Avdhesh Jain
- मई 31, 2021
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“The last two weeks of April have been turbulent as infections have spread. it is important that we protect lives and keep the wheels of the economy running. Market response after unlock part 1 was so overwhelming that it broke records in many ways.We hope to replicate the story this year also. Let’s have a look on the views of Sri Avadhesh Jain on the present scenario”
What are your feelings upon second wave of covid?
It is very frustrating and depressing. We feel terrible because people who did not have to, are dying. It’s tragic at every level. Last year everybody collaborated and people were focused on fighting covid. we were focused on employer and employee or manufacturer and market. This time every individual is fighting with medical and the system.
Is it management failure?
The second wave attacked so suddenly and simultaneously in urban and rural, every part of the country, that our medical system collapsed. Thermometer, oximeter, oxygen, ambulance, hospital beds, ICI, ventilator. Medical services were more than sufficient for normal conditions but not for EMERGENCIES. Yes we will surely regret that the profiteers and black marketers left no stone unturned to spoil the situation to their advantages. It is obvious why we have to face this challenge – because everyone has their own agendas.
There were humanitarian face. In the midst of culprits, people came forward to help selflessly. Never seen the man so helpless before.
Impact on industries?
In absence of national lockdown, different cities and states have restricted the movement at their convenience and situation. Some of them were closed since April. Fear of complete lockdown triggered the migration of workers. Shortage of workers in industries accumulated with movement of carpenters from the cities, which ultimately affected the demand.
Working in cities were disturbed due to imposition of restriction on local level. Normally it takes 5-7 days time to reach the goods at their destination. More often dealers had to take pain to unload the truck. That’s why dispatches are made with caution.
What prospects do you see?
As our products are bulky in nature, there is a limitation of stock in the factory. Despite all the glitches, we hope to overcome the prevailing tension. The overwhelming experience, we had previous year, consoles everyone. Even under such adverse circumstances, there is not so much panic for business – be it industrialist, employees or dealers. Taming the virus is like fighting a war, in which we are succeeding. Vaccination is on war foot. We are hopeful to see return of consumer confidence in June.
CVD has been imposed on MDF.
International Trade is not comfortable at the moment, mainly due to hike in shipping freight. Imports are temporarily suspended and it seems to remain so in near future. Proposal for CVD was requested months back which has been sanctioned now. Contemporarily, there is glitches in import of raw material. We are feeling comfortable from the continued demand from local market allowing us to use our potential in full.
Will we see surge in production?
Regular Home Demand will definitely tend new players to move in the game as well as old players will increase their manufacturing capacity. It takes normally 2-3 years to be functional as indigenous machinery manufacturer are not available. We are vigilant on the current scenario and assessing future possibilities. Hopefully decision will be done very shortly.
Comparing MDF with other panel products?
Adaptability of upper end in MDF is growing. Training and awareness session will be launched for dealers and carpenters, by the industry. Prospects of MDF is brighter than any other panel product in future.
Whereas branding of other panel products are done favoring dealers, there is no such possibility in MDF at present. There is no grading system in MDF. May be this may be the reason to avoid it by retailers and carpenters. There may be possible change in sale policies depending on the points.
“कोविड ने इस बार झटका जोर से दिया है। यह मुश्किल वक्त है। इस वक्त उत्पादन और बिज़नेस के साथ-साथ, स्वयं और दूसरों के स्वास्थ्य की चिंता भी करनी चाहिए। पिछली बार दो तीन-माह का लाॅकडाउन रहा, इसके बाद जब बाजार खुला तो सब ठीक हो गया था। बल्कि डिमांड इतनी अच्छी थी कई मायनों में, कि पिछले कई सालों का रिकाॅर्ड टूट गया था। उम्मीद रखनी चाहिए, इस बार भी यह मुश्किल वक्त निकल जाएगा। इस बार मौत के आंकड़े डरा रहे हैं।…… इस मुश्किल वक्त को लेकर श्री अवधेष जैन का नजरिया क्या है? कैसे इस मुश्किल वक्त का सामना किया जाए”
इस बार के संक्रमण की लहर को आप किस तरह से देखते हैं?
