Finance Minister Nirmala Sitharaman said honest taxpayers deserve to be recognized for dutifully paying their due share of taxes.

In her message to the I-T Department on the 161st anniversary of income tax day, she complimented the department for continuing to work towards simplifying its procedures and processes, and making its functioning hassle- free, fair and transparent.

“The minister observed that the honest taxpayers deserve to be recognized for the contribution they are making to the progress for the nation by dutifully paying their due share of taxes………. She also lauded taxpayers for discharging their compliance obligations despite the difficulties caused by the pandemic,” .

Minister of state for finance pankaj chaudhary observed that most of the processes and compliance requirements have been shifted to online platforms and the need for taxpayers to physically visit tax offices has been eliminated or minimized.

He highlighted the fact that the interaction with taxpayers is now characterized by a spirit of trust and respect, relying more on voluntary compliance.


वित्त मंत्री ने ईमानदार करदाताओं के योगदान की सराहना की


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ईमानदार करदाताओं को करों के अपने हिस्से का भुगतान कर्तव्यपूर्वक करने के लिए पहचाना जाना चाहिए।

आयकर दिवस की 161 वीं वर्षगांठ पर आयकर विभाग को संदेश में, उन्होंने अपनी प्रक्रियाओं और कार्यप्रणाली को सरल बनाने और अपने कामकाज को परेशानी मुक्त, निश्पक्ष और पारदर्शी बनाने की दिशा में काम करना जारी रखने के लिए विभाग की सराहना की।

मंत्री ने कहा कि ईमानदार करदाता उनके करों के देय हिस्से का कर्तव्यपूर्वक भुगतान करके राष्ट्र की प्रगति में उनके योगदान के लिए मान्यता के पात्र हैं। उन्होंने महामारी के कारण होने वाली कठिनाइयों के बावजूद भी अपने अनुपालन दायित्वों को निर्वहन करने के लिए करदाताओं की सराहना की।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जानकारी दी कि अधिकांश प्रक्रियाओं को अनुपालन आवश्यकताओं को आनलाइन प्लोटफाॅर्म पर स्थानांतरित कर दिया गया है और करदाताओं के लिए कर कार्यालयों का भौतिक रूप से दौरा करने की आवश्यकता को समाप्त या कम कर दिया गया है।

उन्होंने इस तथ्य को उजागर किया कि करदाताओं के साथ अब विश्वास और सम्मान के साथ बातचीत की जाती है और स्वैच्छिक अनुपालन पर ही अधिक जोर है।