economy reform

Fears of a recession in advanced countries, amplified by the two consecutive quarters of GDP decline in the US, would affect exports from India.

US slowdown may affect both services and merchandise exports. The US is the largest export destination for India. Exports to the US have constituted 16-18 per cent of the total exports from India in recent years. Even when the US showed a decline in GDP in the second quarter of 2022, exports from India to that country in the first two months of that quarter constituted a bit over 18 per cent of the total outbound shipments. The US as an export destination for India is slightly bigger than the EU, another region that may be hit by a recession or near-recession.

However, due to low prices of commodities, the effect on CAD will be less. The global recession will reduce the prices of commodities and this will reduce inflation.

But domestic demand would help India’s economy withstand the pressure.

‘’India will not face any threat of recession even if the world economy slows down as our growth is based primarily on domestic demand. The latter can be affected by inflation and hence, we need to be guarded in linking a possible slowdown in growth to the factors leading to it,”

As central banks are tightening interest rates across the world, inflation shall recede, Domestic demand, while patchy, may be able to withstand a global slowdown.

Domestic fundamentals remain strong and are likely to support economic growth. A good monsoon, government capex spending, and an increase in consumer in consumer demand (in part led by the re-opening effect) are likely to be positive for growth.


वैश्विक मंदी का असर भारत पर नहीं,
घरेलू मांग से बचाव


वैश्विक मंदी के भय और अमेरिका में लगातार दो तिमाहियों तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट से भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता हैं। यूरोपियन यूनियन (ईयू) और अमेरिका भारत के बड़े निर्यात केंद्र हैं।

अमेरिका में मंदी सेवाओं और वाणिज्यिक वस्तुओं दोनों के ही निर्यात पर असर डाल सकता हैं। अमेरिका बाजार भारत का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र है। हाल के वर्षों में अमेरिका को होने वाला निर्यात भारत के कुल निर्यात के 16-18 प्रतिशत के बीच बना हुआ है। 2022 की दूसरी तिमाही में अमेरिका के जीडीपी में गिरावट के दौरान भी भारत से होने वाले निर्यात में शुरूआती दो महीनों में भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी रही है। भारत से होने वाली निर्यात के केंद्र के रूप में अमेरिका, के अलावा यूरोपियन यूनियन एक और क्षेत्र है, जहां मंदी आने के करीब है, या आ सकती है।

बहरहाल जिंसोें के दाम कम होने से सीएडी पर पड़ने वाला असर कम होगा। वैश्विक मंदी से जिंसों के दामों में कमी आएगी और इससे महंगाई दर कम होगी।

हालांकि घरेलू मांग से अर्थव्यस्था को मदद मिल सकती है और दबाव कम हो सकता है।

अगर वैश्विक अर्थव्यस्था में मंदी भी आती है तो भी भारत को मंदी का कोई खतरा नहीं होगा क्योंकि हमारी वृद्धि प्राथमिक रूप से घरेलू मांग पर आधारित है। भारत पर महंगाई दर का असर पड़ सकता है और ऐसे में हमें संभावित मंदी में घरेलू कारकों को ध्यान में रखना होगा।

इस समय सभी देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं, जिससे महंगाई में कमी आएगी। घरेलू मांग हालांकि रपटीली है, लेकिन यह वैश्विक मंदी से निपटने में सक्षम है।

बहरहाल घरेलू बुनियादी अवधारणा आर्थिक वृद्धि को समर्थन करेगी। बेहतर मॉनसून, सरकार का पूंजीगत व्यय और ग्राहकों की मांग में बढ़ोतरी वृिद्ध के हिसाब से सकारात्मक हो सकते हैं।