Two month special drive to weed out bogus GST invoices
- जून 14, 2023
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Thousands of entities and their beneficiaries that allegedly created multiple shell firms to represent fake transactions without any underling goods and services for availing of input tax credit (ITC) are under the scanner of tax authorities.
Goods and services tax (GST) officials have prepared a detailed list in this regard and will target such entities during a two month-long special drive starting May 16.
Some of these entities showed a jump in their annual turnover in FY2021, FY2022, and FY2023, raising suspicion, so the matter required a thorough examination a senior official said.
The special drive by the Central Board of Indirect Taxes and Customs (CBIC) is aimed at weeding out fake ITC claims by using forged GST registration. The exercise will be conducted by all central and state tax administrations and will continue till July 15.
The list of suspected entities has been prepared based on the CBIC’s data analytics, along with information and data from intelligence agencies and the income-tax department, the official said.
Suspicious GSTIN’s are being shared with the tax administration concerned for initiating a verification drive and taking necessary action subsequently.
The systems analyzed various risk Parameters, including corporate tax returns filed by businesses with the I-T department and GST registration data, to identify businesses and traders and even masterminds who are expected to take GST registration but have not done so, the official explained.
Currently, there are 13.9 million taxpayers registered under the Goods and Services Tax (GST) regime. The National coordination Meeting of the state and Central GST officers on April 24 discussed the issue of unscrupulous elements misusing the identity of other persons to obtain fake/bogus registration under GST.
If, after detailed verification, it is found that the taxpayer is non-existent and fictitious, then the tax officer may immediately initiate action for suspension and cancellation of the registration. Those who are end-beneficiaries, their assets could be seized as part of the recovery process under the CGST Act.
बोगस जीएसटी चालानों की घर-पकड़ के लिए दो महीने का विशेष अभियान
हजारों संस्थाएं और उनके लाभार्थी टैक्स अधिकारियों की नजर में हैं जिन्होंने कथित रूप से ऐसे कई शैल फर्म बनाए हैं जो नकली लेन-देनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन जिसमें इनपुट टैक्स (ITC) उपलब्ध कराने के लिए कोई भी उत्पाद और सेवाओं की आधारभूत वस्तु नहीं होती है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिकारियों ने इस संबंध में एक विस्तृत सूची तैयार की है और 16 मई से शुरू होने वाले दो महीने के विशेष अभियान के दौरान ऐसी संस्थाओं को लक्ष्य बनाया जाएगा।
इनमें से कुछ संस्थाओं की वार्षिक बिक्री FY021, FY2022 और FY2023 में तेजी से बढ़ी, जिससे संदेह उठा है, अतः इन मामलों की धोखाधड़ी जांच की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा आयोजित विशेष अभियान का उद्देश्य जाली जीएसटी पंजीकरण का उपयोग करके नकली आईटीसी दावे की छटाई करना है। इस अभियान को सभी केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन द्वारा आयोजित किया जाएगा और यह 15 जुलाई तक जारी रहेगा।
आधिकारी ने कहा कि संदिग्ध संस्थाओं की सूची सीबीआईसी के डेटा विश्लेषण, इंटेलिजेंस एजेंसियों और आयकर विभाग से सूचना और डेटा के आधार पर तैयार की गई है।
संदिग्ध जीएसटीआईएन संबंधित कर व्यवस्थापकों के साथ साझा की जा रही हैं, ताकि पुष्टिकरण अभियान शुरू करने और उसके बाद आवश्यक कार्रवाई लेने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
आधिकारी ने समझाया कि व्यवसाय और व्यापारियों और उन मास्टरमाइंड्स को पहचानने के लिए जिन्हें जीएसटी पंजीकरण लेने की जरूरत है, लेकिन वे इसे नहीं लेते हैं। व्यापारों द्वारा आयकर विभाग के साथ फाइल की गई कॉर्पोरेट टैक्स रिटर्न और जीएसटी पंजीकरण डेटा जैसे विभिन्न जोखिम पैरामीटरों को विश्लेषित करने के लिए सिस्टम उपयोग किए गए।
वर्तमान में, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत 13.9 मिलियन टैक्सपेयर पंजीकृत हैं। 24 अप्रैल को राज्य और केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों की राष्ट्रीय समन्वय बैठक में बातचीत की गई थी कि कुछ अनैतिक तत्व अन्य व्यक्तियों की पहचान का दुरुपयोग करके जीएसटी के तहत नकली/बोगस पंजीकरण प्राप्त कर रहे हैं।
यदि विस्तृत सत्यापन के बाद पाया जाता है कि करदाता अस्तित्वहीन और काल्पनिक है, तो कर अधिकारी तत्काल पंजीकरण को रोकने और रद्द करने के लिए कार्रवाई शुरू कर सकता है। उन लोगों के जो अंतिम लाभार्थी हैं, उनकी संपत्ति पुनप्र्राप्ति की प्रक्रिया का हिस्सा मानकर सीज की जा सकती है जो सीजीएसटी अधिनियम के अंतर्गत होती है।