोगों ने इतनी हिम्मत करी कि ट्रांसपोर्टर के भरोसे माल मंगवाया। यमुनानगर में अफवाह उड़ती रहती है कुछ प्लांट बंद हो रहे हैं। सभी की हालत पतली है ही लेकिन सभी अपनी तरफ से जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं कि कहीं से कोई संजीवनी मिल जाए। अब इतना डाउन हो गया है कि लोग सोच नहीं पा रहे हैं कि कितना डाउन और जाएगा। और यही तो गलतफहमी है लोगों में, डाउन में डाउन ढूढंते हैं और तेजी में तेजी।