इस बार का संक्रमण डराने वाला है। एक अजीब सा भय सभी के मन में बना हुआ है। पिछली बार का लाॅकडाउन थोड़ा अलग था। तब डर नहीं था। लगभग सभी परिवारों ने उस वक्त को सही तरह से व्यतीत किया था। इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। इस बार तो यहीं चिंता है कि किसी तरह से लोगों की जिंदगी बच जाए। पिछली बार जहां मालिक और कर्मचारी या मालिक और मार्केट के बीच मामला फंसा हुआ था। लेकिन इस बार स्थिति अलग है। इस बार व्यक्ति बनाम मेडिकल है। व्यक्ति बनाम व्यवस्था है।
हमारी मेडीकल व्यवस्था की कमजोरी भी रही
इस दुसरी लहर ने इतने अचानक से छोटे बड़े शहरों में एक साथ हमला किया कि हमारी मेडीकल व्यवस्था चरमरा गयी। थर्मामीटर, आक्सीमीटर, आक्सीजन, एंबुलेंस, हस्पताल में बिस्तर, ICU, वेंटिलेटर। सामान्य समय की जरूरत के हिसाब से तो सारी व्यवस्था जरूरत से अधिक ही थी। चिकित्सा में निजी क्षेत्र कोई अनाप-शनाप तो नहीं कमा रहा था। हां हमें यह अफसोस जरूर रहेगा कि मुनाफाखोरी और कालाबाजारी करने वालों ने स्थिती को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इन दुष्ट प्रवृत्ति लोगों के बीच हमें मानवता भी देखने को मिली, जहां लोगों ने आगे बढ़कर मदद बांटी। लेकिन आदमी इतना असहाय पहले कभी नहीं दिखा।
उद्योग पर इसका प्रभाव?
इस बार लाॅकडाउन विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके और समय से लगाया जा रहा है। कुछ राज्यों में अप्रैल से ही बाजार बंद कर दिया गया था। लाॅकडाउन के डर से प्रवासी मजदुरों का पलायन भी शुरू हो गया। एक तरफ उद्योगों में कामगारों की कमी होनी शुरू हो गयी, दुसरी तरफ छोटे बड़े शहरों से कारीगरों की। जिसने मांग को प्रभावित किया।
पाबंदियों को स्थानीय स्तर पर लागू करने की वजह से शहरों में काम करने के तरीके में अनिश्चिता रही। फैक्टरी से निकले हुए ट्रक को गंतव्य तक पहुंचने में पांच-सात दिन तो लग ही जाते हैं। कई बार दिक्कत यह भी आयी कि डीलर बड़ी मुश्किल से गाड़ी खाली करवा पाए। इन सारी परिस्थितियों को समझते हुए ही डीस्पेच करना पड़ रहा है।
अब क्या उम्मीद है?
चूंकि हमारे उत्पाद जगह घेरने वाले होते हैं, फैक्टरी में स्टाॅक करने की भी एक सीमा हो जाती है। वर्तमान तनाव से निकल पाना इतना आसान तो नहीं है, लेकिन मुश्किल भी नहीं है। पिछले साल का अनुभव भी सभी को हौंसला दे रहा है कि स्थितियां फिर से सामान्य हो जाएंगी। इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी, व्यापार में उतनी अधिक घबराहट नहीं है – चाहे वह उद्योगपति हों, कर्मचारी हों, डीलर हों। संक्रमण काबु में आना शुरू हो गया है। टीकाकरण भी तेजी से हो रहा है। जिससे उम्मीद होने लगी है कि धीरे-धीरे जून से सामान्य कामकाज होना शुरू हो जाएगा।
सी भी ड्यूटी (CVD) लागू किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार खुलकर तो हो नहीं रहा है। साधारणतया, MDF का आयात फिलहाल नहीं हो रहा है, न ही निकट भविष्य में होने की उम्मीद है। सीवीडी का आग्रह तो काफी पहले किया गया था, जो अब लागु किया गया है। इसके साथ ही कच्चे माल के आयात में भी दिक्कते हैं। इस वजह से वर्तमान में सुखद तो है ही कि लगातार घरेलु मांग बनी हुई है, और उद्योग अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर पा रहा है।
MDF का उत्पादन और बढ़ेगा
घरेलु मांग में तेजी देखते हुए जहां नए खिलाड़ियों का इस क्षेत्र में आना तय है, वहीं पुराने खिलाड़ियों द्वारा अपनी क्षमता का विस्तार भी तय है। लेकिन उद्योग को नए सिरे से स्थापित करने में कम से कम 2 से 3 साल लग जाते हैं। एमडीएफ के लिए मशीन निर्माता अभी भारत में नहीं है। हम भी सारे परिदृश्य का आकलन कर रहे हैं और शायद जल्द ही कोई निर्णय लें।
MDF बनाम अन्य पेनल उत्पाद?
एमडीएफ के उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की मांग में इन दिनों इजाफा हुआ है। आने वाले दिनों में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ, दुकानदारों खासकर कारपेंटर को जागरूक और शिक्षित करने का प्रयास उद्योग द्वारा किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि उससे एमडीएफ का बाजार दुसरे पेनल उत्पादों के मुकाबले और तेजी से बढ़ेगा।
जहां अन्य पेनल उत्पाद में हर दुकानदार के पास अपने-अपने अलग ब्रांड़ होते हैं, वहां एमडीएफ में फिलहाल अभी यह संभ नहीं है। एमडीएफ में एबीसी की तरह की ग्रेडिंग भी नहीं है। यह खुदरा व्यापारी और कारपेंटर के कतराने की वजह हो सकती है। भविष्य में इन बिन्दुओं पर चिंतन करके विक्रय नितियों में कुछ परिवर्तन संभव हो सकता है।