Only PNG and CNG Driven Industries in Haryana
- दिसम्बर 29, 2021
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Now only industries operating with PNG (Piped Natural Gas) and CNG (Compressed Natural Gas) will be allowed to establish in the state. The state government has taken this step in view of the increasing pollution. By the way, the government has taken this step after the rebuke of the Supreme Court. Due to the increasing pollution in the National Capital Region, the top court had also asked the state government for its action plan to reduce pollution. It has been seen, every time in October-November in NCR, the blame of increasing pollution has been put on the stubble, but the truth is that the industries contribute the most about one-third in spreading pollution, followed by the number of vehicles. The contribution of pollution caused by stubble burning is only four percent.
Secondly, understand the fact that this time due to the arrangement of stubble management and awareness among farmers, 12 times less stubble was burnt in Haryana in comparison to Punjab, but pollution is at its peak. That is, for direct pollution, industrial units, especially the smoke coming out of illegal units, are responsible. If the government-administration has to control pollution, then first of all these factories running illegally will have to be stopped. Most of these illegal factories operate in the dark or solitude of the night. Controlling these will curb the increasing pollution to a great extent.
सिर्फ PNG और CNG से संचालित होंगे उद्योग
प्रदेश में अब पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) और सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) से संचालित होने वाले उद्योग ही स्थापित होंगे। प्रदेश सरकार ने बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर ये कदम उठाया है। वैसे सरकार ने ये कदम सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उठाया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के चलते शीर्ष कोर्ट ने राज्य सरकार से भी प्रदूषण कम करने के लिए उसकी कार्ययोजना मांगी थी। देखा जाए तो एनसीअर में अक्टूबर-नवंबर में हर बार बढ़ते प्रदूषण का ठीकरा पराली पर फोड़ा जाता रहा है मगर सच यह है कि प्रदूषण फैलाने में सर्वाधिक योगदन करीब एक तिहाई तो उद्योगों का है, इसके बाद वाहनों का नंबर आता है। पराली जलाने से हुए प्रदूषण का योगदान तो महज चार प्रतिशत है।
दूसरे इस तथ्य को यूं भी समझिए कि इस बार पराली प्रबंधन के इंतजाम और किसानों में जागरूकता से हरियाणा में पंजाब से 12 गुणा कम पराली जली मगर प्रदूषण चरम पर है। यानि सीधे-सीधे प्रदूषण के लिए औद्योेगिक इकाइयों खासकर अवैध इकाइयों से निकलता धुआं तक जिम्मेदार है। शासन-प्रशासन को प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो सबसे पहले अवैध रूप से चल रही इन फैक्ट्रियों पर रोक लगानी होगी। ये अवैध फैक्ट्रियां अधिकांश रात के अंधेरे या एकांत में चलती हैं। इन पर लगाम से बढ़ते प्रदूषण पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।